मध्यप्रदेश में बनी रहेगी शिवराज सरकार

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देश के राजनीतिक हालात समझने के लिए महबूबा मुफ्ती की टिप्पणी ही काफी है।

बिहार, बिहार के चुनाव परिणामों के रुझान से प्रतीत होता है कि 243 सीटों में से एनडीए को 130 सीटे मिल रही है। सरकार बनाने के लिए 122 विधायक चाहिए। जबकि आरजेडी और कांग्रेस के गठबंधन को 108 सीटें मिल रही है। ऐसे में कहा जा सकता है कि भाजपा, जेडीयू के गठबंधन वाली सरकार ही फिर से कायम होगी। बिहार चुनाव में भले ही भाजपा ने मुख्यमंत्री और जेडीयू के नेता नीतिश कुमार का चेहरा आगे कर रखा हो, लेकिन बिहार चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को केन्द्रित कर लड़ा जा रहा था। यही वजह थी कि बिहार में मोदी को हराने के लिए भी वो अंतर्राष्ट्रीय ताक़तें भी सक्रिय थी जो भारत के टुकड़े टुकड़े करना चाहती हैं।

10 नवम्बर को सुबह जब बिहार की मत गणना शुरू होने वाली थी, तब जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती ने आरजेडी के तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनने की अग्रिम बधाई दी और कहा कि जिस प्रकार अमरीका में डोनाल्ड ट्रंप चले गए वैसे ही एक दिन भारत में भी समाचार सुनने को मिलेगा। महबूबा का इशारा पीएम मोदी की ओर था। महबूबा ने 9 नवम्बर को ही कश्मीरियों से बंदूक उठाने की बात कही है। महबूबा और उन जैसी सोच रखने वाले नेताओं का कहना है कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 फिर से बहाल होगा।

महबूबा किन ताकतों के इशारे पर बयान देती है, यह सब को पता है। बिहार के चुनाव में ऐसी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ताकतें लगातार सक्रिय रही। ऐसी ताकतों की सक्रियता की वजह से ही अधिकांश न्यूज चैनलों के सर्वे में कांग्रेस और आरजेडी को जीता हुआ बताया गया। सवाल उठता है कि जिस बिहार में 7 महीने पहले हुए लोकसभा के चुनाव में 48 में से 1 सीट भी आरजेडी को नहीं मिली थी उस आरजेडी की सरकार कैसे बन सकती है….?

इस सवाल का जवाब महबूबा मुफ्ती की टिप्पणी से समझा जा सकता है। क्या तेजस्वी यादव रातों रात इतने बड़े नेता हो गए कि वे मुख्यमंत्री बन जाए? असल में तेजस्वी को तो मोहरे के तौर पर इस्तेमाल किया गया। बिहार के चुनाव में वो ताकतें सक्रिय रही जो देश को तोडऩा चाहती है। सवाल यह भी है कि पूरे चुनाव में तेजस्वी ने अपने लालू प्रसाद यादव की फोटो से परहेज किया। क्या 31 साल के तेजस्वी में इतनी अक्ल थी कि वे अपने पिता की फोटो से ही परहेज करें? यदि सिर्फ तेजस्वी की रणनीति होती तो वे कभी भी अपने पिता की फोटो से परहेज नहीं करते, लेकिन देश विरोधी ताक़तों को पता था कि लालू का फोटो तेजस्वी की छवि पर प्रतिकूल असर डालेगा। इसलिए बेटे को पिता की फोटो का उपयोग करने से रोक दिया गया।

भले ही तेजस्वी बिहार में सरकार न बना रहे हो, लेकिन चुनाव में तेजस्वी ने शानदार सफलता हासिल की है। बिहार का चुनाव देश की राजनीति में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि भाजपा और जेडीयू के गठबंधन को जीत दिलाने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बहुत मेहनत की। देश विरोधी ताक़तों को भी आइना दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मोदी ने अपने भाषण में कहा कि चुनाव में वो ताक़तें सक्रिय हैं जो जम्मू कश्मीर में दुबारा से अनुच्छेद 370 को लागू करवाना चाहती हैं। अब यह बिहार की जनता को तय करना है कि कश्मीर में शांति बहाली हो या 370। यह वही बिहार है, जहां राम मंदिर के लिए निकलने वाली लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा को रोका गया था और आज अयोध्या में भव्य मंदिर बन रहा है।

मोदी ने जो तर्क दिए उनका असर मतदाताओं पर भी पड़ा। इसमें कोई दो राय नहीं कि परिणाम बताते हैं कि देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने वाली विचारधारा कुछ आगे रही। जहां तक नीतिश कुमार की पार्टी जेडीयू को कम सीटे मिलने की बात है तो कोरोना काल में हुई लोगों को परेशानी ने नीतिश के प्रति नाराज़गी जताई। भाजपा पहले ही कह चुकी है कि जेडीयू को कम सीटे मिलने पर भी नीतिश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। भाजपा को चाहिए कि वे अपने वायदे के अनुरूप नीतिश कुमार को ही मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाए। परिणाम बताते हैं कि स्वर्गीय रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान ने अपनी लोकजनशक्ति पार्टी को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाया है।

एलजेपी को मात्र 5-6 सीटे मिल रही है। चिराग ने डबल रोल करते हुए चुनाव में भाजपा को तो समर्थन किया, लेकिन जेडीयू का विरोध किया। चिराग की इस नीति से एलजेपी को ही नुकसान हुआ है। इस चुनाव में कांग्रेस को भी काफी हानि हुई है। कांग्रेस ने 70 उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन 21 सीटों पर ही बढ़त है। जबकि पूरे बिहार में राहुल गांधी ने रैलियाँ की थी।

बनी रहेगी शिवराज सरकार– 10 नवम्बर को ही विभिन्न राज्यों में हुए विधानसभा के उपचुनावों के परिणाम भी सामने आए। सबसे महत्वपूर्ण उपचुनाव मध्यप्रदेश के थे, एमपी की 28 सीटों में से भाजपा ने 20 पर बढ़त हासिल की है, जबकि 7 पर कांग्रेस आगे हैं। सब जानते हैं कि कांग्रेस क 22 विधायकों ने इस्तीफ़ा देकर कमल नाथ की सरकार को गिरा दिया था। कांग्रेस में यह बगावत ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में हुई थी। जिन विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया उनमें से अधिकांश भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीत गए हैं। यानि अब मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी रहेगी। एमपी के उपचुनाव के परिणाम से भी कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है।