आपदा में अवसर

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— रविकान्त
लखनऊ, कोरोना काल में आपदा में अवसर तलाशने के तमाम मामले ज़िला प्रशासन स्तर पर देखने को मिलें हैं लेकिन इसमें शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी किसी मामले में पीछे नहीं हैं । हाल ही में एक ऐसा मामला संज्ञान में आया जिसे आपदा में अवसर का उत्कृष्ट उदाहरण कहा जा सकता है। राजधानी लखनऊ में तैनात बेसिक शिक्षा विभाग की एक खण्ड शिक्षा अधिकारी जिनके ऊपर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और उसके लिए बेहतर वातावरण सुनिश्चित कराने की ज़िम्मेदारी है वह स्वयं ही माहौल बिगाड़ने और स्कूलों के कमरे, फ़र्नीचर , कम्प्यूटर और ज़मीनों को हथियाने में व्यस्त हैं।

ज्ञात हो कि कोरोना संक्रमण के चलते स्कूलों में बच्चों के आने पर अभी प्रतिबंध है इसी का फ़ायदा उठाते हुए खण्ड शिक्षा अधिकारी ज़ोन-2 नूतन जायसवाल ने पूर्व माध्यमिक विद्यालय (बालक) चिनहट के तीन कमरों पर क़ब्ज़ा कर लिया और उसे अपना कार्यालय घोषित कर खुद ही मुख्य अतिथि के रूप में नारियल फोड़ दिया और लड्डू भी वितरित करवा दिए, नूतन जायसवाल यहीं नहीं रुकी बग़ैर किसी लिखा पढ़ी के मटियारी और ग़ुलाम हुसैन पुरवा से कम्प्यूटर प्रिंटर और कुछ फर्नीचर उठवा लिया यह कम्प्यूटर बच्चों को कम्प्यूटर का ज्ञान देने के लिए सरकार ने दिए थे किंतु जब अधिकारी स्वयं लुटेरे हो जाएँ तो शिक्षक क्या करें।

नूतन जयसवाल के इस कारनामे की पड़ताल करने रिपोर्टर जब पूर्व माध्यमिक विद्यालय (बालक) चिनहट पहुँचा तो देखा यह वही विद्यालय है जिसे सरकार ने पूरे लखनऊ के लिए एक मॉडल के रूप में विकसित कराया था जिसे देखकर अन्य स्कूल भी वैसे ही बन सके , स्कूल में बच्चों के लिए हर कक्षा के अलग-अलग कमरे,विज्ञान प्रयोगशाला , पुस्तकालय, स्टाफ़ कक्ष , प्रधानाध्यापक कक्ष और बच्चों के लिए एक छोटा हाल जिसमें सभी कक्षा के बच्चे किसी विशेष कार्यशाला या बैठक में प्रतिभाग कर सकते हैं।

साथ ही विद्यालय के प्रांगण को चारों ओर से पेड़ पौधों और फूलों से कुछ इस तरह सजाया गया कि जिससे बच्चों को पढ़ाई लिखाई का एक अलग माहौल मिल सके । लेकिन बच्चों के लिए की गई इस मॉडल स्कूल की व्यवस्था की रौनक़ खण्ड शिक्षा अधिकारी नूतन जायसवाल को इस क़दर भा गयी कि उन्होंने मॉडल स्कूल का पूरा मॉडल अपने अनुरूप बनाने की ठान ली है और दो कमरों और और एक हाल को अपना स्वघोषित कार्यालय बना डाला है जिसका ख़ामयाजा आने वाले समय में बच्चों को भुगतना पड़ेगा।

बीएसए आफिस चौक से अपना कार्यालय स्वस्थानांतरण की वजह की पड़ताल की गयी तो वजह चौकाने वाली थी दरअसल नूतन जायसवाल ने इसे कार्यालय नहीं बल्कि वसूली और दलाली का अड्डा बनाया है तरह-तरह से शिक्षकों से पिछले कई वर्षों से पाँच हज़ार से 10 हज़ार तक की वसूली की जाती रही है जिसकी चर्चा बीएसए कार्यालय में रहते इधर-उधर होने लगी थी। इसी क्रम में नूतन जायसवाल ने बग़ैर किसी लिखा पढ़ी के बग़ल के ही स्कूल में तैनात सेवक सुधीर कुमार मिश्रा को अपने नए कार्यालय में कम्प्यूटर ऑपरेटर के रूप में बैठा लिया है।

पूछने पर पता चला उसे कम्प्यूटर का तनिक भी ज्ञान नहीं है, सूत्र बताते हैं नूतन मैडम की सारी वसूली सुधीर मिश्रा के माध्यम से ही की जाती है कार्यालय बनाने के नाम पर भी आस पास के चार पाँच स्कूलों से दो हज़ार से पाँच हज़ार तक की वसूली हुई है , एक अफ़वाह यह भी है कि सेवक सुधीर मिश्रा नूतन जायसवाल के ससुराल पक्ष से रिश्तेदार है रिश्ते में देवर है सुधीर मिश्रा नूतन जयसवाल के पति श्रीमान मिश्रा जी का दूर के रिश्ते में भाई है , इसीलिए एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी पर एक खण्ड शिक्षा अधिकारी का इस क़दर लेन-देन वसूली आदि के लिए विश्वास है।

यह कार्यालय सक्षम स्तर से अनुमोदन प्राप्त किए बग़ैर ही स्थापित हो चुका है जो कि पूर्णतया असंवैधानिक है । नूतन जायसवाल खण्ड शिक्षा अधिकारी के रूप में पिछले पाँच से अधिक वर्षों से लखनऊ में ही तैनात हैं इस पूरे प्रकरण में यदि उच्च स्तरीय जाँच की जाए तो वसूली और दलाली की परतें तो खुलेंगी ही और भी कुछ नाम उजागर होंगे लेकिन इसी खण्ड जोन 2 में तैनाती रहते जाँच निष्पक्ष हो पाना सम्भव नहीं है क्योंकि समय-समय पर मोटी रक़म देने का दावा करने वाले शिक्षक भी मैडम के ख़ौफ़ में अपना नाम ना छापने के लिए हाथ पैर जोड़ते नज़र आए।