पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन के लिये वृक्षारोपण किया जाना नितान्त आवश्यक-केशव प्रसाद मौर्य

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लखनऊ। भारत प्राचीन समय से ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर सदैव सजग रहा, इसी कारण उसने संवैधानिक स्तर पर भी पर्यावरण संरक्षण की तरफ ध्यान दिया। हमारे देश में पर्यावरण के अनुकूल एक समृद्ध संस्कृति भी रही है यही कारण है कि देश में हर स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के प्रति ध्यान दिया गया और हमारे संविधान निर्माताओं ने इसका ध्यान रखते हुए संविधान में पर्यावरण की जगह सुनिश्चित की। पर्यावरण को संवैधानिक स्तर पर मान्यता देते हुए इसे सरकार और नागरिकों के संवैधानिक दायित्व से जोड़ा गया।

विश्व पर्यावरण दिवस पर मुख्यमंत्री ने चन्दन का पौधा रोपित किया

‘‘विश्व पर्यावरण दिवस‘‘ के पुनीत अवसर पर उ0प्र0 के उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य देश व प्रदेशवासियों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। देश व प्रदेशवासियों को विश्व पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएं देते हुए श्री मौर्य ने कहा हम सब लोग वातावरण को स्वच्छ रखने तथा वृक्षों को संरक्षित रखने की संगठित रूप से प्रयास करें, तभी आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित पर्यावरण दे पाएंगे । उन्होने लोगों से अपील की है कि हम अपने मित्रों व आसपास के लोगो को पर्यावरण सुरक्षा हेतु प्रेरित करें व अधिक से अधिक पौधे लगाएं।

पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण अहम पहल है, क्योंकि जीवनदायनी ऑक्सीजन का एकमात्र स्त्रोत वृक्ष ही हैं। मानव जीवन वृक्षों पर ही निर्भर है। यदि वृक्ष नहीं रहेंगे तो धरती पर जीवन संकट में पड़ जाएगा।

केशव प्रसाद मौर्य ने आम जनमानस का आह्वान किया है कि सभी लोग पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन में अपना योगदान दें तथा अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें। उन्होने कहा कि सम्पूर्ण मानवता का अस्तित्व प्रकृति पर निर्भर है, स्वस्थ्य एवं सुरक्षित पर्यावरण के बिना मानव समाज की परिकल्पना अधूरी है। केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि हम सभी लोग संकल्पित होकर न केवल वृक्षारोपण करें, बल्कि लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति सचेत और सजग करते हुये अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने के लिये प्रेरित भी करें।


पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन की महत्ता व उसके महत्व को समझने की अपील की। श्री मौर्य ने कहा कि हम सभी लोग यथासम्भव वृक्षारोपण करें और लगाये गये व लगाये जाने वाले पौधों की सुरक्षा का संकल्प लें।

भारत प्राचीन समय से ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर सदैव सजग रहा, इसी कारण उसने संवैधानिक स्तर पर भी पर्यावरण संरक्षण की तरफ ध्यान दिया। हमारे देश में पर्यावरण के अनुकूल एक समृद्ध संस्कृति भी रही है यही कारण है कि देश में हर स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के प्रति ध्यान दिया गया और हमारे संविधान निर्माताओं ने इसका ध्यान रखते हुए संविधान में पर्यावरण की जगह सुनिश्चित की। पर्यावरण को संवैधानिक स्तर पर मान्यता देते हुए इसे सरकार और नागरिकों के संवैधानिक दायित्व से जोड़ा गया।