जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज का जीवन का मौलिक

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अब्दुल जब्बार एडवोकेट

जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज का उपदेशसार जीवन का मौलिक तत्वज्ञान ऋगवेद है

अयोध्या / भेलसर। स्वामीजी महाराज का आयोजजित सार्वभौम धार्मिक उपदेश,एवम् धार्मिक शिक्षा-दीक्षा संगोष्ठी का दो दिवसीय कार्यक्रम 04 व 05 अप्रेल 21 तक रौजागावं चीनी मिल,मंदिर प्रांगण में अति श्रद्धा भाव से वैदिक मन्त्रोउच्चाण उपरांत आयोजित किया गया।

गोवर्धन मठ पूरी पीठासह्वार जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज स्वयं के उपदेशसार प्रवचन।

  • सभी पदार्थों से तटस्थ भाव ही सर्वोत्तम योग है।
  • संसार के मिथ्यात्व का चिंतन ही साधना है।
  • प्राणी मात्र की समानता के सिध्दांतों को व्यावहारिक जगत में अवश्य उतारना चाहिए।
  • किसी भी शरीर को घृणा दूषित न करें।
  • महाराज जी ने मौलिक तत्वज्ञान को स्पष्ट किया कि सभी के अंदर एक ही ब्रह्म है।एकमात्र अभिलाषा ईश्वरीय उपासना के संग राष्ट्रीय स्वाधीनता से स्फूर्ति प्राप्त करना चाहिए।
  • प्रवचन सभा में धर्म व राष्ट्र प्रेमियों को उनके प्रश्नों का उत्तर अराध्य भजन कीर्तन द्वारा भक्तिभाव जागृति करने की शिक्षा दी।बड़े से बड़ा तीर्थ मन ही है।आत्मा ही सब की साक्षी है।आत्मा और परमात्मा एक है।

संसार के कोने कोने में भारतीय संस्कृतियों का प्रचार चलता रहना चाहिए।मानव सभ्यता के सबसे प्राचीन लिखित दस्तावेज में वेद हैं जो महत्त्वपूर्ण धर्म ग्रन्थ लिखे जाने से आज तक प्रासंगिक है।विज्ञान का आधार आविष्कार ही ऋग्वेद है।वेद से ही अन्य धार्मिक ग्रन्थ की रचना हुई और अन्य विचारधाराओं ने जन्म लिया है।ईश्वर की स्तुति करते रहना चाहिए।

ऋगवेद हिंद और यूरोप में प्रथम रचना है।सभी उपस्थितजन भाव बिभोर हो उठे तथा नवीन धार्मिक उर्जा के संचार से मन प्रफुल्लित हो उठा। गोष्ठी सोमवार 05 अप्रेल 21 अपराह्न 2 बजे सम्पन हुआ एवं गुरु का विदाई समारोह सायं 5:30 पर जगतगुरु संक्रचार्य के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करके इकाई प्रमुख निष्काम गुप्ता एवं धर्म पत्नी द्वारा किया। इस मौके पर क्षेत्रीय विधायक रुदौली रामचन्द्र यादव, विपिन सिंह (उपजिलाधिकारी),राजेश श्रीवास्तव सर्किल आफीसर पुलिस, इकबाल सिंह (महा प्रबंधक-गन्ना)