कमजोर मानता था औरतों को,मारा गया

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दनु हुए एक. उनके तमाम बच्चे दानव कहाए. उन्ही में से एक थे रंभ. रंभ को पानी में रहने वाली एक भैंस त्रिहायणी पसंद आई. उसी से महिषासुर पैदा हुआ. महिषासुर एक्स मेन वाली मिस्टीक से कम न था. जब चाहता तो आदमी बन जाता जब चाहे तो भैंसा.राजा बना तो ब्रह्मा जी की बड़ी भारी तपस्या की. दस हजार साल. ब्रह्मा जी ने कहा मांग बच्चा वरदान मांग. उसने कहा, अमर कर दो हमको. ब्रह्मा जी ने कहा- सॉरी बेटा. ये तो न हो सकेगा. समथिंग एल्स? तो महिषासुर ने कहा- बाकी तो भगवान का दिया सबकुछ है ही. बस ये आशीर्वाद दीजिए कि देव, दानव और मानव में से कोई हमें मार न पाए. और औरतें तो वैसे भी छुईमुई होती हैं. वो तो कभी मार पाएंगी नहीं.ब्रह्मा जी सारकास्टिक हंसी हंसे बोले तथास्तु. ब्रह्मा जी का आशीर्वाद पाते ही वो बउरा गया. पृथ्वी जीत लिया, स्वर्ग जीत लिया, इंद्र को हरा दिया. देवताओं को भगा दिया.सब हारे-हारे गए ब्रह्माजी के पास. वहां से भगे शंकर जी के पास. वो ले गए सबको विष्णु जी के पास. विष्णु जी से पूछे अब क्या हो? कौन मारेगा इस राक्षस को? उनने कहा कि अब तो यही होगा कि सबकी पॉवर्स मिलाई जाए और और उससे एक ऐसी देवी बनें जो इस राक्षस को मार सके.इस तरह से देवी दुर्गा प्रकट हुईं. उनसे सबने महिषासुर की शिकायत लगाई. वो मुस्काईं बोली. भैंसासुर को मैं मार दूंगी तुम लोग डरो मत.


      महिषासुर ने उनके बारे में सुना तो लड़ने पहुंच गया. लड़ने आया तो उसका प्लान बदल गया देवी के सामने हैंडसम सा आदमी बनकर पहुंचा और ब्याह का प्रपोजल दे दिया. देवी उसके ठरकपन पर हंसीं और उससे लड़ाई करने लगीं. दुर्गा जी ने पहले उसके कई सेनापति मारे. अपने कई सैनिक प्रकट कर उसकी सेना को मारा. नौ दिन लड़ाई की और दसवें दिन की लड़ाई में उसे मार डाला. वो कभी भैंसा बनता कभी आदमी. देवी ने उसकी घुटकी काट दी. गर्दन कटी तो वो भैंसे वाला मुंह निकालने लगा. देवी ने उसकी जीभ पर त्रिशूल मारी और उसको माड्डाला. बाकी सेना भाग गई.देवताओं ने उनकी जय-जय बोली. देवी ने सबको आगे भी कुछ इशू होने पर हेल्प करने का प्रोमिस किया और अंतर्ध्यान हो गईं.

                                                                                                 -स्त्रोत- देवी भागवत पुराण