छोटी बात पर,फटकार अच्छी नहीं होती,अफवाहों की दीवार पक्की नहीं होती।
घर है तो दीवारें लाज़मी होगी ही, दिलों में दीवार अच्छी नहीं होती।।
फरेबी किसका सगा हुआ आज तक, उसकी कोई गुहार सच्ची नहीं होती।
सादा, सच्चे,मासूम है जो लोग, उनसे तकरार अच्छी नहीं होती।।
एक बार रूठे को सलीके से मनाइये, बार बार मनुहार अच्छी नहीं होती।
राम ने भी रावण का वध किया, टपकती लार हर नार पर अच्छी नहीं होती।
पंख लागकर उड़ने दो उन्हें आकाश में, नसीहत की बौछार अच्छी नही होती।
गर्म बयार बह रही शहर में अब, महफूज घर की,कच्ची दीवार नही होती।