दलित नवयुवती का शव आधीरात जलाया क्यों….?

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राजेन्द्र चौधरी

हाथरस काण्ड में भाजपा सरकार की लीपापोती नीति के विरूद्ध प्रदेश में जनाक्रोश थम नहीं रहा है। इससे डर कर और अपना कृत्य छुपाने के लिए कुछ अधिकारियों को हटा जरूर दिया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि लेकिन न्याय की मांग है कि उन पर एफआईआर भी दर्ज हो ताकि उनसे यह सच उगलवाया जा सके कि किसके दबाव में उन्होंने आतंक फैलाया, रात में परम्परा के विपरीत दलित नवयुवती का शव क्यों जला दिया और पीड़ित परिवार को बंधक बनाकर क्यों रखा….? मीडिया व विपक्षी सांसदों तक से क्यों दुव्र्यवहार किया गया….? उन्हें पीड़िता के परिवार से क्यों नहीं मिलने दिया….?

    राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर 02 अक्टूबर 2020 को हाथरस की बेटी के लिए लखनऊ हजरतगंज स्थित जीपीओ पार्क में गांधी जी की प्रतिमा पर मौन व्रत रखकर बैठने जा रहे समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं एवं विधायकों को गिरफ्तार कर और कार्यकर्ताओं पर बर्बरता से लाठीचार्ज कर भाजपा सरकार ने सत्य की आवाज हिंसक तरीके से दबाई है। महिलाओं को गिरफ्तारी से पूर्व सड़क पर गिराकर घसीटा गया, उनके कपड़े फाड़े गए और अपमानित किया गया। यह कृत्य निन्दनीय है।

     महोबा-हाथरस की घटनाओं से लगता है प्रदेश में डीएम-एसपी के नए गैंग को जन्म दे दिया है। अपराधी और पुलिस का भी गठबंधन होने लगा है। मुख्यमंत्री जी का उन पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। ऐसे में कानून प्रिय जनता कहां न्याय के लिए जाए….? बदले की भावना से सरकारी नीतियां निर्धारित होने से विपक्ष विशेषकर समाजवादी पार्टी के नेताओं का उत्पीड़न हो रहा है। उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसाया जा रहा है। गम्भीर धाराएं लगाकर जेल भेजा जा रहा है। लोकतंत्र में ऐसा आचरण असंवैधानिक है।

     भाजपा की राज्य सरकार ने हाथरस की दलित बेटी की जिंदगी बर्बाद करने वालों पर उतनी सख्ती नहीं दिखाई जितनी वह पीड़िता के परिवार वालों पर कर रही है। दलित बेटी को मरने पर भी सम्मान से अंतिम संस्कार का हक प्रशासन ने नहीं दिया। इसकी निंदा विपक्ष ही नहीं भाजपा के शीर्ष नेताओं ने भी किया है। यह ऐसा अमानवीय कृत्य है जिसे कोई भी सभ्य समाज मान्यता नहीं देगा। आखिर आधी रात को शव दाह की कौन सी जल्दी थी….? भाजपा सरकार से न्यायालय, मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग सबने हाथरस काण्ड में उसकी भूमिका पर सवाल उठाए हैं।

   भाजपा सरकार अगर यह समझती है कि अपने सत्तामद के बल प्रयोग से वह न्याय की आवाज कुचल देगी तो यह उसका बड़ा भ्रम है। समाजवादी युवाओं को अकारण बर्बरता से लाठियों से पीटकर और महिलाओं के साथ अभद्रता करके पुलिस प्रशासन ने अपनी ही छवि खराब की है। जनता को तब संतोष होगा जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय के किसी वर्तमान जज से हाथरस काण्ड की निष्पक्ष जांच होगी।