पुलिस आयुक्त प्रणाली व्यर्थ-विचार मंच

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  • श्याम कुमार

लखनऊ – स्वर्गीय चन्द्रभानु गुप्त द्वारा स्थापित बुद्धिजीवियों की पुरानी एवं प्रतिष्ठित संस्था ‘विचार मंच’ द्वारा ‘पुलिस आयुक्त प्रणाली’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें वक्ताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पुलिस आयुक्त प्रणाली जहां लागू की गई, पूरी तरह विफल सिद्ध हो रही है। इससे जनता का तनिक भी भला नहीं हो रहा है। उसकी सही नहीं सुनवाई होती है, जिससे उसकी समस्याएं ज्यों की त्यों बनी रहती हैं। हां, मजिस्ट्रेटी शक्तियां मिल जाने से पुलिस अफसरों का रुतबा और शरीफ लोगों से बात करने में अहंकार का पुट बढ़ गया है। पहले भी पुलिस अफसरों से बात हो पाना कठिन रहता था, किन्तु अब तो वे और भी दुर्लभ हो गए हैं। यदि कभी उनसे बात हो पाई या भेंट हो गई तो वे बड़ी हेकड़ी से पेश आते हैं। वक्ताओं ने अपने अनगिनत अनुभव बताए।

श्याम कुमार

         मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात विश्लेषक राजेश राय ने कहाकि पुलिस में जिन बुनियादी बातों एवं परिवर्तनों पर ध्यान दिया जाना चाहिए, वह तो कभी किया नहीं जाता तथा अफसरशाही मुख्यमंत्री को भ्रमित कर नए-नए शगूफे छोड़ती रहती है। पुलिस जब तक अपनी ऐंठ छोड़कर आम जनता के निकट नहीं जाएगी और उसके दुखदर्द की सच्ची भागीदार नहीं बनेगी, तब तक कानून-व्यवस्था की स्थिति कभी नहीं सुधरेगी। आंकड़ों का खेल तो विगत 70 वर्षाें से चल रहा है। यदि वन विभाग और पुलिस विभाग के आंकड़ों पर विश्वास किया जाय तो एक इंच भी जमीन पेड़ लगाने के लिए नहीं बची है तथा अपराध जाने कब के शून्य हो चुके हैं।

       संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए ‘समाचार वार्ता’ के सम्पादक श्याम कुमार ने कहा-तीन साल पहले लखनऊ के गणेशगंज का एक रिक्शावाला मेरा बैग चुरा ले गया था, जिसमें कीमती कैमरा, काफी रुपये व अन्य बहुमूल्य चीजें थीं। चूंकि मैं हुसेनगंज थानाक्षेत्र में स्थित डायमंडडेरी काॅलोनी में
रहता हूं, इसलिए रिपोर्ट यहां दर्ज हुई। लेकिन दोनों थानों की पुलिस की ढिलाई से चूना लग गया और मुझे बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा। पुलिस चाह ले तो क्या नहीं कर सकती है! आजम खां की भैंस तीन दिन में बरामद हो गई तथा इलाहाबाद में तत्कालीन मंत्री राजेंद्र कुमारी बाजपेयी सोने की जंजीर चोरी होने पर उससे कई गुना भारी जंजीर पुलिस ने अगले दिन राजेंद्र
कुमारी बाजपेयी को दी थी। मैं अपनी काॅलोनी कल्याण समिति का अध्यक्ष हूं, लेकिन मेरे बार-बार अनुरोध पर भी पुलिस यहां असामाजिक तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं कर रही है और चोरियां आदि हो रही हैं।

        वरिष्ठ पत्रकार राजीव अहूजा ने कहाकि सरकार पुलिस द्वारा क्षेत्र के बुजुर्गाें का विशेष ध्यान रखने का दावा करती है, किन्तु यह दावा हकीकत से परे है। डायमंडडेरी काॅलोनी में ईडी-26 संख्या आवास में अत्यंत वरिष्ठ पत्रकार पीबी वर्मा रहते हैं, जो व्हीलचेयर पर आश्रित हैं। उन्हें तीन नौकर रखने पड़े हैं, जिनके ‘वेरिफिकेशन’ के लिए विगत मार्च मास से पुलिस से लिखित व मौखिक रूप में अनेक बार अनुरोध किए गए, किन्तु कोई कार्रवाई नहीं हुई। फोन पर थाने का इंस्पेक्टर बुरी तरह पेश आता है। पुलिस से कहने का अब तक कोई असर नहीं हुआ है। पीबी वर्मा को एक नौकर बहुत तंग कर रहा था, जिसे उन्होंने निकाला तो वह गंभीर धमकी देकर गया। मध्य क्षेत्र के पुलिस आयुक्त एवं हुसेनगंज पुलिस को फोन पर यह बात बताई गई, किन्तु कोई नहीं आया।

         पत्रकार डाॅ0 हरिराम त्रिपाठी, वरिष्ठ मजदूर नेता सर्वेश चंद्र द्विवेदी, समाजसेवी सुशीला मिश्र, शौकत अली, रुकैया परवीन, छात्रनेता गोपाल कौशल, विश्लेषक महर्षि इंद्रप्रकाश, विश्लेषक कुमार अशोक पांडेय, विश्लेषक डाॅ0 सूर्यभानु सिंह गौतम, विश्लेषक कमलेश कुमार पांडेय,
डाॅॅ0 अजयदत्त शर्मा, डाॅ0 महेश दत्त शर्मा, रामलखन ‘पवन’ आदि वक्ताओं ने भी पुलिस आयुक्त प्रणाली को पूरी तरह फेल बताया और कहाकि वह फर्जी आंकड़ों का खेल खेलकर जनता को मूर्ख बना रही है।