जीवन में योग एक पद्धति

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दैनिक जीवन पद्धति में योग व्यक्ति को उसके सामाजिक एवं पारिवारिक दायित्त्वों का निर्वाह करते हुए स्वमुक्ति के प्रयास में पूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करती है।इस पद्धति की रचना अभ्यासकर्ता की आयु एवं शारीरिक दशा के उपरान्त भी क्रमिक एवं निरन्तर विकास के योग्य बनाती है।

मानसिक स्वास्थ्य

सामान्यत, हम मन और इंद्रियों को नियंत्रण में रखने की अपेक्षा इनसे ही जीवन में चलते हैं। तथापि, मन पर नियंत्रण करने के लिए हमें इसे आंतरिक विश्लेषण के अधीन लाना चाहिए और इसको शुद्ध करना चाहिए। नकारात्मक विचार और आशंकाएँ हमारे नाड़ी तंत्र में और उसके द्वारा शारीरिक कार्य में एक असंतुलन पैदा करते हैं। यह बहुत सारी बीमारियों और दु:ख का कारण है। विचार की स्पष्टता, आंतरिक स्वतंत्रता, संतोष और एक स्वस्थ आत्मविश्वास, मानसिक कल्याण का आधार है। यही कारण है हम क्रमिक रूप से अपने नकारात्मक गुणों और विचारों का हल करने का यत्न करते हैं और सकारात्मक विचारों और व्यवहारों को विकसित करने का लक्ष्य अपने सम्मुख रखते हैं और तद् नुसार कार्य करते हैं।

“दैनिक जीवन में योग” पुस्तक मानसिक कल्याण प्राप्त करने के लिए असंख्य विधियां प्रस्तुत करती है: मंत्र अभ्यास , अभ्यास, नैतिक सिद्धान्तों का पालन, सत्संग करना, मन को शुद्ध और स्वतंत्र करने के लिए प्रेरक ग्रंथों का अध्ययन। आत्मान्वेषण और आत्म ज्ञान में एक महत्वपूर्ण उपकरण “आत्म मनन ध्यान” आत्म विश्लेषण की चरणबद्ध तकनीक है। इस ध्यान अभ्यास में हम अपने अवचेतन, हमारी इच्छाओं, जटिलताओं, आचरण के प्रकारों और पक्ष-विपक्ष के संपर्क में आते हैं। यह अभ्यास हमको अपनी प्रकृति, स्वभाव तक परिचित करवा देता है। यह तकनीक हमको नकारात्मक गुणों और स्वभाव से दूर करने के योग्य बनाती है और जीवन में समस्याओं के बेहतर ढंग से प्रबंध करने में सहायता करती है।

सामाजिक स्वास्थ्य

सामाजिक स्वास्थ्य, स्वयं अपने अंदर ही खुश होने की और अन्य लोगों की खुशी बनाने, रखने की योग्यता है। इसका अर्थ है अन्य लोगों के साथ वास्तविक संपर्क व समाज में उत्तरदायित्व ग्रहण करना और समाज के हित के लिए कार्य करना। सामाजिक स्वास्थ्य का अर्थ जीवन को इसके संपूर्ण सौंदर्य में अनुभव करना और तनावहीनता में बिताना है।

योगी को दिल्ली किया गया तलब

हमारे युग की बढ़ती हुई समस्याओं में मादक, नशीले पदार्थों का सेवन है। यह सामाजिक बीमारी का एक साफ लक्षण है। “दैनिक जीवन में योग” की प्रणाली इस रोग का शमन या निरोध करने में सहायक हो सकती है और जनता को एक नया, सार्थक उद्देश्य और जीवन में प्रयोजन प्रदान कर सकती है। एक अच्छे, सकारात्मक सत्संग का हमारे मानस पर महान् सत् प्रभाव पड़ता है। क्योंकि ऐसा साहचर्य हमारा व्यक्तित्व और चरित्र को ढालता है और निरूपित करता है। सत्संग आध्यात्मिक विकास में अति महत्व रखता है।

“दैनिक जीवन में योग” का जीवन बिताने का अर्थ अपने स्वयं के लिए और लोगों के लिए कार्य करना है। इसका अर्थ अपने पड़ोसियों के लिए और समाज के लिए मूल्यवान और रचनात्मक कार्य करना, प्रकृति और पर्यावरण को बनाए रखना और विश्व में शांति के लिए कार्य करना है। योग का अभ्यास करने का अर्थ सार्थक सकारात्मक भावना में रहना और सभी मानव जाति के कल्याण के लिए कार्य करने में सक्रिय रहना है।