ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब और निराश्रित परिवारों को मदद गौ-संरक्षण केन्द्रों के लिए विभिन्न कार्य अनुमन्य

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राज्य वित्त आयोग के अन्तर्गत कार्यांे की अनुमन्यता सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी,ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब और निराश्रित परिवारों को मदद गौ-संरक्षण केन्द्रों के लिए विभिन्न कार्य अनुमन्य।  

मंत्रिपरिषद ने राज्य वित्त आयोग के अन्तर्गत कार्यांे की अनुमन्यता सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके तहत राज्य वित्त आयोग के अन्तर्गत ग्राम पंचायत को उपलब्ध होने वाली धनराशि में से 3 प्रतिशत की धनराशि प्रतिवर्ष इन कार्याें पर व्यय किये जाने की अनुमति दी गयी है। (1) अत्यधिक गरीब और निराश्रित परिवारों में मृत्यु होने पर मृतक आश्रित को 5,000 रुपये अन्त्येष्टि हेतु प्रदान किये जाने की व्यवस्था।(2) ऐसे परिवारों में आकस्मिक रूप से बीमारी की दशा में किसी अन्य योजना यथा आयुष्मान भारत योजना, मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना में कवर न होने की दशा में उन्हें एक बार सहायता राशि के रूप में तत्काल 2,000 रुपये प्रदान किये जाने की व्यवस्था।(3) ग्राम पंचायत में अन्त्योदय श्रेणी के परिवार (इसका आशय अन्त्योदय योजना का कार्ड होने या न होने से नहीं है, अपितु निर्धनता से है) की भूख से मृत्यु न हो, ऐसे परिवार को एक बार की सहायता राशि 1,000 रुपये उपलब्ध करायी जाएगी।(4) ग्राम पंचायत में राज्य वित्त आयोग से प्राप्त होने वाली वार्षिक धनराशि का 03 प्रतिशत के अन्तर्गत उपरोक्त मदों का व्यय पूरा न हो पाने की दशा में ग्राम पंचायत द्वारा इसकी सूचना सम्बन्धित जिलाधिकारी को उपलब्ध करायी जाएगी, जो प्रभावित परिवार को टी0आर0-27 से धनराशि आहरित कर भुगतान करेंगे। जिसकी प्रतिपूर्ति मुख्यमंत्री राहत कोष से धनराशि आहरित कर सहायता राशि उपलब्ध कराएंगे।ग्राम पंचायत द्वारा उपरोक्त सहायता हेतु पात्र परिवार का चयन परिवार की निर्धनता तथा आवश्यकता के दृष्टिगत किया जाएगा। ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम प्रधान तथा पंचायत सचिव संयुक्त रूप से सहायता हेतु पात्र परिवार के चयन हेतु जिम्मेदार होंगे।प्रस्तावित योजना के अन्तर्गत पात्र व्यक्तियों/परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करते समय की वीडियोग्राफी/फोटोग्राफी कराने के साथ ही प्रत्येक लाभार्थी का फोटो एवं हस्ताक्षर सहित पूर्ण विवरण/डाटाबेस ग्राम पंचायत स्तर पर रजिस्टर में भी बनाए रखा जाना सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि वास्तविक रूप से पात्र व्यक्तियों को ही योजना का लाभ प्राप्त हो सके तथा पुनरावृत्ति की सम्भावना को भी रोका जा सके।इसके अलावा, राज्य वित्त आयोग की धनराशि के अन्तर्गत शासकीय धनराशि से स्थापित/संचालित गो-संरक्षण केन्द्रों के लिए इन कार्याें को अनुमन्य किया गया है। (1) गो-संरक्षण केन्द्र की आवश्यकता के अनुसार भूसे को भण्डार गृह तक ले जाने के लिए परिवहन लागत एवं उसमें निहित मानव श्रम पर व्यय।(2) इच्छुक कृषकों के खेतों पर अनुप्रयोजित फसल अवशेष को काट कर भूसे में परिवर्तित किये जाने हेतु मशीनरी एवं मानव श्रम पर व्यय।(3) भूसा संग्रह हेतु निर्मित किये जाने वाले परम्परागत भूसे के कूप या खोप या भक्कू या बुर्जी आदि, चाहे जिस भी नाम जाना जाए, को बनाने में लगने वाली सामग्री यथा बांस/पुआल/रस्सी आदि पर आने वाला व्यय एवं उसको बनाने हेतु भवन श्रम पर आने वाला व्यय।(4) गो-संरक्षण केन्द्रों पर संरक्षित पशुओं की संख्या को देखते हुए आवश्यकतानुसार नियोजित किये जाने वाले गो-सेवक श्रमिकों को पारिश्रमिक का भुगतान।