स्वस्थ जीवनशैली

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अच्छा पोषण, शारीरिक गतिविधि और स्वस्थ शरीर का वजन व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य और कल्याण के लिए आवश्यक अंग है। शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से कई स्वास्थ्य समस्याएं प्रबंधित होती है और तनाव, अवसाद और दर्द को कम करके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।उत्तम स्वास्थ्य का आनंद लेने के लिए हमें कुछ पहलुओं की ओर ध्यान देना ज़रूरी है जैसे हम किन खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, किन व्यक्तियों का संग रखते हैं, किस प्रकार की तस्वीरों व कार्यक्रम को देख व पढ़ कर ग्रहण करते हैं, समय की कितनी कद्र करते हैं एवं किस प्रकार के लोगों का आदर करते हैं। ऐसा अनंत सुझाव सदियों से हमारे लोक साहित्य का एक विभिन्न अंग रहा है परन्तु आज के इस आधुनिक युग में हम में से कईयों ने इस बुद्धिमत्ता का त्याग कर दिया है। यह कालजयी सलाह हमारे लोक साहित्य में सदियों से चली आ रही है परन्तु इस आधुनिक समय में हममें से बहुत सारे लोग इस बुद्धिमत्तापूर्ण बात को खारिज कर दिया है।

भाजपा का कारपोरेट कल्चर

आज की तेज़ी से दौड़ने वाली दुनिया में, समय की कमी  होने के कारण,समाज हमें अस्वस्थ जीवनशैली अपनाने को मजबूर कर रहा है। हर कोई एक स्वस्थ जीवन जीने में समझौता कर रहा है। आज हम फास्ट फूड और चीनी से भरे हुए जलपान का सेवन करते हैं, कम सोते हैं, कम व्यायाम करते हैं, कम वार्तालाप परन्तु अधिक चिंताएं करते हैं – जैसे बच्चों की शिक्षा,अपना खर्चे आदि।हममें से बहुत इस जीवन की यात्रा में  तीव्र गति से दौड़ लगा रहे हैं।

हम यह जानते हैं कि यह तीव्र जीवनशैली ज़्यादा देर तक नहीं चल सकती। यदि हम भाग्यशाली हैं तो हम किसी व्यायामशाला के सदस्य बन कर, योगाभ्यास कर के या ध्यानयोग का अभ्यास कर के बेहतर स्वास्थ्य बनाए रख सकते हैं। परन्तु हम मे  से बहुत से लोग थक-हार कर  टेलीवीजन के सामने पड़े सोफे पर शिथिल चलचित्र की बेहोशी में डूब जाते हैं।

लेकिन यहाँ हमारे पास विकल्प है

  • ताकत से भरा हुआ, स्वस्थ एवं गुणकारी भोजन खाएं।
  • परिवार एवं मित्रों के संग, गुणवत्तापूर्ण समय बिताएं।
  • स्वयं के संग कुछ समय व्यतीत करें, चाहे किसी  बगीचे में निःशब्द बैठ कर या किसी खलिहान में धुप और ताज़ी हवा का आनंद लेते हुए।
  • हम मानव जंतु हैं मानव मशीन नहीं जो कि  निरंतर क्रिया करते रहें। जब हम सदा कार्य में व्यस्त होने की लत का त्याग कर दें, उपलब्धियों के पीछे दौड़ना छोड़  दें तथा सदा मसरूफ़ हना छोड़ कर आराम से बैठ कर साँस लेने का समय निकालें तो हम पाएंगे कि हम अपने शरीर को स्वस्थ होने का एवं संतुलित अवस्था को पुनः पाने का एक अवसर प्रदान कर रहे हैं।

अपने अस्त-व्यस्‍त जीवन से एक कदम पीछे हटकर अपने आपको अलग कर खुद को साक्षी होकर देखना यह एक बहुत बड़ी चुनौती होकर रह गई है। वह थोड़ा सा अंतराल हमें किसी भी विषय-वास्तु में फंसने और भावनाप्रधान बनने से बचा सकता  है। तो इस अवसर को ज़ब्द करते हुए याद रखें की  अपने जीवन के आप ही कर्ता-धर्ता हैं।

बुद्धिमत्तापूर्ण जीवन पद्धति

जब आपको अपनी ऊर्जा का बोध हो जाता है तब आप स्वयं के मालिक बन जाते हैं। आप किन खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं, कितना और किस गति से ग्रहण कर रहे हैं, इन सब के प्रति सचेत होने की आवश्यकता है।  मॉस हार्मोन्स  से लदा हुआ होता है जिसकी हमारे शरीर को आवश्यकता नहीं होती। शराब के दुष्परिणाम हमारी कल्पना से भी पार हैं।इसका एक विकल्प है मंदगति आहार, अर्थात, खाना पकाने की वह पद्दति जहाँ उन पदार्थों का उपयोग हो जो न ही केवल स्थानीय कृषि को प्रोत्साहित करें अपितु स्थानीय परंपरागत विधि से तैयार हों। वनस्पति आधारित भोजन से हमारे शरीर के अवयवों पर कम भार पड़ता है और हम कई पशुओं की जान को बचा सकते हैं।अगर आप समझदारीपूर्ण सोच रखें, समझदारी से खायें एवं समझदारी से  हर कदम उठाएं, तो आप का तन और मन आपको श्रेष्ठ निंद्रा और स्पष्ट एकाग्रता से पुरस्कृत करेगा हो सकता है आपका इतना टाइम बच जाये कि आप यह सोचने लगें कि इसका करुँ भी क्या !