मुझे कोरोना के लक्षण नहीं-अशोक गहलोत

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48 दिन बाद पोस्ट कोविड के खतरों से बचने के लिए अगले 60 दिन एकांत में रहने की सलाह राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को आखिर किस चिकित्सक ने दी है? 29 अप्रैल को संक्रमित होने पर सीएम गहलोत ने कहा था – मुझे कोरोना के लक्षण नहीं है। सचिन पायलट के प्रकरण में क्या प्रियंका गांधी के रवैये से सीएम गहलोत नाराज है? बसपा वाले विधायक राजेन्द्र गुढा का बयान तो पायलट के खिलाफ है।


एस.पी.मित्तल

29 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हुए थे सीएम गहलोत। पूरे प्रदेश ने देखा कि संक्रमित होने के बाद भी संपूर्ण कोरोना काल में सीएम गहलोत ने एक दिन भी विश्राम नहीं किया। वार्ड पांच से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संवाद किया। पांच पांच घंटे वीसी में बैठ कर सभी को सुना।

सीएमआर में भी विधायकों, नेताओं, अधिकारियों से मिलने का सिलसिला जारी रहा। मुख्यमंत्री ने अपनी सक्रियता से कभी यह जाहिर ही नहीं होने दिया कि वे भी कोरोना संक्रमित हुए थे। 29 अप्रैल को ही गहलोत ने ट्वीट कर कहा था कि उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, लेकिन उन्हें कोरोना के लक्षण नहीं है।लेकिन अब 48 दिन बाद कहा गया है कि पोस्ट कोविड के खतरों से बचने के लिए चिकित्सकों ने गहलोत को अगले दो माह यानी 60 दिन तक किसी से भी मिलने की सलाह नहीं दी है। यानी सीएम गहलोत 15 अगस्त से पहले किसी से भी मुलाकात नहीं करेंगे तथा किसी समारोह में भी भाग नहीं लेंगे।

सीएम के मीडिया सलाहकारों ने यह नहीं बताया कि ऐसे कौन से चिकित्सक हैं जिन्होंने संक्रमण के 48 दिन बाद पोस्ट कोविड का खतरा बताते हुए अगले 60 दिन तक एकांत में रहने की सलाह दी है। टीवी चैनलों पर तो दिल्ली एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया से लेकर मेदांता अस्पताल के मालिक डॉ. नरेश त्रेहान तो संक्रमित मरीजों को अधिकतम एक माह तक एकांत में रहने की सलाह दे रहे हैं। अब राजस्थान में किस चिकित्सक ने 48 दिन बाद अगले 60 दिनों तक राजस्थान के लोकप्रिय और हिम्मत वाले मुख्यमंत्री को एकांत में रहने की सलाह दे दी।

सवाल उठता है कि जब संक्रमित होने के अगले दिन ही गहलोत वीसी कर रहे थे, तब चिकित्सकों ने ऐसी सलाह क्यों नहीं दी ? क्या तब ऐसी सलाह नहीं देकर मुख्यमंत्री के जीवन को खतरे में डाला गया? सलाह देने वाले चिकित्सकों को यह भी बताना चाहिए कि 48 दिन बाद मुख्यमंत्री के शरीर में ऐसे कौन से लक्षण देखे गए, जिसके अंतर्गत 60 दिन तक एकांत में रहने की सलाह दी गई है। अगले 60 दिन एकांत में रहने वाली खबर सीएम गहलोत की सहमति से ही मीडिया तक भिजवाई गई है, इसका मतलब यह नहीं कहा जा सकता कि खबर झूठी है। अखबार वालों ने अधिकृत सूचना के आधार पर ही खबर छापी है। सीएम गहलोत भले अब प्रत्यक्ष रूप से किसी से न मिले, लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए वे राजकाज करते रहेंगे।

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तो क्या सीएम गहलोत नाराज हैं :

चिकित्सकों की सलाह पर सीएम गहलोत अलग दो माह तक किसी से भी नहीं मिलेंगे, इस सच को तो सीएम गहलोत ही जानते हैं, लेकिन जानकार सूत्रों के अनुसार सचिन पायलट के प्रकरण में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने जो रवैया अपनाया उससे सीएम गहलोत नाराज बताए जाते हैं। सब जानते हैं कि 11 जून को जयपुर में कांग्रेस के धरने में शामिल होने के बाद पायलट दिल्ली चले गए थे और तब यह कहा गया कि दिल्ली में पायलट की मुलाकात प्रियंका गांधी से होगी। सूत्रों की मानें तो गहलोत को इस मुलाकात पर ही एतराज था।

गहलोत की नाराजगी को देखते हुए ही दिल्ली में पायलट की मुलाकात प्रियंका गांधी से नहीं हो सकी। हालांकि 15 जून तक पायलट दिल्ली में ही रहे। कहा जा रहा है पायलट को संतुष्ट करने के लिए गहलोत पर मंत्रिमंडल का विस्तार करने का दबाव डाला जा रहा है। गहलोत अब वो नेता नहीं है जो किसी के दबाव में काम करें। राजनीतिक नियुक्तियों से लेकर मंत्रिमंडल के विस्तार तक की खबरों पर रोक लगाने के लिए ही अगले 60 दिनों तक एकांत में रहने का फार्मूला राजनीति में लगाया गया है। यानी अब दो माह तक सीएम गहलोत गांधी परिवार के किसी भी सदस्य से मिलने के लिए दिल्ली नहीं जाएंगे।

गहलोत और गांधी परिवार के मिले बिना सचिन पायलट की मांगों का समाधान नहीं हो सकता है। गहलोत के चाहने पर ही पायलट संतुष्ट हो सकते हैं। जहां बसपा वाले कांग्रेसी विधायकों राजेन्द्र गुढा का सवाल है तो गुढा का बयान सचिन पायलट के खिलाफ ही है। दिल्ली में पायलट और प्रियंका गांधी की मुलाकात की संभावनाओं के बीच गुढा ने कहा कि जब पायलट सहित कांग्रेस के 19 विधायक दिल्ली चले गए थे, तब 10 निर्दलीय और 6 बसपा वाले विधायकों ने ही गहलोत सरकार को बचाया था।

यदि हम नहीं होते तो आज राजस्थान में गहलोत सरकार की प्रथम पुण्यतिथि मन रही होती। गुढा ने कहा कि मंत्री पद पर पहला हक सरकार बचाने वालों का होना चाहिए न कि सरकार गिराने वालों का। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में बसपा के सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे। हालांकि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर रहते हुए पायलट ने गत वर्ष भी बसपा विधायकों का विरोध किया था। बाद में इन 6 विधायकों में से दो-तीन को मंत्री बनने का विरोध भी पायलट ने किया था।