06 जनवरी से किसान कल्याण मिशन का अभियान-मुख्य सचिव

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किसान कल्याण तथा किसान की आमदनी दुगुना करने हेतु 06 जनवरी से किसान कल्याण मिशन के रूप में चलाया जायेगा अभियान।आयोजन में कोविड प्रोटोकाॅल तथा इस सम्बन्ध में निर्गत दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाये ।

लखनऊ – उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कृषि व कृषि आधारित अन्य गतिविधियों जिनमें पशुपालन, बागवानी, गन्ना इत्यादि तथा कृषि आधारित उद्योग सम्मिलित हैं, को विकसित कर इन गतिविधियों के माध्यम से किसान कल्याण तथा किसान की आमदनी दुगुना करने का एक अभियान दिनांक 06 जनवरी, 2021 से किसान कल्याण मिशन के रूप में चलाने का निर्णय लिया गया है। इस सम्बन्ध में विस्तृत दिशा-निर्देश कृषि उत्पादन आयुक्त, समस्त अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव तथा समस्त मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को पूर्व में ही निर्गत किये जा चुके हैं।  उक्त जानकारी देते हुये मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने बताया कि किसान कल्याण मिशन के अन्तर्गत होने वाली गोष्ठी/प्रदर्शनी/मेला प्रत्येक विकास खण्ड में 06 जनवरी, 2021 से आरम्भ होकर अगले तीन सप्ताह में सम्पन्न होगी।

प्रत्येक सप्ताह के बुधवार को जनपद के प्रत्येक ग्रामीण क्षेत्रों में आच्छादित होने वाली विधानसभा क्षेत्रों में एक विकास खण्ड में इनका आयोजन होगा और यह क्रम तब तक चलता रहेगा, जब तक सारे विकासखण्ड आच्छादित नहीं हो जाते। यह आयोजन तहसील दिवस या किसी राजकीय अवकाश के दिन आयोजित नहीं होंगे।

 आयोजन कराने का मुख्य उत्तरदायित्व जिलाधिकारी के नेतृत्व में मुख्य विकास अधिकारी का होगा, जो सभी विभागों के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करके प्रत्येक विकास खण्ड की माइक्रो प्लानिंग करेंगे, इस आयोजन हेतु जिला कृषि अधिकारी कार्यक्रम के सदस्य सचिव होंगे।

विकास खण्ड स्तर पर इन कार्यक्रमों के आयोजन का मुख्य दायित्व खण्ड विकास अधिकारी का होगा, जो सम्बन्धित विभागों के साथ समन्वय स्थापित करते हुये व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करेंगे। उक्त के अतिरिक्त विकास खण्ड वार समय-सारिणी निर्धारित करते हुये इसका स्थानीय स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार भी करेंगे, जिससे कि इस कार्यक्रम में किसानों की प्रभावी सहभागिता सुनिश्चित हो सके। 

भारत सरकार के आत्म निर्भर पैकेज में किसान उत्पादक संगठनों (एफ0पी0ओ0) के संयोजन तथा एफ0पी0ओ0 के माध्यम से कृषि आधारित सामान्य सुविधा केन्द्रों के विकास एवं कृषि आधारित लघु एवं मध्यम उद्योगों के सम्बन्ध में कार्य योजना बनाई जायेगी। इसके अन्तर्गत प्रत्येक विकास खण्ड में एफ0पी0ओ0 का गठन उनके कार्यकलाप, राज्य सरकार के विभिन्न उद्यम, सामान्य सुविधा केन्द्रों की स्थापना से जुड़े हुये विभिन्न कार्यक्रमों को बढ़ाने के सम्बन्ध में विस्तृत कार्य-योजना बनाई जायेगी तथा ऐसी सभी गतिविधियां जो कि एफ0पी0ओ0 के माध्यम से किसानों के कल्याण के लिये प्रारम्भ की जा सकती हैं, के बारे में जानकारी दी जायेगी। 

कृषि विभााग द्वारा किसान कल्याण माइक्रो साइट का निर्माण कराया जायेगा तथा इस सम्बन्ध में कृषि विभाग द्वारा पोर्टल का निर्माण कराकर उस पर सभी सूचनायंे प्रस्तुत की जायेंगी। सूचना विभाग द्वारा रेडियो, टेलीविजन तथा प्रिण्ट एवं डिजिटल तंत्र के माध्यम से प्रत्येक विकास खण्ड पर होने वाले किसान कल्याण मिशन अभियान का प्रचार-प्रसार कराया जायेगा। प्रत्येक जनपदवार यह विस्तृत सूचना संकलित की जायेगी कि किसान कल्याण अभियान के दौरान कितने किसानों से सम्पर्क किया गया, कितने किसानों से वार्ता की गई, साथ ही साथ किसानों के दूरभाष और व्हाट्सएप नम्बर की सूचना संकलित की जायेगी।

  इस अभियान के तीन मुख्य भाग होंगे। पहला कृषि व सहवर्गी सेक्टर की वृहद् प्रदर्शनी, जिसमें स्थानीय स्तर पर लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यमिता इकाईयों तथा ग्राम्य विकास के आजीविका मिशन के अन्तर्गत गठित स्वयं सहायता समूहों के द्वारा उत्पादित प्रमुख उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगायी जायेगी एवं विभिन्न प्रकार की कृषि तकनीकों के प्रदर्शन (डिमान्सट्रेशन) कराये जायेंगे। दूसरा किसान गोष्ठी जिसमें प्रगतिशील किसान, कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि विभाग से जुड़े कृषि प्रसार कार्यकर्ता शासन की किसानोन्मुखी योजनाओं के बारे में सम्यक जानकारी उपलब्ध करायेंगे। तीसरा विभिन्न विभागों द्वारा कृषि कल्याण की संचालित योजनाओं के लाभार्थियों को मौके पर ही लाभ प्रदान कराया जायेगा।

विकास खण्ड स्तर पर आयोजित होने वाले कृषि मेला एवं कृषि प्रदर्शनी में कृषि विभाग के साथ-साथ उद्यान, पशुपालन, मत्स्य, रेशम, सहकारिता, सिंचाई विभाग, लघु सिंचाई, नेडा, विद्युत, ग्राम्य विकास, पंचायतीराज, वन, बाल विकास एवं पुष्टाहार इत्यादि विभाग अपनी-अपनी योजनाओं से सम्बन्धित स्टाल लगायेंगे एवं लाभार्थीपरक योजनाओं के स्वीकृति पत्र/प्रमाण-पत्र/कृषि यंत्र वितरण/पुरस्कार आदि का वितरण भी सुनिश्चित करायेंगे।

आयोजित कृषि मेले एवं कृषि प्रदर्शनी में किसान कल्याण से सम्बन्धित विभिन्न योजनाओं के बारे में जागरूकता गोष्ठी के साथ-साथ उक्त क्षेत्र के किसानों के कल्याण से जुड़े सभी कार्यक्रमों के बारे में न केवल जानकारी दी जायेगी, बल्कि योजनाओं के अन्तर्गत लाभार्थियों का चयन करते हुये, लाभार्थियों को विभिन्न सुविधायें उपलब्ध करायी जायेंगी तथा उपलब्ध सुविधाओं का वितरण कराया जायेगा।  उन्होंने बताया कि कृषि विभाग इस योजना के नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा एवं विकास खण्ड स्तर पर प्रदर्शनी एवं मेला लगाने की पूरी व्यवस्था करने के उत्तरदायित्व का निर्वहन करेगा।

किसान क्रेडिट कार्ड (के0सी0सी0) की स्वीकृति पत्र का वितरण सम्बन्धित विकास खण्ड की बैंक की शाखाओं के साथ समन्वय कर सुनिश्चित कराया जायेगा। इस कार्य हेतु निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार प्रार्थना पत्र बैंकों को पूर्व से ही प्रेषित कराने के निर्देश दिये गये हैं, जिससे बैंक शाखायें निर्धारित तिथि पर स्वीकृति पत्र वितरित कर सकंे। कृषि के साथ मत्स्य पालन व पशुपालन से जुड़े कृषकों को भी के0सी0सी0 कार्ड निर्गत किया जायेगा।

  इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत आधार इन्वैलिड, नाम मिस्मैच तथा ओपेन सोर्स से प्राप्त प्रार्थना-पत्र के सत्यापन हेतु एक शिविर पृथक से लगाया जायेगा। यह व्यवस्था भी की जायेगी कि मेले में आये किसान अगर त्रुटि सुधार हेतु अभिलेख लेकर आते हैं, तो उनका मौके पर ही निस्तारण करके पोर्टल में सुधार सुनिश्चित किया जायेगा, जिससे उन्हें योजना का लाभ मिलना आरम्भ हो जाये।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एवं संशोधित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के सम्बन्ध में कृषकों को जागरूक किया जायेगा। साथ ही किसानों द्वारा दावे सम्बन्धी शिकायतों का भी मौके पर निस्तारण सुनिश्चित किया जायेगा। उक्त हेतु बीमा कम्पनी के अधिकारी भी कार्यक्रम में उपलब्ध होंगे।  रबी की फसल के दृष्टिगत विभिन्न प्रकार के फसल सुरक्षा के कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार किया जायेगा एवं फसल सुरक्षा के उपायों के बारे में जानकारी दी जायेगी। फसल सुरक्षा के आवश्यक कृषि रक्षा रसायन के वितरण की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जायेगी। पराली प्रबन्धन के बारे में विस्तृत जानकारी मेले के दौरान दी जायेगी।

पराली के जलाने से हो रहे मृदा में विकार एवं पर्यावरण पर हो रहे दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया जायेगा तथा पराली प्रबन्धन हेतु विभिन्न प्रकार के विकल्प जैसे फार्म मशीनरी बैंक, डिकम्पोजर इत्यादि के बारे में भी जानकारी दी जायेगी और इन संयंत्रों का प्रदर्शन भी किया जायेगा। जैविक खेती तथा भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति के बारे में भी जागरूकता हेतु व्यवस्था की जायेगी, जिसमें इस प्रणाली से होने वाले लाभ एवं शासन की नीतियों के बारे में कृषकों को जागरूक किया जायेगा। 

इसके अलावा विकास खण्ड में जो कृषक जैविक खेती संचालित कर रहे हों, उनके कृषि उत्पाद के विपणन के लिये भी अलग से स्टाॅल/बिक्री केन्द्र संचालित किया जायेगा, जिससे उनके उत्पाद का प्रचार-प्रसार हो सकेगा। अगर विकास खण्ड स्तर पर इस अवधि में नये कृषि उत्पादन संगठन (एफ0पी0ओ0) गठित हुये हैं, तो उनके पदाधिकारियों को भी आमंत्रित करते हुये उनको प्रमाण-पत्र वितरण कराया जायेगा।

एफ0पी0ओ0 को स्वीकृत फार्म मशीनरी बैंक तथा बीज विधायन संयंत्र की स्वीकृति पत्र/चेक वितरण का काम भी सम्बन्धित विकास खण्डों में अवश्य कराया जायेगा। सम्बन्धित जनपद व विकास खण्ड के सक्रिय एफ0पी0ओ0 के पदाधिकारी एवं प्रगतिशील किसानों को अवश्य आमंत्रित किया जायेगा तथा कृषि गोष्ठी में उनको अपना विचार रखने का अवसर भी दिया जायेगा, जिससे वह अन्य कृषकों को भी जागरूक कर सकें।

प्रधानमंत्री कृषि ऊर्जा सुरक्षा उत्थान महाभियान (पी0एम0 कुसुम) योजना के अन्तर्गत सोलर पम्प का वितरण कराया जा रहा है। यथावश्यक आबद्ध निजी कम्पननियों से वार्ता करके यथासम्भव डिमान्सट्रेशन इकाई भी स्थापित करके इसका प्रचार-प्रसार किया जायेगा। प्रत्येक जनपद के 100 प्रगतिशील किसानों का चयन कर उनको रोल माॅडल के रूप में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों में प्रस्तुत किया जायेगा तथा उनके अनुभवों के बारे में स्थानीय किसानों को अवगत भी कराया जायेगा। इन प्रगतिशील किसानों को जनपद स्तर पर सम्मानित भी किया जायेगा। इन किसानों का विस्तृत डेटाबेस कृषि विभाग द्वारा तैयार किया जायेगा।

  कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग विकास खण्ड स्तरीय कृषि प्रदर्शनी में कृषि विश्वविद्यालय व कृषि विज्ञान केन्द्र के विशेषज्ञों को अवश्य आमंत्रित करेगा, जिससे इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम के बारे में जानकारी के साथ-साथ नयी तकनीक व पद्धति के बारे में प्रचार-प्रसार हो सके।

कृषि विज्ञान केन्द्र, किसानों को एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का भी आयोजन कर सकते हैं। एक प्रशिक्षण कार्यक्रम मेला/प्रदर्शनी के दिवस पर विकासखण्ड में अथवा कृषि कल्याण केन्द्र में आयोजित जा सकते हैं। मण्डी परिषद द्वारा मुख्यमंत्री कृषक उपहार योजना के अन्तर्गत ट्रैक्टर सहित अन्य उपकरण किसानों को पारदर्शी व्यवस्था से वितरित किया जाता है।

अगर उस विकास खण्ड में कोई मण्डी स्थापित है, तो उनसे समन्वय कर उनका वितरण भी इसी कार्यक्रम में सुनिश्चित कराये जाने के निर्देश दिये गये हैं। इसके अतिरिक्त मण्डी परिषद द्वारा संचालित विभिन्न लाभार्थी परक योजनायें जैसे मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा योजना, मुख्यमंत्री खेत खलिहान अग्नि दुर्घटना बीमा योजना एवं मुख्यमंत्री कृषक छात्रवृत्ति योजना के लाभार्थियों का वितरण भी इस कार्यक्रम में सम्मिलित किये जाने को कहा गया है।

भारत सरकार द्वारा पारित कृषि अधिनियमों की जानकारी एवं उसके लाभों के बारे में किसानों को जागरूक किया जायेगा। उद्यान विभाग द्वारा सूक्ष्म सिंचाई योजना के प्रति किसानों को जागरूक बनाने हेतु डिमान्सट्रेशन माॅडल स्थापित किये जायेंगे। ये डिमान्सट्रेशन माॅडल स्प्रिंकलर/ड्रिप सिंचाई प्रणाली से सम्बन्धित होंगे।

गोष्ठी में सम्बन्धित विकासखण्ड में सर्वाधिक होने वाले औद्यानिक फसलों में उत्पादन बढ़ाने व प्रजाति का विकास करने हेतु प्रचार-प्रसार भी किया जायेगा।  खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को प्रोत्साहित करने हेतु विभिन्न प्रकार की योजनायें भारत सरकार व राज्य सरकार द्वारा संचालित हैं।

इन योजनाओं के अन्तर्गत स्वीकृत अनुदान/ब्याज अनुदान के स्वीकृति पत्र भी इन कार्यक्रमों के माध्यम से लाभार्थियों को वितरित कराये जायेंगे। विकास खण्ड में स्थापित कृषि, उद्यान आधारित लघु, मध्यम उद्योगों, को चिन्हित कर उद्यमियों को कृषक उत्पादक संगठनों से जोड़ने के लिये प्रेरित किया जायेगा तथा उनके उत्पादों के विपणन/प्रचार-प्रसार करने हेतु भी प्रदर्शनी में स्थान उपलब्ध कराया जायेगा।

पशुपालन विभाग द्वारा किसानांे को खुरपका-मुंहपका टीकाकरण अभियान तथा पशुओं की ईअर टैगिंग की महत्ता के बारे में जानकारी दी जायेगी। दुधारू पशुओं के नस्ल सुधार हेतु राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम का लाभ उठाने हेतु प्रेरित किया जायेगा।  इसके अतिरिक्त लाभार्थीपरक योजनाओं यथा-किसान क्रेडिट कार्ड, बैकयार्ड सुअर पालन, अण्डा उत्पादन, बाॅयलर पालन एवं पशुधन बीमा योजना आदि के स्वीकृति पत्र अथवा सहायता का वितरण यथा सम्भव इन मेलों के समय कराया जायेगा।

विकास खण्ड पर आयोजित होने वाली कृषक गोष्ठी में निराश्रित गो-आश्रय स्थलों में पराली को चारे के रूप में प्रेषित करने तथा निराश्रित गोआश्रय स्थलों के गायों को परिवारों द्वारा अपनी देख-रेख में लाने की योजना के बारे में प्रचार-प्रसार किया जायेगा।  गन्ना विभाग द्वारा प्रदेश में लगभग 45 जनपद ऐसे हैं, जो कि गन्ना की खेती से आच्छादित हैं।

गन्ने की फसल से आच्छादित विकास खण्डों में विभागीय अधिकारियों द्वारा गन्ना की खेती के साथ अन्तर फसलीय प्रणाली तथा ड्रिप इरीगेशन के बारे में अधिक से अधिक प्रचार किया जायेगा, जिससे उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके। गन्ना विभाग द्वारा प्रदर्शनी में स्टाल लगाकर भी नयी तकनीक, नयी प्रजाति के बारे में प्रचार किया जायेगा एवं गन्ना के कृषि उपज अवशेष जलाने से पड़ने वाले कुप्रभावों के बारे में भी किसानों को संवेदनशील किया जायेगा। 

खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा खरीफ की फसल की कटाई के पश्चात दलहन, तिलहन व धान की खरीद का कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इन कार्यक्रमों का व्यापक प्रचार-प्रसार भी सुनिश्चित किया जायेगा, जिससे किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम0एस0पी0) पर स्थानीय स्तर पर अपनी उपज को बेच सकेंगे।

साथ ही साथ अगर कृषकों को क्रय केन्द्रों से सम्बन्धित कोई शिकायत हो तो उसका निराकरण भी मौके पर कराते हुये निस्तारण सुनिश्चित कराया जायेगा।  अभियान के दौरान ग्राम्य विकास विभाग की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित की जायेगी, जिसमें आजीविका मिशन के अन्तर्गत कृषि व्यवसाय आधारित स्वयं सहायता समूह के उत्पादों की प्रदर्शनी लगवायेंगे तथा इन समूहों की सहभागिता भी उक्त कार्यक्रम में सुनिश्चित की जायेगी।

मनरेगा के माध्यम से कृषि से जुड़े कौन-कौन से कार्य ग्राम स्तर पर लिये जा सकते हैं, इसका भी व्यापक प्रचार किया जायेगा, जिससे रोजगार के सृजन के साथ-साथ कृषि अवस्थापना का विकास हो सके। उक्त के अतिरिक्त अन्य कार्य यथा-भूमि संरक्षण, वर्मी कम्पोस्ट, कैटल शेड, मत्स्य तालाब, औद्यानीकरण इत्यादि कार्यक्रमों के कन्वर्जेंस होते हैं, इसके बारे में कृषकों को जानकारी दी जायेगी। 

रबी अभियान के अन्तर्गत बुआई का कार्य जोरों पर होगा, अतः इन कार्यक्रमों में सिंचाई विभाग, नलकूप विभाग तथा विद्युत विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेंगे तथा इनका अलग से स्टाल भी लगाया जायेगा। कोई भी कृषक नलकूप खराब होने, नहर की सिंचाई व्यवस्था खराब होने या ट्रांसफार्मर के खराब होने की शिकायत लाते हैं, तो उनका निस्तारण उसी दिन किया जायेगा।

लघु सिंचाई, मत्स्य, रेशम, नेडा, वन विभाग, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग भी कृषकों से सम्बन्धित विभिन्न कार्यकलापों का डिस्पले स्टाल पर प्रदर्शित करेंगे। यदि प्रतिभाग करने वाले विभागों के अन्तर्गत कोई अन्य महत्वपूर्ण योजना या कार्यक्रम आदि संचालित किया जा रहा है, तो उनको भी विकास खण्ड के इन आयोजनों में सम्मिलित करते हुये माइक्रो प्लान का भाग बनाया जा सकता है।

इस अभियान में मण्डलायुक्त एवं जिलाधिकारी प्रतिभाग करेंगे। इसमें स्थानीय सांसद, विधायक एवं अन्य महत्वपूर्ण जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जायेगा और उनके उपस्थित रहने पर उनके माध्यम से ही विभिन्न योजनाओं के लाभों का वितरण कराया जायेगा। प्रदेश में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने हेतु मिशन शक्ति का संचालन किया जा रहा है।

अतः यह आवश्यक है कि इन कार्यक्रमों में महिला किसानों की अधिक से अधिक भूमिका हो। इस उद्देश्य से जागरूक महिला कृषकों तथा कृषि उत्पादन पर आधारित स्वयं सहायता समूहों की सहभागिता भी सुनिश्चित करायी जायेगी।  इन कृषि मेलों/गोष्ठियों/प्रदर्शनियों में अधिक से अधिक सहभागिता हो, इसके लिये जिला प्रशासन व विकास खण्ड स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार विभिन्न माध्यमों से सुनिश्चित किया जायेगा।

विभिन्न विभागों के प्रचार वाहनों को अनिवार्य रूप से आयोजन स्थल पर स्थापित किया जायेगा, जिससे अधिक से अधिक लोगों के मध्य योजनाओं का प्रचार-प्रसार हो सके। विकास खण्ड के अन्य महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थलों पर इन आयोजनों के बारे में बड़ी होर्डिंग लगायी जायेगी, जिससे अधिक से अधिक कृषक इसमें भागीदारी कर सके।

विभिन्न विभागों द्वारा अपने कृषकों/लाभार्थियों के व्हाट्सएप ग्रुप स्थापित किये गये हैं, उनके माध्यम से भी इन आयोजनों की तिथियों तथा वहां उपलब्ध होने वाली सेवाओं के बारे में जानकारी उपलब्ध करायी जायेगी। सोशल मीडिया, रेडियो, टी0वी0 के माध्यम से भी इन किसानोन्मुखी कार्यक्रमों के बारे में विभागीय अधिकारी जानकारी देंगे, जिससे प्रदेश में अधिक से अधिक कृषकों को इसकी जानकारी उपलब्ध हो सके व वह प्रतिभाग कर सकें। 

इन मेलों/प्रदर्शनी/गोष्ठियों में कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में केन्द्र सरकार/राज्य सरकार द्वारा दिये गये सुरक्षात्मक निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन होगा। विशेष रूप से यह सुनिश्चित किया जायेगा कि मेला परिसर में आने वाले सभी व्यक्ति मास्क पहनेंगे और निरन्तर मास्क पहने रहेंगे। विभिन्न स्थानों/प्रदर्शनी के सार्वजनिक स्थलों/मेला के स्थलों पर साबुन से हाथ धोने/सेनिटाइजर की पर्याप्त व्यवस्था होगी। मेलों का लेआउट बड़े से खुले स्थल पर किया जायेगा, जिससे किसी स्थान पर भीड़ न हो सके। प्रदर्शनी स्थल के स्टाल को भी दूर-दूर स्थापित किया जायेगा, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन हो सके। 

कृषक गोष्ठी के आयोजन में बैठने की व्यवस्था को भी सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करते हुये की जायेगी तथा कार्यक्रम स्थल पर क्षमता के अनुसार ही प्रतिभागी आमंत्रित किये जायेंगे।  पूरे कार्यक्रम में कोविड से सम्बन्धित सुरक्षात्मक व्यवस्था का प्रचार-प्रसार किया जाता रहेगा। प्रवेश द्वार पर पल्स आॅक्सीमीटर, इंफ्रारेड थर्मामीटर उपलब्ध रहेगा जो आने वाले महानुभावों का परीक्षण करेंगे और कोविड के किसी भी लक्षण वाले व्यक्ति को अन्दर नहीं आने देंगे और उन्हें उपचार हेतु चिकित्सालय भेजेंगे।

कृषि उत्पादन आयुक्त, समस्त अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, समस्त मण्डलायुक्त एवं समस्त जिलाधिकारियों से अपेक्षा की गई है कि वह जनपद स्तर पर निर्धारित कार्ययोजना के अनुसार अपने-अपने विभागीय अधिकारियों व राज्य स्तरीय कर्मियों का इस अभियान में सक्रिय प्रतिभाग सुनिश्चित करेंगे, जिससे इस अभियान के उद्देश्य को पूरा किया जा सके।