एमएसएमई बना योगी सरकार का अमोघ अस्त्र

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डॉ0 लोहिया के सामाजिक सरोकार-चिंताओं का निवारण कर रहे – योगीआदित्यनाथ 

      वर्तमान काल कोरोना वायरस “कोविड19” संकट काल का है ।चीन से निकला यह वायरस मनुष्य के जीवन की बड़ी त्रासदी साबित हो चुका है ।स्वास्थ्य सेवाओं में अव्वल,आर्थिक तौर पर सक्षम-सर्वोत्तम देशों में कहर बनकर भय और मृत्यु का तांडव कर रहे इस कोरोना वायरस से मुकाबला करने की चुनौती को भारत ने अपने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में स्वीकार की ।जनताकर्फ्यू से शुरू हुआ कोरोना विरुद्ध युद्ध लॉकडाउन के 4 चरणों को पार करके अनलॉक 1 में प्रविष्ट कर चुका है।

     देश का बड़ा राज्य होने के नाते निःसंदेह उत्तर प्रदेश के सम्मुख इस महामारी कोरोना से मुकाबिल होने के लिए कई बाधायें भी सम्भावित थी।यह सर्वविदित है कि उप्र के मुख्यमंत्रित्व पद दायित्व का निर्वाहन योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं और उन्होंने तमाम बाधाओं पर सफलतापूर्वक जीत भी प्राप्त की।योगी आदित्यनाथ को बतौर सांसद – एक विपक्षी दल के नेता जनहित के लिए सरकारों एवं भ्रष्ट नौकरशाही से लड़ने के कारण उनके  तेवरों की वजह से पसन्द किया जाता रहा है। कौन भूल सकता है और कैसे यह ऐतिहासिक तथ्य कोई भुला सकता है कि संचार रोगों खासकर जे एस की रोकथाम-बचाव एवं उपचार के लिये सबसे अधिक मुखरित स्वर योगी आदित्यनाथ का ही रहा है ।एक कर्मयोगी की भाँति योगी आदित्यनाथ ने सांसद रहे हों या वर्तमान में मुख्यमंत्री हैं : हमेशा अपने लोकतान्त्रिक दायित्वों का पूर्ण मनोयोग से पालन किया। 

      वर्तमान कोरोना संकट काल में भी हमने विभिन्न बाधाओं को कुशलता पूर्वक पार करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देखा है।निर्णय लेने में सहजता-तत्परता के साथ साथ नौकरशाहों की एक जिम्मेदार टीम बनाकर उनको जवाबदेह बनाकर नियमित समीक्षा करके जनहित कार्यक्रमों के क्रियान्वयन को पूर्ण करवाना योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व कुशलता को सिद्ध करता है।कोरोना संकट काल में उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किये गए जनहितकारी निर्णयों-कार्यों में से प्रमुख तौर पर उप्र के जनों – प्रवासी श्रमिकों के लिए किये गए निर्णय हैं। 


      उत्तर प्रदेश देश में सर्वाधिक एमएसएमई इकाइयों वाला राज्य है। प्रदेश में लगभग तीन करोड़ लोग एमएसएमई क्षेत्र से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।योगी आदित्यनाथ सरकार एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी ) योजना के द्वारा सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई ) को तीव्र गति देने के प्रयास में थी लेकिन कोरोना वायरस संकट के कारण यह अभिनव योजना बाधित हुई । लेकिन केंद्र सरकार द्वारा 20 लाख करोड़ रु के पैकेज से इस योजना को पुनः तीव्र गति मिलना तय हुआ। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री उप्र के शब्दों में  “केंद्र सरकार की इस घोषणा से इन लोगों को भी ताकत मिलेगी। हमारी सरकार ने एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) की अभिनव योजना के जरिए एमएसएमई क्षेत्र में नयी जान फूंकने की कोशिश की थी लेकिन कोरोना संकट के कारण इसमें रुकावट आई। एमएसएमई क्षेत्र के लिए तीन लाख करोड़ रुपए के कर्ज़ की घोषणा, इस सेक्टर में काम करने वाले लोगों को अलग से मदद करने के साथ ही इस सेक्टर के कर्मियों की ईपीएफ की समस्या का समाधान करने के लिए भी जो महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, वे अभिनंदनीय हैं। “

        सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) की मजबूती से एक सशक्त – आत्मनिर्भर समाज का निर्माण अवश्यम्भावी है। समाज की बेहतरी हेतु लिए गए उप्र के कर्मयोगी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्णय सराहनीय हैं। जनहित से जुड़े सरोकार और सरकार के कर्तव्य की बात हो तो समाजवादी चिंतक-पुरोधा डॉ राम मनोहर लोहिया का स्मरण आना स्वाभाविक ही है। गँगा सफाई हो ,श्रमिकों की हित चिंता या सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्योग आदि डॉ लोहिया के विचार-चिंतक पथप्रदर्शक साबित हुए हैं ।मनुष्य के श्रम का मोल एक समान हो, गैर बराबरी हर जगह से खत्म होने से ही समाजवाद की अवधारणा पूरी हो सकती है।डॉ लोहिया युवाओं को काम,किसानों को उपज का वाजिब दाम,छोटे-लघु कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन देने के प्रबल पक्षधर थे।डॉ0 लोहिया के समाजवादी विचारों के अनुपालन से समाज में न्याय-समता-समानता स्थापित हो सकती है ।डॉ0 लोहिया के विचारों के अनुपालन से जनकल्याणकारी राज्य का स्वरूप सामने आता ही है ।डॉ राम मनोहर लोहिया एक युगदृष्टा थे। समाज की बेहतरी के लिए ,समता मूलक समाज की स्थापना के लिए उन्होंने ना सिर्फ विचारों को सार्वजानिक पटल पर प्रस्तुत किया बल्कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार और प्रधानमन्त्री नेहरू को सड़क से लेकर सदन तक अपने वक्तव्यों -जनसंघर्षों से घेरा भी ।गैरकांग्रेसवाद के जनक और वंशानुगत राजनीति के धुर विरोधी डॉ लोहिया की सप्त क्रांति पठनीय एवं अनुकरणीय है।

      डॉ0 लोहिया के विचारों की रौशनी में अगर योगी आदित्यनाथ सरकार के निर्णयों -प्रयासों को देखें तो एक उजली आशा का दीपक प्रज्ववलित दिखता है ।स्पष्ट परिलक्षित होता है कि योगी आदित्यनाथ स्थानीय बेरोजगारी के कारणों को समझ कर निवारण की दिशा में अग्रसर हैं ।उनका न्यूनतम पूँजी-न्यूनतम जोखिम सम्बन्धी वक्तव्य हो या स्थानीय स्तर पर ही एमएसएमई के माध्यम से रोजगार उपलब्धता की बात हो यह स्पष्ट दर्शाता है कि उनकी नीयत के साथ ही साथ नीति भी जनहितकारी एवं व्यवहारिक है ।अभी सिर्फ इतना कि हमें यह भी स्मरण होना चाहिए कि डॉ लोहिया यह भी कह गए हैं कि ” लोग मेरी बात सुनेंगे जरूर लेकिन मेरे मरने के बाद ।” आज लोहिया दैहिक रूप से हमारे बीच नही हैं लेकिन उनके सिद्धान्त-विचार पथप्रदर्शक के तौर पर मौजूद हैं । मन्थन तो होगा ही कि डॉ लोहिया के समाजवादी मूल्यों-सिद्धान्तों-विचारों के अनुपालन में कौन कितना समीप है और कौन कितना दूर है ? चिंतन-मनन करिये तो कि डॉ लोहिया के राष्ट्र प्रथम,गैरकांग्रेसवाद, नदियाँ साफ़ करो और सप्त क्रांति पर ……