अर्थव्यवस्था के प्रबंधन पर पी0 चिदंबरम का तंज

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पूर्व वित्त मंत्री ने जीएसटी के मुआवजे के मुद्दे पर राज्यों के समक्ष कर्ज लेने का विकल्प रखे जाने को लेकर भी केंद्र सरकार पर हमला किया, उन्होंने निर्मला सीतारमण की टिप्पणी को लेकर उन पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, ‘अगर महामारी ‘दैवीय घटना’ है तो हम वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-2020 के दौरान अर्थव्यस्था के कुप्रबंधन की कैसे व्याख्या करेंगे…? क्या वित्त मंत्री ‘ईश्वर की दूत’ के तौर पर जवाब देंगी….? अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी से प्रभावित हुई है, जो कि एक दैवीय घटना है और इससे चालू वित्त वर्ष में संकुचन आएगा। चालू वित्त वर्ष में जीएसटी राजस्व प्राप्ति में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी का अनुमान लगाया गया है। निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि स्पष्ट रूप से जीएसटी क्रियान्वयन के कारण जो क्षतिपूर्ति बनती है, केंद्र उसका भुगतान करेगा।

कांग्रेस वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के ‘दैवीय घटना’ वाले बयान पर शनिवार को उन पर निशाना साधा है। चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा,  वित्तमंत्री मैसेंजर ऑफ गॉड के तौर पर कृपया जवाब दें कि कोरोना महामारी से पहले अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन का वर्णन कैसे करेंगे…?

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा था कि अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी से प्रभावित हुई है, जो कि एक दैवीय घटना है और इससे चालू वित्त वर्ष में इसमें गिरावट आएगी। चिदंबरम ने इसी बयान पर पर तंज कसते हुए ट्वीट किया कि अगर महामारी दैवीय घटना है तो हम वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-2020 के दौरान अर्थव्यस्था के कुप्रबंधन की कैसे व्याख्या करेंगे? क्या वित्तमंत्री ईश्वर की दूत के तौर पर जवाब देंगी….?

केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी के  मुआवजे के मुद्दे पर राज्यों के समक्ष कर्ज लेने का विकल्प रखे जाने को लेकर पर भी हमला बोला। उन्होंने जोर देकर कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति अंतर को पाटने के लिए मोदी सरकार ने राज्यों को जो दो विकल्प दिए हैं, वे अस्वीकार्य हैं। पहले विकल्प के तहत राज्यों से कहा गया है कि वे अपने भावी प्राप्तियों को क्षतिपूर्ति उपकर के तहत उधार लें। चिदंबरम ने कहा कि वित्तीय बोझ पूरी तरह से राज्यों पर पड़ता है। दूसरे विकल्प के तहत, राज्यों को आरबीआई विंडो से उधार लेने के लिए कहा गया है। यह मुख्य तौर पर बाजार उधार है, केवल इसका नाम अलग है। फिर, संपूर्ण वित्तीय बोझ राज्यों पर पड़ता है। चिदंबरम ने दावा किया कि केंद्र सरकार वित्तीय जिम्मेदारियों से खुद को दूर कर रही है। ये घोर विश्वासघात है और साथ ही कानून का सीधा उल्लंघन भी।