किंजल सिंह नेआई0ए0एस0 बन पूरा किया सपना

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किंजल सिंह 2007 बैच की आई0ए0एस0 अधिकारी हैं जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश कैडर में तैनात हैं। वह एक साधारण आई0ए0एस0 अधिकारी नहीं हैं, आई0ए0एस0 अधिकारी बनने के संघर्ष को उनके परिवार के लिए न्याय पाने के निश्चित उद्देश्य से भी जोड़ा जा सकता है।किंजल सिंह जो 2008 बैच की आईएएस अधिकारी है। उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना रखी है, जो काफी तेज-तर्रार अफसर है। इनके काम करने के अलग अंदाज से जिले के सारे अपराधीय इनके नाम से ही कापने लगते हैं। किंजल सिंह थारु जनजाति की लड़कियों को मेन स्ट्रीम में लाने के लिए विशेष प्रोजेक्ट चला रही हैं, जिसमे लड़कियों को लो कॉस्ट बिल्डिंग मटेरियल, पेपर बनाने के अलावा अपने स्वास्थ्य पर कैसे ध्यान दे यह भी सिखाया जा रहा है। किंजल जब 6 महीने की थीं तभी उनके पिता की एनकाउंटर में हत्या कर दी गई थी। उन्होंने अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर ये मुकाम पाया है।

आईएएस किंजल सिंह का जन्म 5 जनवरी 1982 को यूपी के बलिया में हुआ था । इनके पिता केपी सिंह यूपी पुलिस में डिप्टी एसपी थे। उनके पिता केपी सिंह बेहद कड़क और तेजतर्रार पुलिस अफसर थे। उनकी नाम सुनते ही बड़े से बड़े अपराधियों की हालत पतली हो जाती थी।किंजल जब केवल 6 माह की थी उसी समय उनके यहां एक ऐसी घटना घटी जिससे उनकी पूरी जिंदगी ही बदल गई । ये बात 12 मार्च 1982 की है । उस समय किंजल के पिता केपी सिंह गोंडा जिले में तैनात थे । उन्हें एक गांव में कुछ अपराधियों के छिपे होने की सूचना मिली । केपी सिंह ने पुलिस बल के साथ गांव में घेराबंदी की । दोनों ओर से गोलियां चलीं।

किंजल के पिता डीएसपी केपी सिंह भी गोलेबारी में घायल हुए । बताया जाता है कि उनके अधीनस्थों की अपराधियों के साथ मिली भगत थी । इसी का फायदा उठाते हुए उनके साथ रहे पुलिसकर्मियों ने उन्हें गोली मार दी। अस्पताल ले जाने के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया । बाद में आरोप लगा कि डीएसपी केपी सिंह की हत्या अपराधियों की गोली से नही बल्कि उन्ही के मातहतों द्वारा की गई है । इस मामले को सी0बी0आई0 को ट्रांसफर किया गया। पिता की मौत के समय किंजल की मां विभा सिंह गर्भवती थी। उन्होंने 6 माह बाद एक और बेटी को जन्म दिया जिसका नामा प्रांजल रखा गया। पिता की मौत के बाद इस परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। सरकार ने डीएसपी केपी सिंह की मौत के बाद उनकी पत्नी विभा सिंह को वाराणसी के ट्रेजरी आफिस में नौकरी दे दी। किंजल की मां विभा सिंह भी अपने पति की तरह बेहद साहसी और निर्भीक महिला थीं। उन्होंने पति के हत्यारों को उनके किए की सजा दिलाने की ठान ली थी। वह अपनी बेटी किंजल और प्रांजल को गोद में लेकर बलिया से सी0बी0आई0 कोर्ट दिल्ली का सफर तय करती थी। 

मां जब लोगों से कहती थीं कि वे अपनी दोनो बेटियों को आइएएस अफसर बनाएंगी तो लोग उन पर हंसते थे। मां की तनख्वाह का एक बड़ा हिस्सा उस मुकदमे की फीस व अन्य खर्च में चला जाता था जो जिसे जीतना उनकी जिन्दगी का मकसद बन चुका था। धीरे-धीरे किंजल और प्रांजल दोनों बहनें बड़ी हुईं । शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद किंजल ने दिल्ली के श्रीराम कालेज में दाखिला लिया । वहां किंजल ग्रेजुएशन के पहले सेमेस्टर में ही थे तभी पता चला कि उनकी मां को कैंसर जैसी घातक बीमारी हो गई है । लेकिन उनकी मां बीमारी से लड़ने के साथ ही वह बेटियों के भविष्य बनाने व पति के हत्यारों को सजा दिलाने की लड़ाई भी लड़ रही थीं।  

किंजल ने देखा कि मां की तबियत तेजी से बिगडती जा रही है तब उन्होंने मां से एक वादा किया , उन्होंने कहा कि उनकी दोनों बेटियां प्रशासनिक अफसर बन कर उनका सपना पूरा करेंगी। किंजल के इस शब्द ने उनकी मां को बेहद सुकून दिया। लेकिन बीमारी से लड़ते हुए साल 2004 में उन्होंने दम तोड़ दिया। अब छोटी बहन प्रांजल की भी जिम्मेदारी किंजल के कन्धों पर आ पड़ी थी । लेकिन मां-पिता की तरह साहसी किंजल ने हिम्मत नही हारी और लगातार अपने प्रयास में लगी रही। साल 2008 में दूसरे प्रयास में वह आई0ए0एस0 के लिए सिलेक्ट हुईं। यही नही उसी साल उनकी छोटी बहन प्रांजल भी आई0आर0यस0 के लिए सिलेक्ट हुई । दोनों बहनों ने अपने मां-बाप का सपना पूरा कर दिया था । अब समय था उस सपने को पूरा करने की जो उनके मां ने पिता के हत्यारों को सजा दिलाने का सोचा था।  किंजल ने मजबूती से सी0बी0आई0 कोर्ट में पिता की हत्या का मुकदमा लड़ा और उसमे उनकी जीत हुई । 5 जून, 2013 को लखनऊ सी0बी0आई0 की विशेष कोर्ट ने डीएसपी केपी सिंह की हत्या में 18 पुलिसकर्मियों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई । उस समय किंजल सिंह बहराइच की डीएम थीं ।