समुदाय में विश्वास का माध्यम बनती हैं स्वावलम्बी महिलाएं

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मुख्यमंत्री ने 97,663 स्वयं सहायता समूहों एवं उनके संगठनों को 445.92 करोड़ रु0 की पूंजीकरण धनराशि का आनलाइन अंतरण किया। मुख्यमंत्री ने विभिन्न महिला स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद किया।

ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं को स्वावलम्बी बनाकर उनके सशक्तिकरण में उ0प्र0 राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की बड़ी भूमिका। अगले एक वर्ष में प्रदेश में स्वयं सहायता समूहों की संख्या को दोगुना करने के लक्ष्य के साथ कार्य किया जाए।

हमारे स्थानीय उत्पाद एवं महिला स्वयं सहायता समूह आत्मनिर्भर भारत का आधार बनेंगे, स्वयं सहायता समूहों को एक जनपद-एक उत्पाद योजना के उत्पादों से भी जोड़ा जाए तथा उत्पादों की ब्राण्डिंग और मार्केटिंग की जाए।

प्रशासन एवं राज्य आजीविका मिशन के अधिकारी स्वयं सहायता समूहों को शासन की योजनाओं से जोड़ें, जिससे यह समूह लाभकारी बन सकें। राशन की दुकानों के आवंटन में महिला स्वयं सहायता समूहों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

प्रदेश सरकार ने सैद्धान्तिक निर्णय लिया है कि सभी विकास खण्डों में पोषाहार वितरण का कार्य महिला स्वयं सहायता समूहों को दिया जाए।

आज भी हमारे गाँवो में कुल आबादी का 75% से भो अधिक आबादी का प्रमुख आधार खेती है। ऐसे ग्रामीणों की अनेक समस्याएं हैं। पहली यह कि खेती के अतिरिक्त अन्य आय का साधन इनके पास नहीं होते हैं। दूसरा यह कि खेती में 5 से 6 माह तक काम मिलता है, इसलिए बचे समय में ग्रामीणों को आय के लिए विशेष प्रयत्न करना पड़ता है और आवश्यकता पड़ने पर इन्हें अपनी जमीन व गहनों को गिरवी रखनी पड़ती है, और परिस्थिति से मजबूर होकर इसे छुड़ा भी नहीं पाते हैं। इसी बीच यदि अन्य समस्याएं (बीमारी, मृत्यु. पर्व, शादी) आ जायें तो बंधक रखने की सीमाएं बढ़ जाती हैं।

बैंक शाखाओं की वृहद नेटवर्क होते हुए भी ग्रामीणों की पहुँच वहाँ तक नीं हैं। चूँकि निर्धनों की जरूरतें छोटे ऋणों से सम्बन्धित होती हो, साथ ही साथ उनकी आवश्यकताएँ  उपयोग  और उत्पादन दोनों उद्देश्यों से जुड़ी है, बैंक वाले इसे खतरा मानते हैं और उधार देने से हिचकते हैं।
इस संकट स उभरने के लिए एक अकेला व्यक्ति तो सम्भवतः कुछ नहीं कर सकता है। परन्तु कुछ लोग मिलकर अपनी छोटी आय से थोड़ी-थोड़ी बचत करते-करते एक पूजी जमा कर सकते है। इसी पूंजी से वे एक दूसरे की मदद करते हैं और इसका उपयोग करके धीरे-धीरे जमीन छुडाते हैं। स्पष्टतः इस प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है। परन्तु स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से कुछ हद तक अपनी समस्याओं का समाधान करते हैं।

स्वयं सहायता समूह बैंक लिंकेज की उत्पत्ति, अवधारणा को समझने  के पहले यह आवश्यक हो जाता है कि सर्वप्रथम स्वयं सहायता समूह  की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एवं इसकी अवधारणा को समझें। गाँव में सामाजिकता पर गौर करें तो पाते हैं कि किसी भी कार्य में मदद लेने और देने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। जैसे “ सामुदायिकता की भावना ” आदिवासी समाज की सबसे बड़ी विशेषता है और यह इसके सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक पहलुओं के तार से भी जुडी हुई है। परन्तु आज के पैसा-बाजार प्रतियोगिता पूर्ण युग में में इसका फैलाव, विकास की प्रक्रिया में सुसंगठित होकर नहीं किया गया। इसके बावजूद सामुदायिकता गरीब व सामाजिक तौर से पिछड़े वर्गो में आज भी किसी- न-किसी रूप में विद्यमान है।

स्वयं सहायता समूह का इतिहास देखने पर यह पता चलता है कि मुख्य रूप से इसकी शुरुआत देश की प्रतिष्ठित स्वैछिक संस्थाएं जैसे सेल्फ एम्पलाइड वीमेन एशोसिएशन, (SEWA)  अहमदाबाद, मयराडा, बंगलौर आदि के माध्यम से हुई थी। मयराडा, बंगलौर के इतिहास को देखा जाये तो इस संस्था ने वर्ष 1968 से ही सामाजिक कार्य के प्रति अपनी भूमिका निभानी शुरू कर दी थी। शुरुआत में मयराडा ने मुख्य रूप से चीन युद्ध के पश्चात् तिब्बत से आये तिब्बतियों को पुनर्स्थापित करने का कार्य शुरू किया। दूसरे दौर में इस प्रकार वर्ष 2000  तक लाखों लोगों को सुविधाएँ देकर उनके जीवन स्तर को उठाने का लक्ष्य बनाया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज यहां अपने सरकारी आवास आयोजित एक कार्यक्रम में ‘उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन’ के 97,663 स्वयं सहायता समूहों एवं उनके संगठनों को 445.92 करोड़ रुपए की पूंजीकरण धनराशि का ऑनलाइन अंतरण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने विभिन्न महिला स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी के समक्ष उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन एवं आई0सी0आई0सी0आई0 बैंक के मध्य महिलाओं के प्रशिक्षण से सम्बन्धित एक एम0ओ0यू0 पर हस्ताक्षर एवं उसका आदान-प्रदान भी किया गया। मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर ग्राम्य विकास विभाग की पुस्तिका ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान’ का विमोचन भी किया।

ग्राम्य विकास विभाग की पुस्तिका ‘आत्मनिर्भर उ0प्र0 रोजगार अभियान’ का विमोचन।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं को स्वावलम्बी बनाकर उनके सशक्तिकरण में उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के स्वयं सहायता समूह विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने के इच्छुक हैं। प्रशासन एवं राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारी स्वयं सहायता समूहों को शासन की योजनाओं से जोड़ें, जिससे यह समूह लाभकारी बन सकें। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को मातृशक्ति को स्वावलम्बन की दिशा में आगे बढ़ने में पूरे समर्पण के साथ सहायक बनना चाहिए।

अगले एक वर्ष में प्रदेश में स्वयं सहायता समूहों की संख्या को दोगुना करने के लक्ष्य के साथ कार्य किया जाना चाहिए। यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण कार्य होगा। उन्होंने कहा कि हमारे स्थानीय उत्पाद एवं महिला स्वयं सहायता समूह आत्मनिर्भर भारत का आधार बनेंगे। स्वयं सहायता समूहों को एक जनपद-एक उत्पाद योजना के उत्पादों से भी जोड़ा जाए तथा उत्पादों की ब्राण्डिंग और मार्केटिंग की जाए।

योगी ने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूहों के पास ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालयों के रख-रखाव, राशन की दुकानों के संचालन, पोषाहार के वितरण, स्कूल ड्रेस एवं स्वेटर के निर्माण, अगरबत्ती के निर्माण, गौ आधारित खेती, गोबर एवं मिट्टी के दीयों के निर्माण में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर हैं। उन्होंने कहा कि अनियमितता के कारण राशन की दुकानों के निलम्बन पर दुकान के आवंटन में महिला स्वयं सहायता समूहों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसके लिए आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वावलम्बी महिलाएं पूरे समुदाय में विश्वास का माध्यम बनती हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार ने सैद्धान्तिक निर्णय लिया है कि सभी विकास खण्डों में पोषाहार वितरण का कार्य महिला स्वयं सहायता समूहों को दिया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के इस निर्णय की सफलता से पूरे देश में एक उदाहरण स्थापित होगा। उन्होंने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से पोषाहार वितरण का प्रभाव सामुदायिक स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा। इससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी।

जनपद झांसी की महिला स्वयं सहायता समूह बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनी द्वारा पिछले 01 वर्ष में 46 करोड़ रुपए के कारोबार तथा 2.26 करोड़ रुपए के लाभार्जन की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी सम्भावना सभी जनपदों में मौजूद है। उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में डेयरी के कार्यों से महिला स्वयं सहायता समूहों को जोड़ा जाना चाहिए। इनके प्रशिक्षण के लिए बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनी के कार्यक्रम अन्य महिला स्वयं सहायता समूहों में लगाए जाने चाहिए।

उत्तर प्रदेश के हर गांव में बैंकिंग गतिविधियों के लिए बी0सी0 (बैंकिंग काॅरेस्पाॅन्डेण्ट) सखी का चयन किया गया है। इनका प्रशिक्षण कराया जा रहा है। प्रशिक्षण के उपरान्त बी0सी0 सखी ग्रामीण क्षेत्र में बैंकिंग का कार्य करेंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 59,000 गांव एवं 600 नगर निकाय हैं। जबकि बैंक शाखाओं की संख्या लगभग 18,000 है। उन्होंने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में प्रतिमाह बड़ी संख्या में धनराशि लाभार्थियों के बैंक खातों में अंतरित की जाती है। बी0सी0 सखी के माध्यम से इन लाभार्थियों सहित अन्य लोग भी बैंक में लाइन लगाए बगैर सुविधापूर्ण ढंग से धनराशि की जमा और निकासी कर सकेंगे।

मुख्यमंत्री के समक्ष उ0प्र0 राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन एवं आई0सी0आई0सी0आई0 बैंक के मध्य महिलाओं के प्रशिक्षण से सम्बन्धित एक एम0ओ0यू0 पर हस्ताक्षर एवं उसका आदान-प्रदान।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा स्वयं सहायता समूहों को ऑनलाइन अंतरित की गई 445.92 करोड़ रुपए की धनराशि में से 27,962 स्वयं सहायता समूह की 3,07,582 सदस्यों को 41.94 करोड रुपए रिवाॅल्विंग फण्ड के रूप में, 29,653 समूहों की 3,05,228 सदस्यों को 326.18 करोड़ रुपए सामुदायिक निवेश निधि के रूप में, 602 समूहों की 30,100 सदस्यों को 12.04 करोड़ रुपए आजीविका निधि के रूप में, 550 समूहों की 27,500 सदस्यों को 11 करोड़ रुपए प्रेरणा कृषि टूल बैंक की स्थापना हेतु, 704 समूहों की 14,080 सदस्यों को 10.56 करोड रुपए उत्पादक समूह सहायता निधि के रूप में, 2,003 समूहो की 1,40,210 सदस्यों को 15.90 करोड़ रुपए जोखिम निवारण निधि के रूप में, 53 समूहों की 10,600 सदस्यों को 1.59 करोड़ रुपए बीमा सहायता निधि के रूप में, 31,967 समूहों की 3,51,637 सदस्यों को 4,80 करोड़ रुपए स्वयं सहायता समूह स्टार्टअप निधि के रूप में, 2,117 ग्राम संगठनो की 1,27,020 सदस्यों को 15.31 करोड़ रुपए ग्राम संगठन स्टार्ट अप निधि के रूप में एवं 174 संकुल संघों की 1,74,000 सदस्यों को 06 करोड़ रुपए, संकुल स्तरीय संघ स्टार्ट-अप निधि के रूप में प्रदान की गई।

मुख्यमंत्री ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उचित दर की दुकान का संचालन करने वाली जनपद अलीगढ़ की सुश्री गौरा देवी, विद्युत बिल कलेक्शन का कार्य कर रही जनपद लखनऊ की सुश्री वर्षा पाल, स्कूल डेªस बनाने का कार्य कर रही जनपद प्रयागराज की सुश्री बी0बी0 फातिमा, सामुदायिक शौचालय का रख-रखाव का कार्य कर रही जनपद बुलन्दशहर की सुश्री अरुणा, जोखिम निवारण निधि से लाभान्वित जनपद बांदा की सुश्री नीलम देवी, ड्राई राशन वितरण का कार्य कर रही जनपद गोरखपुर की सुश्री नर्वदा देवी, बी0सी0 सखी के रूप में शाॅर्टलिस्ट की गई जनपद फतेहपुर की सुश्री गंगा देवी से संवाद किया।

स्वावलम्बी महिलाओं के समूह को सम्बोधित करते हुए ग्राम्य विकास मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह (मोती सिंह) ने कहा कि दीनदयाल अन्त्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में 75 जनपदों के 592 विकासखंडों में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को एकजुट करते हुए गरीबी उन्मूलन एवं उनके सामाजिक व आर्थिक सशक्तिकरण कि दिशा में निरन्तर नए आयाम स्थापित हो रहे हैं।

विगत वर्ष में प्रदेश सरकार के विशेष प्रयासों 03 लाख 93 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से 45 लाख से अधिक परिवारों को वित्तीय एवं सामाजिक समावेशन किया जा चुका है। ग्राम्य विकास मंत्री ने कहा कि राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के स्वयं सहायता समूहों द्वारा कुल 1 करोड़ 28 हजार डेªस का निर्माण, 1 करोड़ मास्क निर्माण, 1,51,981 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ड्राई राशन का वितरण, 18 जिलों के 204 विकासखण्डों में टेक-होम राशन का वितरण, 1,010 उचित दर की दुकानों का संचालन स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से किया गया है। कार्यक्रम के अंत में ग्राम्य विकास राज्य मंत्री आनन्द स्वरूप शुक्ल ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास एवं पंचायती राज मनोज कुमार सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री की प्रेरणा से उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने अनेक क्षेत्रों में कार्य करते हुए नये आयाम स्थापित किए हैं। इस अवसर पर एक प्रस्तुतीकरण के माध्यम से उन्होंने राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किए जा रहे कार्यों के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि मिशन द्वारा एक नई पहल के अंतर्गत स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को 06 प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।

महिलाएं और दिव्यांग आत्मनिर्भर बनें। स्वरोजगार करें। इसके लिए मिशन स्वाबलंबन योजना के तहत ऑनलाइन पंजीकरण शुरू हो गए हैं। इस योजना से 2019-20 में 350 लोगों को प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बनाया जाएगा।

केन्द्र सरकार ने मिशन स्वावलंबन योजना के तहत 2018-19 में 700 लोगों के पंजीकरण का लक्ष्य रखा है। इनमें 350 लोगों को लघु उद्योगों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक इनमें 70 लोगों को मुद्रा लोन देगी। इसके लिए पंजीकरण विभागीय वेबसाइट पर ऑनलाइन होंगे। संजय प्लेस स्थित जनसेवा केन्द्र पर भी इच्छुक आवेदक पंजीकरण करा योजना में शामिल हो सकते हैं। योजना में खास बात ये है कि महिलाओं और दिव्यांगों को मुद्रा लोन व प्रशिक्षण में वरीयता दी जाएगी। जिला विकास अधिकारी देवेन्द्र प्रताप के मुताबिक स्वरोजगार स्थापित करने वाले आवेदकों को एसआईडीबीआई द्वारा मुद्रा लोन उपलब्ध कराया जाएगा।

इनसे मिलेगा रोजगार—–

मिशन स्वावलंबन योजना के तहत एसआईडीबीआई 40 प्रकार के लघु उद्योग व स्वरोजगार स्थापित करने के लिए ऋण उपलब्ध कराएगी। इसमें अगरबत्ती निर्माण, कृषि उपकरण की दुकान, ऑटो रिक्शा, बैग बनाना, ब्यूटी पार्लर, ई-कॉमर्स, बर्तन बनाना, चाय-नाश्ता की दुकान, मोमबत्ती बनाना, बढ़ई की दुकान, मोची, पैथोलॉजी लैब, गहने बनाना, कागज की प्लेट ई-रिक्शा, इलेक्ट्रोनिक आइटम मरम्मत आदि कार्य शामिल हैं। मुद्रा लोन से पूर्व आवेदकों को स्वरोजगार के लिए मुफ्त प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।