भूतपूर्व सैन्य कर्मियों को राज्य सरकार के समूह ‘ख’ के पदों में 05 प्रतिशत मिलेगा आरक्षण

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मुख्यमंत्री ने प्रदेश के मूल निवासी भारतीय सेना के भूतपूर्व सैन्य कर्मियों को राज्य सरकार के अधीन समूह ‘ख’ के पदों में 05 प्रतिशत क्षैतिज (हाॅरिजाॅन्टल) आरक्षण प्रदान किए जाने का निर्णय लिया।इस फैसले से भारतीय सेना के भूतपूर्व अधिकारियों तथा कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा और उनके परिवार को प्रभावी सम्बल प्राप्त होगा।वर्तमान प्रदेश सरकार सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों एवं उनके परिवार के कल्याण के लिए संवेदनशील ,राज्य सरकार द्वारा शहीद सैनिकों के आश्रितों को सेवायोजित किए जाने की व्यवस्था भी की गई।


लखनऊ, योगी आदित्यनाथ जी ने उत्तर प्रदेश के मूल निवासी भारतीय सेना के (तीनों अंगों-थल, जल एवं वायु) के भूतपूर्व सैन्य कर्मियों को राज्य सरकार के अधीन समूह ‘ख’ के पदों में 05 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किए जाने का निर्णय लिया है। यह आरक्षण प्रत्येक श्रेणी में क्षैतिज (हाॅरिजाॅन्टल) रूप से प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि इस फैसले से भारतीय सेना के भूतपूर्व अधिकारियों तथा कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा और उनके परिवार को प्रभावी सम्बल प्राप्त होगा।

      राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश वह प्रान्त है, जहां से सर्वाधिक लोग सेना में जाते हैं। राज्य में बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक निवास करते हैं। वर्तमान प्रदेश सरकार सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों एवं उनके परिवार के कल्याण के लिए संवेदनशील है। उत्तर प्रदेश के मूल निवासी भारतीय सेना, केन्द्रीय अर्द्ध सैन्य बलों/प्रदेशों के अर्द्ध सैन्य बलों के शहीद के परिवार को दी जा रही 25 लाख रुपए की अनुग्रह आर्थिक सहायता बढ़ाकर 50 लाख रुपए की गई है।

राज्य सरकार द्वारा शहीद सैनिकों के आश्रितों को सेवायोजित किए जाने की व्यवस्था भी की गई है। इस सम्बन्ध में सशस्त्र सेना के तीनों सेनाओं (थल, नौ एवं वायु सेना) और अर्द्धसैनिक बलों में कार्यरत रहते हुए कर्तव्यपालन के दौरान दिनांक 01 अप्रैल, 2017 के पश्चात शहीद होने वाले सैनिकों व अर्द्धसैनिक बलों के आश्रितों को शासकीय सेवा में लिए जाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए 19 मार्च, 2018 को ‘उत्तर प्रदेश के मूल निवासी शहीद सैनिकों के आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति के सम्बन्ध में कार्यकारी आदेश’ जारी किया गया। इससे पूर्व, शहीद सैनिकों एवं अर्द्धसैनिक बलों के आश्रितों को शासकीय सेवा में लिए जाने की व्यवस्था नहीं थी। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के वीरता पुरस्कारों से सम्मानित पदक विजेताओं को एकमुश्त व वार्षिकी उच्च दरों से दी जा रही है।