हाथरस ,दरिंदगी-लापरवाही और हर रोज़ बेदम होती पीड़िता

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हाथरस, उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई गैंगरेप की घटना…दरिंदगी… पुलिस की लापरवाही…..पीड़िता की मौत…..कुछ यही कहानी है उस 19 साल की बेबस लड़की की जिसने 15 दिन तक शासन की लापरवाही और खुद के बेदम होते शरीर से जंग लड़ी और दम तोड़ दिया.दरिंदगी…लापरवाही और हर रोज़ बेदम होती पीड़िता, हाथरस गैंगरेप केस की कहानी करीब दो हफ्ते तक लापरवाही… हीला-हवाली के खेल से हारी एक बेटी अपनी सांसों से 29 सितंबर की सुबह ख़फा हुई और दुनिया को अलविदा कह गई.

दो हफ्ते तक लापरवाही.. हीला-हवाली के खेल से हारी एक बेटी अपनी सांसों से ही ख़फा हुई और 29 सितंबर की सुबह इस दुनिया को अलविदा कह गई. लापरवाही उसकी सांसों तक ही खत्म नहीं हुई, बल्कि 29 सितंबर की रात को यूपी पुलिस ने वो काम भी कर दिया जिसको लेकर प्रशासन की संवेदनशीलता से ही विश्वास सा उठ जाए. हद तो तब हुई जब मौलिक अधिकारों का हनन करते हुए परिवार को शव देने के बजाए रात 2 बजे रेप पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

घटना के बाद विपक्ष चीख-चीख कर सवाल उठा रहा है. क्रिकेट-बॉलीवुड और देश भर के विरोध के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले की जांच के लिए SIT का गठन कर दिया . पीएम मोदी ने भी सीएम योगी से मामले को लेकर बात की. जांच में जो होगा वो जल्द सामने आएगा, लेकिन पिछले 15 दिन में क्या कुछ हुआ ये जानना बहुत ज़रूरी है.

14 सितंबर को हुई दरिंदगी, यहीं से शुरू हुई लापरवाही…... 14 सितंबर को हाथरस के थाना चंदपा इलाके के गांव में सुबह 9 बजे के करीब 19 साल की पीड़िता के साथ 4 आरोपियों ने बाजरे के खेत में गैंगरेप किया. आधिकारिक बयान के मुताबिक 10 बजे लड़की के भाई की शिकायत के आधार पर धारा 307 समेत SC/ST एक्ट के तहत FIR दर्ज कर ली गई. लड़की के भाई ने संदीप और उसके साथियों पर मारपीट और जान से मारने की कोशिश का आरोप लगाया. यहीं से लापरवाही की कहानी शुरू हुई, मामला दर्ज ज़रूर हुआ लेकिन गैंगरेप का नहीं बल्कि छेड़खानी और एससी-एसटी एक्ट के तहत. बाद में इसमें धारा 307 (हत्या की कोशिश) जोड़ी गई. आरोपियों की पहचान गांव के ही रहने वाले संदीप, लवकुश, रामू और रवि के रूप में हुई. संदीप को पुलिस ने 14 सितंबर को ही गिरफ्तार कर लिया.

बेसुध हालत में खेत में पड़ी मिली थी पीड़िता…. भाई का कहना है कि आरोपी उसकी बहन को दुपट्टे गले में फंसाकर घसीटते हुए ले गए थे. परिवार ने जब पीड़िता को खोजा तो वो बेसुध हालत में खेत में पड़ी मिली. घटना के बाद पीड़िता को हाथरस के ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. डीएम का दावा है कि पीड़ित परिवार से पीड़िता को बड़े अस्पताल में शिफ्ट करने की गुज़ारिश की गई थी, लेकिन परिवार नहीं माना था. वहीं प्राथमिक इलाज करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि युवती गर्दन को क्रूरता के साथ मरोड़ा गया था. उसके निचले हिस्से ने काम करना बंद कर दिया और उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी.

रीढ़ की हड्डी तोड़ने की मेडिकल रिपोर्ट में हुई पुष्टि….बाद में परिवार के कहने पर ही लड़की को अलीगढ़ में AMU के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. डीएम ने कहा कि पीड़िता को जब AMU में भर्ती कराया गया तो वहां की मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हुई, न ही जीभ काटी गई थी. रिपोर्ट में 4 जगह चोट के निशान मिले थे, साथ ही रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई थी. डीएम के मुताबिक जीभ इसलिए कट गई थी कि गला दबाने पर जीभ बाहर आ जाती है तब दांत के बीच में आने से जीभ कटी होगी.

9 दिन बाद आया पीड़िता को होश….घटना के 9 दिन बीत जाने के बाद पीड़िता को होश आया और उसने पूरी घटना की पूरी कहानी इशारों में बताई. पीड़िता के परिजनों ने गांव के ऊंची जाति के लोगों पर उन्नाव की घटना को दोहराते की धमकी देने का आरोप लगाया.

26 तारीख को पकड़ा गया आखिरी आरोपी….घटना के कई दिन बीत जाने के बाद दो आरोपियों रामू और लवकुश की गिरफ्तारी हुई हालांकि अभी एक अन्य आरोपी फरार था. 26 तारीख को चौथे आरोपी रवि को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा.

28 सितंबर को भेजा गया अस्पताल…..
डीएम ने कहा कि हालत बिगड़ने पर 28 सितंबर को प्रशासन ने उसे सफदरजंग अस्पताल भेजा था. परिवार उसे दिल्ली भेजने के लिए मना कर दिया था. ये बात उन्होंने लिखित में दी थी.

29 सितंबर की सुबह इलाज के दौरान मौत…..हाथरस गैंगरेप पीड़िता की 29 सितंबर सुबह दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई.

29-सितंबर की रात को जबरन अंतिम संस्कार…..29 सितंबर को गैंग रेप पीड़िता की मौत के बाद पुलिस ने रात में परिवारवालों की मनाही के बावजूद शव का अंतिम संस्कार कर दिया. देर रात 2 बजे करीब हुए अंतिम संस्कार के दौरान घरवालों को शव के पास आने तक नहीं दिया गया था.

अंतिम संस्कार से पहले पुलिस से हुई झड़प……हाथरस गैंग रेप पीड़िता का शव गांव पहुंचने के बाद पुलिस-प्रशासन और गांव के लोगों के बीच इस बात को लेकर झड़प तक हुई थी. परिवार वाले रात में अंतिम संस्कार नहीं करना चाहते थे, लेकिन पुलिस-प्रशासन अंतिम संस्कार पर अड़ा था. इसको लेकर एडीएम हाथरस पर परिवारवालों के साथ हाथापाई तक करने का आरोप हैं.

30 सितंबर सीएम योगी ने मामले में किया एसआईटी का गठन…..विपक्ष और पीड़िता के परिवार के आरोपों के बीच आज योगी सरकार ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन कर दिया है. इसे गृह सचिव भगवान स्वरूप लीड करेंगे. डीआईजी चंद्र प्रकाश और आईपीएस पूनम को इसका सदस्य बनाया गया है. एसआईटी मामले पर एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट देगी.

गुस्साई भीड़ ने बाइक में आग लगाई…… 30 सितंबर को हाथरस में पुलिस की लापरवाही के विरोध में प्रदर्शन उग्र हो गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया, जिसके बाद पुलिस की तरफ से लाठीचार्ज किया गया. गुस्साई भीड़ ने इस दौरान एक बाइक में भी आग लगा दी.

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच चाहती सरकार……प्रदेश के हाथरस में दलित युवती से कथित गैंगरेप और मौत मामले में योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच चाहती है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कहा कि वह कोर्ट की निगरानी में हाथरस कांड की जांच चाहती है.

सरकार का हलफनामा दाखिल…..योगी सरकार ने उस याचिका पर सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर पक्ष रखा है, जिसमें हाथरस कांड की रिटायर्ट जज की निगरानी में सीबीआई या एसआईटी से जांच कराने की मांग की गई है. हाथरस कांड मामले में दायर इस याचिका पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई करेगी.

प्रदेश सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि इस घटना की सच्चाई सामने लाने के लिए सरकार निष्पक्ष जांच के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को अपनी निगरानी में हाथरस में कथित गैंगरेप और मौत मामेल की सीबीआई जांच के निर्देश देने चाहिए.

सरकार ने आगे बताया कि कानून-व्यवस्था कायम रखने और हिंसा से बचने के लिए रात में पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार किया गया. यूपी सरकार के इस हलफनामे में राजनीतिक दलों और नागरिक समाज संगठनों को जाति विभाजन के प्रयास के लिए दोषी ठहराया गया है.