बापू, तुम चुप क्यों हो… !

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अहिंसा के ध्वजवाहक महात्मा गांधी के जन्मदिवस को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर दुनिया में मनाया जाता है. उन्होंने कहा था कि मेरा जीवन ही मेरा संदेश है, और उनके द्वारा जिए गए इस सन्देश को तत्वतः समझ कर और अपने जीवन में उतार कर हम सभी उनकी तरह ही महामानव बन सकते हैं.

बापू, तुम चुप क्यों हो !

तुम्हारी नज़रों के सामने ही

गीता पर हाथ रखकर

झूठ बोलने का

लोग संकल्प लेते हैं.

गांधीवादी आदर्शों की

रोज हत्या होती है

शोषण और अत्याचार

सर्वत्र व्याप्त है

सत्य/अहिंसा/मानवता का

अस्तित्व समाप्त हो गया है.

तुम्हारे चित्र सिक्कों पर ढालकर,

डाक टिकटों पर छापकर

सरकारी कार्यालयों में टांगकर

या पार्कों/चौराहे में

मूर्ति स्थापित कर तुम्हें

सम्मान का रिश्वत दिया गया

जिसकी लालसा तुम्हें नहीं रही.

मानवता की आजादी के लिए,

भ्रष्टाचार के चंगुल से

समाज को मुक्ति दिलाने के लिए,

काश, तुम फिर आते !

काश, कोई गांधी बन पाता !!

(विनोद प्रसाद)