हैवानियत से जिंदगी की जंग हार गई बेटी

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हाथरस, हाथरस में हुई दरिंदगी पूर्वक गैंगरेप और हत्या के बाद तमाम विपक्षी पार्टियों का विरोध प्रदर्शन जारी, राजधानी लखनऊ के जीपीओ पार्क पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा हाथरस में हुई। बड़ी तादाद में पहुंचे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया,कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार और उत्पीड़न के लिए उठाई गई आवाज,ममता चौधरी और मुकेश चौहान रहे कार्यकर्ताओं के साथ मौजूद।गैंगरेप के विरोध में हुआ प्रदर्शन, निर्भया गैंगरेप के बाद भी देश में बेटियों से दरिंदगी रुकने का नाम नहीं  ले रही है।  जगह और नाम भले बदल जाएं लेकिन बेटियों की हालत आज भी पहले जैसी ही है। 2012 में निर्भया के साथ गैंगरेप करने वाले दोषियों को तो फांसी की सजा मिल गई लेकिन आज भी ऐसे लोग समाज में हर तरफ घूम रहे हैं जो कभी निर्भया तो कभी हाथरस की बेटी को अपनी हवस का शिकार बना रहे हैं। ऐसे लोगों का चेहरा जरूर बदला है लेकिन महिलाओं को लेकर इनका चरित्र आज भी पहले जैसा ही है। शायद इसलिए इन्हें कानून का भी कोई खौफ नहीं है।

उत्तर प्रदेश के हाथरस में इन दरिंदों की शिकार हुई बेटी ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। दरिंदों ने ना केवल दलित युवती से गैंगरेप किया बल्कि उसके साथ इस कदर हैवानियत की कि उसकी दिल्ली में इलाज के दौरान मौत हो गई।  घटना 14 सितंबर की है. हाथरस के एक गांव में आम दिनों की तरह उस दिन भी युवती जानवरों के लिए चारा लेने अपनी मां के साथ खेत गई थी। उस अंदाजा भी नहीं था कि वो दिन उसके जिंदगी का सबसे खौफनाक और जानलेवा दिन होने वाला है।

यूपी के हाथरस में गैंगरेप की शिकार हुई बेटी की 15 दिन बाद दिल्ली के एम्स में मौत हो गई। बच्ची के साथ हैवानियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दबंगों ने बारी-बारी से उसे अपनी हवस का शिकार बनाया। बेटी अपनी जुबान न खोल पाए इसलिए उसकी जुबान काट दी। चलकर अपने घर तक न जाए तो उसके रीढ़ की हड्डी तोड़ दी। इतनी हैवानियत के बाद भी वह आखिरी सांस तक जिंदगी के लिए जंग लड़ती रही। इस मामले में पुलिस पर भी लापरवाही का आरोप लगा है। सियासत तेज होने पर पुलिस ऐक्शन में आई।

 उत्तर प्रदेश के हाथरस के थाना चंदपा इलाके के गांव में 14 सितंबर को एक 19 साल की दलित युवती के साथ गांव के रहने वाले चार दबंग युवकों पर गैंगरेप का आरोप था। पीड़िता के साथ हैवानियत की गई थी। पुलिस के अनुसार, रेप के बाद उसकी जीभ भी काट दी गई थी। जिसके बाद पीड़िता को अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था।

आरोपियों की पहचान गांव के ही रहने वाले संदीप, लवकुश, रामू और रवि के रूप में हुई थी। हाथरस पुलिस अधीक्षक ने बताया कि संदीप को 14 सितंबर को ही गिरफ्तार कर लिया गया था। घटना के कई दिन बीत जाने के बाद पुलिस ने रामू और लवकुश को गिरफ्तार किया। वहीं फरार चल रहे चौथे आरोपी रवि को 26 सितंबर को पुलिस ने गिरफ्तार करते हुए जेल भेज दिया था।

हाथरस के थाना चंदपा इलाके के गांव में 14 सितंबर को चार दबंग युवकों ने 19 साल की दलित लड़की के साथ बाजरे के खेत में गैंगरेप किया था। इस मामले में पुलिस ने लापरवाही भरा रवैया अपनाया। रेप की धाराओं में केस ना दर्ज करते हुए छेड़खानी के आरोप में एक युवक को हिरासत में लिया। इसके बाद उसके खिलाफ धारा 307 (हत्या की कोशिश) में मुकदमा दर्ज किया गया था।

पीड़िता होश 9 दिन बीत जाने के बाद आई तो अपने साथ हुई आपबीती अपने परिजनों को बताई। बेटी की आपबीती सुनकर हर कोई दहल गया। बात बाहर आई तो सियासत तेज हुई। भीम आर्मी से लेकर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने सरकार को निशाने पर लिया।

क्या कानून व्यवस्था या हमारा समाज ऐसा नहीं बन सकता जहां ऐसा करने की किसी की हिम्मत ही न हो, जहां किसी निर्दोश को अपनी जान या स्वाभिमान गवाना ही न पड़ें। सरकार तो पीड़िता को तमाम प्रकार के मुआवजा दे देती है लेकिन क्या किसी की जान और स्वाभिमान की कीमत लगाई जा सकती है, यह एक बड़ा सवाल है।