सरकारी मंथन से ही पीड़ितों के कष्टों का निवारण

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सरकारी मंथन से ही पीड़ितों के कष्टों का निवारण हो सकता है।


शमशी अज़ीज़

लखनऊ। हमारा देश आकस्मिक वायरस व चक्रवाती तुफानो से लड़ रहा है जैसे कोरोना वायरस, ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस, येलो फंगस व ताऊ ते व यास तूफान आदि इस वातावरण में ना जाने कितने ही लोगों की मृत्यु हुई। लाखो करोड़ो लोग बेरोजगार हुए तथा न जाने कितने परिवार बिखर व अकेले रह गए। इस आपदा ने हर एक व्यक्तियों के रोजगारो को एक स्थान पर लॉक कर दिया। जिससे निम्न वर्ग व कुछ हद तक उच्च वर्ग के भो लोग पीड़ित हुए परन्तु इस आपदा में केवल 30 प्रतिशत ही लोग संकट काल से बाहर है। जैसे निजी चिकित्सक,निजी चिकित्सालय, सरकारी सर्विस व पूंजीपति आदि पर 70 प्रतिशत नागरिको का सब कुछ उजड़ व ठहर चुका है न ही धन है, न ही रोजगार है,और न ही अपनो का साथ है, जिससे वे अपने जीवन में पुनः खुशियों के रंग भर सके दूर्यभाग्यवश ऐसे लोगो की सरकार भी आर्थिक सहयोग नही कर पा रही है। हद तो तब है जब वर्तमान समय मे यदि कोई किसी रोग से ग्रसित होता है तो निजी चिकित्सालयो का महंगा उपचार उन पीड़ित परिवारों पर एक और घाव हो जाता है।

जो नई पीढ़ियों को निर्बल और निर्बल करने में सहायक है साथ ही साथ कुछ वर्ग तो ऐसे है। जो स्वाभिमान के आगे स्वयं को मृत्यलोक की ओर ले जाते है। ऐसे वर्ग के लोग न किसी से कुछ कह पाते है, न किसी से माँग व ले पाते है जिससे भूख व उपचार न कर पाने के कारण मृत्यु दर की संख्या में बढोत्तरी करते जाते है। यूँ तो आज केंद्र व राज्य शासन द्वारा जो भी सहयोग किया गया है। वह कुछ समय तक के लिये तो राहत हो सकती है पर मेरा केंद्र व राज्य शासन से अनुरोध है कि सहयोग के रूप में निम्न बिंदुओं जैसे शिक्षा शुल्क छः माह माफ़, बिजली शुल्क तीन माह माफ़ घरेलू गैस का दाम आधा व निजी चिकित्सालयो में परामर्श सेवा निशुल्क व शरीर का सामान्य परीक्षण शुल्क 50 प्रतिशत तक माफ़ जैसे बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित कर संज्ञान में लेते हुए आवश्यक कार्यवाही करने का कष्ट करें तभी इस महामारी के समय अधिकतम समस्याओं का समाधान हो सकेगा।