Covid-19,ब्रजभूमि पर नहीं होगी जन्माष्टमी की धूम

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मथुरा, शारीरिक दूरी का पालन करते हुए लोग अपनी कॉलोनी, मोहल्ले, गांव के श्रीकृष्ण मंदिर में पूजा अर्चना करें। यदि मंदिर खुलने की अनुमति न हो तो अपने घरों में परम्परानुसार झूला लगाकर पूजा अर्चना कर सकते हैं। यथा सम्भव पीताम्बर परिधान धारण करें। रात में कन्हा को पंजीरी का भोग लगाएं।

दुनिया भर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी रात में मनाने की परंपरा है वहीं वृन्दावन के तीन मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दिन में मनाई जाती है। इन तीन देवालयों में राधारमण मन्दिर एवं राधा दामोदर मन्दिर वृन्दावन के सप्त देवालयों में प्रमुख मन्दिर हैं।

कोरोना संक्रमण ने जन्माष्टमी पर वृन्दावन के तीन मंदिरों में शताब्दियों से चली आ रही परंपरा को तार तार कर दिया है तथा मंदिरों के बन्द होने के कारण तीर्थयात्री इस बार मन्दिरों का प्रसाद पाने तक से वंचित हो सकते हैं।

अष्टमी तिथि 11 अगस्त मंगलवार सुबह 9.06 बजे से लेकर 12 अगस्त की सुबह 11.15 बजे तक रहेगी। वहीं इन दोनों तिथियों में नक्षत्र का संयोग नहीं मिल रहा है। रोहिणी नक्षत्र 13 अगस्त को भोर से 3.26 से मिल रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व अष्टमी तिथि को ही मनाया जाता है। इस वजह से पर्व 11अगस्त मंगलवार को स्मार्त यानी गृहस्थ जन्माष्टमी पर्व मना सकेंगे। वहीं वैष्णव यानि साधु-सन्यासी, वैष्णव भक्त या वैष्णव गुरु से दीक्षा लेने वाले शिष्य 12 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व मना सकेंगे। ज्योतिषाचार्य मनोज तिवारी ने बताया कि स्मार्त अष्टमी तिथि से ही पर्व मनाते हैं जबकि वैष्णव उदया तिथि मानते हैं। इस वजह से दो दिन पर्व का संयोग बन रहा है। इससे दो दिनों तक पर्व की धूम रहेगी।

तीसरा देवालय टेढ़े खम्भेवाले मन्दिर के नाम से मशहूर शाह जी मंदिर है। परंपरा के अनुसार इन तीनों मन्दिरों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ठाकुर का अभिषेक कई मन दूध, दही, बूरा, शहद, घी तथा औषधियों से कई घंटे किया जाता है तथा अभिषेक पूरा होने और आरती के बाद यह चरणामृत वृन्दावनवासियों एवं तीर्थयात्रियों में बंट जाता है।