मंडल कमीशन के आँकड़ों के आधार पर कहा जाता है कि भारत में ओबीसी आबादी 52 प्रतिशत है।
भारत में आजादी के बाद से अब तक जनगणना में हर बार जातियों के आधार पर गणना की मांग की जाती है।हर बार कई नेता जोरशोर से इस मुद्दे को उठाते हैं लेकिन हर बार सरकार इससे इनकार कर देती है। क्या है इसकी वजह और अब तक सरकार की ओर से ऐसा नहीं करने की क्या वजह दी जाती रही है। मान लीजिए जातिगत जनगणना होती है तो अब तक की जानकारी में जो आँकड़े हैं, वो ऊपर नीचे होने की पूरी संभावना है। मान लीजिए ओबीसी की आबादी 52 प्रतिशत से घट कर 40 फ़ीसदी रह जाती है, तो हो सकता है कि राजनीतिक पार्टियों के ओबीसी नेता एकजुट हो कर कहें कि ये आँकड़े सही नहीं है,और मान लीजिए इनका प्रतिशत बढ़ कर 60 हो गया, तो कहा जा सकता है कि और आरक्षण चाहिएसरकारें शायद इस बात से डरती है।चूँकि आदिवासियों और दलितों के आकलन में फ़ेरबदल होगा नहीं, क्योंकि वो हर जनगणना में गिने जाते ही हैं, ऐसे में जातिगत जनगणना में प्रतिशत में बढ़ने घटने की गुंज़ाइश अपर कास्ट और ओबीसी के लिए ही है। आज तक कांग्रेस के नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक और भाजपा के अटल बिहारी बाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी तक ओबीसी की जाति आधारित जनगणना क्यों नहीं कराया?वर्तमान भाजपा की केंद्र सरकार ने सुप्रिम कोर्ट में जाति आधारित जनगणना न कराने का हलफनामा क्यों दिया….?
क्योंकि दोनों ब्राह्मणों की पार्टियां हैं और दोनों को पता है कि—–
- ओबीसी की जाति आधारित जनगणना कराने से केंद्र के पास जनसंख्या का डाटा उपलब्ध रहेगा और प्रतिनिधित्व संबंधित कोई भी केश हाईकोर्ट या सुप्रिम कोर्ट में जाने पर वह जनसंख्या का डेटा पेश करने को कहते हैं जातिवार जनगणना होने पर मजबूरन केन्द्र को वह डाटा देना पड़ेगा जिससे ओबीसी के प्रतिनिधित्व की लड़ाई मजबूत होगी!
- ओबीसी वर्ग की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति क्या है यह जानकारी सार्वजनिक हो जायेगी!
- ओबीसी वर्ग शिक्षण संस्थाओं और नौकरियों में कितने प्रतिशत है? उच्च शिक्षा एवं प्रोफेशनल शिक्षा प्राप्त लोग कितने प्रतिशत हैं? वह सबको मालूम पड़ जायेगा!
- प्रत्येक विभाग में आज तक ओबीसी की कितनी जगहें भरी गई हैं और कितनी रिक्त हैं इसकी भी जानकारी हो जायेगी।
- शासन-प्रशासन में ओबीसी की भागीदारी कितने प्रतिशत है? यह जानकारी भी सार्वजनिक हो जायेगी।
- ओबीसी वर्ग की कौन कौन सी जातियां अधिक पिछड़ी हैं? उनकी आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन की सबको जानकारी हो जायेगी।
- डाटा डिक्लियर होने के बाद ओबीसी की संख्या निश्चित हो गई तो भारत के बजट में ओबीसी के विकास के लिए ओबीसी की जनसंख्या के अनुपात में बजट सुरक्षित रखना पड़ेगा।
- ओबीसी की जाति आधारित जनगणना हुई तो ओबीसी वर्ग की गरीबी व बेरोजगारी का आंकड़ा भी सामने आ जायेगा यह भी पता चल जाएगा कि ओबीसी वर्ग में कितने प्रतिशत लोग गरीबी में जीवन जी रहे हैं ?
- केंद्र सरकार को ओबीसी के लिए अलग से बजट की व्यवस्था करनी पड़ेगी।
- और यह सब जानकारी इन लोगों (ओबीसी) को होने के बाद वे अपने हक अधिकार के रास्ते पर उतरकर आंदोलन शुरू कर देंगे। उन्हें यह भी पता चल जाएगा कि आजादी मिलने से लेकर आज तक उनका हिस्सा कौन खा रहा था…?