आसमान में भी सूराख हो सकता है !

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आर0 के0 जैन

दसरथ मॉझी ‘ द माउंटेन मैन ‘ का नाम तो हम सबने सुना ही है जिसने 22 साल तक अकेले लगातार मेहनत कर 25 फ़ीट ऊँचे पहाड़ को काट कर 200 मीटर लंबी और 30 फ़ीट चौड़ी सड़क बना डाली थी । दशरथ मॉझी पर तो एक फ़िल्म भी बन चुकी है ।

दशरथ मॉझी की 22 वर्षों की मेहनत और लगन से उनके गॉव अतरी से वजीरगंज ब्लॉक तक की दूरी 55 किलोमीटर से घटकर मात्र 15 किलोमीटर रह गई है। दशरथ मॉझी पहाड़ी के उस पार जाकर लकड़ियाँ काटते थे पर एक दिन जब उनकी पत्नी खाना लेकर पहाड़ी पर चढ़ रही थी तो पैर फिसलने के कारण वह गिर गई और इलाज के अभाव में मर गई ।

आहत दशरथ मॉझी पहाड़ को काटकर सड़क बनाने की भीष्म प्रतिज्ञा कर अकेले ही छेनी और हथौड़े से पहाड़ काट कर सड़क बनाने में जुट गये। लोगों ने पागल कहा पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आज वह सड़क उस इलाक़े के लिये वरदान बन गई है। एक साधन विहिन गरीब मज़दूर ने अकेले वह कर दिखाया जो कोई सोच भी नही सकता । बादशाह शाहजहाँ जो साधन सम्पन्न था ने अपनी बेगम मुमताज़ महल की याद में ताजमहल बनवाया पर दशरथ मॉझी की अपनी पत्नी की याद में पहाड़ काटकर बनाई गई सड़क किसी ताजमहल से कम नहीं कही जा सकती ।

दूसरा नाम लौगी मॉझी का है जिसने अकेले ही कुदाल और फावड़े से पहाड़ी को काटकर 5 किलोमीटर लंबी, चार फ़ीट चौड़ी और तीन फ़ीट गहरी नहर बना डाली ताकि उनके और आस पास के तीन चार गॉवो के सिंचाई के लिये पानी मिल सके। इस नहर को बनाने में उन्होंने अपनी जवानी की ज़िंदगी के बीस वर्ष खपा डाले । उन्हें भी पागल , सनकी और न जाने क्या क्या कहा गया पर लौगी मॉझी ने भी ठान रखा था कि आसमान में सूराख करना है और उन्होंने कर दिखाया।

पहाड़ी के उपर स्थित जल स्रोत का पानी अपने गॉव के तालाब तक लाना लौगी मॉझी के लिये कुछ वैसा ही था जैसा कि राजा भागीरथ स्वर्ग लोक से गंगा मैया को पृथ्वी पर लाये थे। सिंचाई के लिये पानी उपलब्ध होने से गॉव के लोगों को अब मज़दूरी के लिये बाहर नहीं जाना पड़ेगा क्योंकि अब वह अपनी ज़मीन पर फसल पैदा कर सकेंगे । लौगी मॉझी के प्रयास और मेहनत से प्रभावित होकर महिन्द्रा ट्रेक्टर के मालिक श्री आनंद महिन्द्रा उन्हें एक ट्रेक्टर उपहार में देकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे है।

दशरथ मॉझी और लौगी मॉझी दोनों ही गरीब और साधनहीन थे पर उनमे हिम्मत और हौसला बेशुमार था। दशरथ मॉझी तो 2007 में इस दुनिया से विदा हो चुके हैं पर जो सम्मान , प्रतिष्ठा व प्रसिद्धि उन्हें मिलनी चाहिये थी वह उन्हें नहीं मिली । ग़रीबी और समुचित चिकित्सा के अभाव में ही उन्होंने प्राण त्यागे ।

लौगी मॉझी ने भी जो कर दिखाया है वह साहस और दृढ़ इरादों का अनुपम उदाहरण है। ऐसे लोग विरले ही होते हैं जो यह संदेश देते हैं कि इन्सान के लिये कुछ भी असंभव नहीं है। ये लोग कोई सामान्य जन नहीं है बल्कि ये वो नायक है जो देश और समाज को हौसला देते हैं और रास्ता दिखाते है । ऐसे लोगों का जितना भी सम्मान किया जाये कम है पर हमे तो छद्म नायकों / नायिकाओं के पीछे भागने से ही फ़ुर्सत नहीं है ।