जानें …धैर्य बिन नहीं सफलता….

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आज बात ‘ध’ की है ध से धैर्य, धीरज। हमें धीरज रखने की आवश्यकता है। आज हर मनुष्य के मन में बड़ी अधीरता दिखाई देती है। लोगों के मन में थोड़ा भी धीर नहीं और कहते हैं कि हड़बड़ी में डूब मरे या हड़बड़ में गड़बड़। लोगों के अन्दर बड़ी हड़बड़ी है बड़ा उतावलापन है। मनुष्य के अंदर की यह हड़बड़ी उसका यह उतावलापन, उसे भीतर से कमजोर बनाता है और यदि वह थोड़ा धैर्य, संयम से काम लेने की कला सीख ले, थोड़ा सा पेशंस अपनाना शुरू कर दे तो अपनी कमजोरी को भी अपनी ताकत बना सकता है। मैं अक्सर कहता हूं, अधीरता ताकतवर की कमजोरी है और धीरज कमजोर की ताकत। यदि तुम्हारे मन में धैर्य है तो तुम अपनी कमजोरी को भी अपनी ताकत बना सकते हो और तुम्हारे मन में धैर्य का अभाव है तो तुम कितने ताकतवर क्यों ना हो कमजोर साबित हो सकते हो। आज मैं कुछ इसी तरह की बात करूंगा। सबसे पहले हम अपने अंदर की अधीरता की पड़ताल करे। हमारे मन का धीरज कब खोता है? धीरज कब खोता है? जब हमारे सामने कोई विपत्ति आ जाती है। कोई विपरीत परिस्थिति आती है। हम अपना धैर्य खो देते हैं।

     “मार्श मेलो थ्योरी” 

एक टीचर ने क्लास के सभी बच्चों को एक-एक स्वादिष्ट टॉफ़ी दी और फिर एक अजीब बात कही सुनो, बच्चो !आप सभी को दस मिनट तक अपनी टॉफ़ी नहीं खानी है और यह कहकर वह क्लास रूम से बाहर चले गए।

कुछ पल के लिए क्लास में सन्नाटा छाया रहा, हर बच्चा अपने सामने रखी टॉफ़ी को देख रहा था और हर गुज़रते पल के साथ खुद को रोकना मुश्किल पा रहा था,दस मिनट पूरे हुए और टीचर क्लास रूम में आ गए।समीक्षा की तो पाया कि पूरी क्लास में सात बच्चे ऐसे थे, जिनकी टॉफ़ियां ज्यों की त्यों थी,जबकि बाकी के सभी बच्चे टॉफ़ी खाकर उसके रंग और स्वाद पर बातें कर रहे थे।

टीचर ने चुपके से इन सात बच्चों के नाम अपनी डायरी में लिख लिये। किसी को कुछ नहीं कहा और पढ़ाना शुरू कर दिया। इस टीचर का नाम वाल्टर मशाल था।कुछ वर्षों के बाद टीचर वाल्टर ने अपनी वही डायरी खोली और सातों बच्चों के नाम निकाल कर उनके बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्हें पता चला कि सातों बच्चों ने अपने जीवन में कई सफलताओं को हासिल किया है और अपनी-अपनी फील्ड के लोगों में सबसे सफल रहे हैं।

टीचर वाल्टर ने अपनी उसी क्लास के शेष छात्रों की भी जानकारी प्राप्त की और यह पाया कि उनमें से ज्यादातर बच्चे साधारण जीवन जी रहे थे,जबकि उनमें कुछ ऐसे भी थे जिन्हें कठिन आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है ।इस शोध का परिणाम टीचर वाल्टर ने एक वाक्य में यह निकाला कि – “जो व्यक्ति केवल दस मिनट धैर्य नहीं रख सकता, वह जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ सकता।”इस शोध को दुनिया भर में शोहरत मिली और इसका नाम। “मार्श मेलो थ्योरी” रखा गया था क्योंकि टीचर वाल्टर ने बच्चों को जो टॉफ़ी दी थी। उसका नाम “मार्श मेलो” था।

इस थ्योरी के अनुसार दुनिया के सबसे सफल लोगों में कई गुणों के साथ एक गुण ‘धैर्य’ अवश्य पाया जाता है क्योंकि यह गुण इंसान में बर्दाश्त करने की ताक़त को बढ़ाता है, जिसकी बदौलत आदमी कठिन परिस्थितियों में भी निराश नहीं होता और वह एक सफल व्यक्ति बन जाता है इसलिए सफल जीवन और सुखद भविष्य के लिए धैर्य के गुण का विकास करें।

इस प्रेरणा दायक कहानी को बार-बार पढते रहीये मुश्किलें हमेशा सवाल करती हैं और धैर्य ही हमेशा जवाब देता है।सफलता वक्त और बलिदान मांगती है,वो कभी भी प्लेट में परोसी हुई नहीं मिलती है।किसी कार्य को शुरूआत करना आसान है , लेकिन उसमें निरंतरता वनाये रखना कठिन है।हर कोशिश में शायद सफलता नहीं मिल पाती , लेकिन हर सफलता का कारण कोशिश ही होता है।अगर आप risk नहीं लेते हो तो आप हमेशा उन लोगो के लिए काम करोगे जो risk लेते हैं।

दुनियां की हर चीज़ ठोकर लगने से टूट जाती हैं,एक कामयाबी ही हैं जो ठोकर खाकर ही मिलती हैं…..

बच्चा भूखा था और भूख के मारे व्याकुल हो रहा था। बार-बार माँ से कहता कि कुछ खिला, कुछ खिला, कुछ खिला। माँ कहती, बेटा! थोड़ा रुक। तेरे लिए मैंने बड़ी स्वादिष्ट खीर बनाई है, खीर खिलाऊंगी। माँ, खीर परोस, परोस, परोस। माँ ने कहा- थोड़ा तो रुक और थोड़ी देर बाद खीर तैयार हुई। गरम-गरम खीर उसे परोसी और जैसे ही खीर परोसी, वो भूखा तो था ही सीधे मुँह में डाल दिया। अब गरम गरम खीर जब मुँह में डाला तो पूरा का पूरा मुँह जल उठा। कहा, माँ यह कैसी खीर है? इससे तो मुँह जल गया, तू कहती है स्वादिष्ट खीर है। माँ ने कहा बेटा! इतनी हड़बड़ी में खीर खाएगा तो मुँह जलेगा, थोड़ा धैर्य रख। खीर को थोड़ा ठंडा कर, फिर खा, देख क्या स्वाद आता है। सवाल खीर का नहीं, जिंदगी का स्वाद भी वे ही ले पाते हैं जो गर्म को ठंडा करने की कला जानते हैं।जो गर्म को ठंडा करने की कला जानते हैं वे ही जिंदगी का स्वाद ले पाते हैं और इसके लिए व्यक्ति को धैर्य धारण करने की आवश्यकता होती है।