शीरा नीति 2020-21 मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित

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लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा महत्वपूर्ण निर्णय में प्रदेश स्थित चीनी मिलें एवं उनकी आसवनियों द्वारा एथनाॅल, देशी मदिरा आसवनियों एवं शीरे पर आधारित इकाइयों को निर्बाध रूप से शीरा उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु मंत्रिपरिषद द्वारा शीरा नीति 2020-21 को अनुमोदित किया गया है। एथनाॅल एवं शीरा बिक्री से प्राप्त आय से गन्ना किसानों के भुगतान हेतु टैगिंग किया गया है। प्रदेश में बी-हैवी शीरा से एथनाॅल उत्पादन प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में शीरा वर्ष 2018-19 में मात्र 2 चीनी मिलें बी-हैवी शीरे का उत्पादन किया गया। शीरे द्वारा 2019-20 में 26 चीनी मिलें बी-हैवी शीरे का उत्पादन किया गया एवं बी-हैवी शीरे का उत्पादन में लगभग 10 गुना वृद्धि हुई है। शीरे द्वारा 2020-21 में 60 चीनी मिलों द्वारा बी-हैवी शीरे का उत्पादन किया जाना प्रस्तावित है। इसी प्रकार केन जूस से एथनाॅल को भी प्रोत्साहित किया जाना प्रस्तावित है।

देशी शराब का उपभोग समाज के अल्प आय वर्ग द्वारा किया जाता है। इस वर्ग को गुणवत्ता तथा मानकयुक्त वैध देशी शराब सस्ते दामों पर उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है, क्योंकि उचित दामों पर वैध मदिरा उपलब्ध न होने की स्थिति में इनके द्वारा अवैध मदिरा का सेवन करने के कारण जनहानि की आशंका बनी रहती है। दूसरी ओर आबकारी राजस्व भी देशी मदिरा से ही प्राप्त होता है, अतः व्यापक जनहित एवं राजस्व हित में अपेक्षाकृृृत सस्ते दामों पर वैध व मानक मदिरा उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक है कि समस्त देशी मदिरा आपूर्तक आसवनियों को उनकी आवश्यकतानुसार समुचित मात्रा में शीरा की उपलब्धता सुनिश्चित होती रहे।शीरा वर्ष 2020-21 में शीरे के अनुमानित उत्पादन 533.50 लाख कुण्टल के सापेक्ष देशी मदिरा हेतु आरक्षित शीरे की आवश्यकता 96.77 लाख कुन्तल आंकलित होती है। अतः देशी मदिरा आपूर्तक आसवनियों को समुचित मात्रा में शीरा की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु शीरा सत्र 2020-21 के लिए देशी मदिरा के लिए 18 प्रतिशत शीरा आरक्षित किया जाएगा।

वर्ष 2019-20 के अवशेष आरक्षित शीरे के समतुल्य मात्रा को चीनी मिलों द्वारा देशी मदिरा की आसवनियों को ही विक्रय करते हुए अपनी इस अवशेष देयता को अनिवार्य रूप से माह जनवरी, 2021 तक शून्य करना होगा। प्रदेश में केन जूस से एथनाॅल निर्माण में निवेश प्रोत्साहन हेतु नई इकाइयों को तीन शीरा वर्ष के लिए आरक्षित शीरे की देयता से छूट दी गयी है।

यदि मदिरा निर्माता आसवनी अन्य पेय मदिरा/मिश्रित/औद्यौगिक आसवनी से म्गजतं छमनजतंस ।सबवीवस (ई0एन0ए0) मदिरा निर्माण के लिए प्राप्त करेंगी, तो ऐसी ई0एन0ए0 प्राप्तकर्ता इकाई को आपूर्ति की गयी ई0एन0ए0 की मात्रा के समतुल्य आरक्षित शीरे की मात्रा, आपूर्तक आसवनी को अथवा समूह द्वारा नामित समूह की अन्य आसवनी के लिए आरक्षित शीरे में समायोजित कर सकते हैं।प्रदेश में शीरे की आवश्यकता के लिये पर्याप्त शीरा उपलब्ध होने पर शीरे के निर्यात की अनुमति दिया जायेगा।

प्रदेश में शीरे पर आधारित लघु इकाइयों को शीरे का आवंटन उ0प्र0 शीरा नियंत्रण अधिनियम, 1964 (यथासंशोधित) में निहित व्यवस्था के अनुसार, शीरा नियंत्रक के स्तर से किया जाएगा। शीरा आधारित नई इकाइयों की स्थापना के सम्बन्ध में एक लाख कुन्तल शीरा प्रतिवर्ष की मांग वाली इकाइयों के मामले में निर्णय लेने का अधिकार आबकारी आयुक्त, उ0प्र0 को प्रदत्त किया गया है।
प्रदेश में स्थित चीनी मिलों एवं आसवनी में संचित बिलोग्रेड शीरा के निस्तारण हेतु कतिपय शर्तों के अधीन अनुमति दी गयी है। प्रदेश की चीनी मिलों/आसवनियों में जले हुए शीरे के निस्तारण की व्यवस्था बिलोग्रेड शीरे की भांति की गई है। जले हुए शीरे को निर्धारित प्रशासनिक शुल्क का 50 प्रतिशत जमा कर प्रदूषण सम्बन्धी प्राविधानों के अनुपालन सुनिश्चित करते हुए आसवनी में प्रयोग कर सकते हैं।

शीरे के सदुपयोग एवं राजस्व प्राप्ति के लक्ष्य की पूर्ति को सुनिश्चित करने हेतु जी0पी0एस0 युक्त टैंकरों में ही शीरे का परिवहन किया जाएगा। उ0प्र0 शीरा नियंत्रण (सातवां संशोधन) नियमावली, 2018 के नियम-16 (2) के प्राविधानानुसार शीरे के सड़क मार्ग के परिवहन हेतु निर्धारित 45 दिन की अवधि व्यतीत हो जाने के पश्चात प्रतिदिन 5000 रुपए का अर्थदण्ड अधिरोपित किये जाने की व्यवस्था है, परन्तु अभी तक इसकी अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं की गयी थी। अब इसकी अधिकतम सीमा 1,00,000 रुपए निर्धारित कर दी गयी है, ताकि कतिपय परिस्थितियों में शीरे के मूल्य से अधिक का अर्थदण्ड अधिरोपित होने की स्थिति न आने पाए।

उ0प्र0 शीरा नियंत्रण अधिनियम-1964 (यथासंशोधित) की धारा-16 के अन्तर्गत उक्त अधिनियम के अधीन किये गये दण्डनीय अपराधों के लिए प्रशमन योग्य अनियमितता की स्थिति में प्रशमन शुल्क अधिरोपित किया जाएगा। प्रशमन शुल्क की राशि अनियमितता के सापेक्ष 50,000 रुपए से 2,50,000 रुपए के मध्य अलग-अलग निर्धारित की गयी है, जो सम्बन्धित अनियमितता के सम्बन्ध में न्यूनतम धनराशि है। प्रशमन राशि स्वीकार करने हेतु अपर आबकारी आयुक्त (प्रशासन) एवं इससे उच्च स्तर के अधिकारी प्राधिकृत होंगे।