86 में 56 यादव एसडीएम पर बवाल तो 61 जजों में 52 सवर्ण पर चुप्पी क्यों ….?

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लौटनराम निषाद

लखनऊ। भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय महासचिव चौधरी लौटन राम निषाद ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने सुनियोजित और कूटरचित तरीके से मीडिया में यह खबर फैलाई कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सचिव अनिल यादव ने 86 एसडीएम में 56 सिर्फ यादवों को चयनित करा दिया। इसके बाद आरएसएस कार्यकर्ताओं ने रातों-रात यूपी लोक सेवा आयोग को यादव सेवा आयोग लिख दिया। निषाद ने अपने बयान में कहा, “गैर यादव पिछड़ी जातियों में यादवों के प्रति नफरत भड़का कर भाजपा ने इनका वोट बैंक हथिया कर सत्ता को प्राप्त कर लिया, जबकि सच्चाई यह रही कि अनिल यादव के कार्यकाल में कुल 97 एसडीएम चयनित हुए, जिसमें मात्र 14 यादव और 29 गैर यादव पिछड़ी जातियों के हुए थे। 86 में 56 यादव एसडीएम का इस तरह मीडिया ट्रायल कराया गया कि गैर यादव पिछड़ी जातियाँ इस झूठ को सच मानकर एकमुश्त भाजपा के साथ चली गईं।”झूठी कहे सो साची होवे,साची कहे सो झूठी होवे” वाली कहावत अतिपिछडों में सार्थक हो गई।इस झूठी खबर को प्रायोजित तरीके से इस तरह प्रचारित किया गया कि यह अनर्गल झूठ सच साबित हो गया।उन्होंने कहा कि जब यह झूठी खबर फैलाई गई उस समय 30 मे 5 यादव एसडीएम चयनित हुए थे।

निषाद ने कहा कि 24 मार्च, 2017 को उच्च न्यायिक सेवा आयोग का परिणाम घोषित हुआ , जिसमें 61 जजों में 52 सवर्ण चयनित हुए।जबकि एक पिछड़े मुस्लिम सहित कुल नौ पिछड़े चयनित हुए हैं। क्या यह सवर्णवाद नहीं है?” उन्होंने कहा कि 2018 में गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर के 71 पदों पर नियुक्ति हुई,जिसमे 38 राजपूत व 24 ब्राह्मण सहित 66 सवर्ण चयनित किये गए,पर यह सवर्णवाद, ठाकुरवाद नहीं,रामराज है।उन्होंने कहा कि 86 एसडीएम में 56 यादव चयनित होने का झूठा मुद्दा उठाकर बवाल मचाया गया और गैर यादव पिछड़ी जातियों में यादवों के प्रति नफरत पैदा कराई गई।निषाद ने कहा, “एसडीएम चयन में और अन्य नौकरियों में सिर्फ यादवों की भर्ती का जो माहौल बनाकर गैर यादव पिछड़ी, अतिपिछड़ी जातियों में नफरत पैदा की गई और लोक सेवा आयोग के बोर्ड पर यादव सेवा आयोग लिखा गया, लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इस सच्चाई का प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाई। 8 वर्ष का समय हो गया,पर सीबीआई भी दोष सिद्ध नहीं कर पाई।”

उन्होंने बताया, “मा.उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद 1993 में मंडल कमीशन के तहत अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों को क्रीमी लेयर के असंवैधानिक बाध्यता के साथ सेवायोजन में 52 प्रतिशत ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया लेकिन अभी भी इन्हें समुचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है। आखिर इसका क्या कारण है? क्या केंद्र सरकार अन्य पिछड़े वर्ग के लिए बैकलॉग भर्ती शुरू कर इनका कोटा पूरा करेगी? क्या अपने को पिछड़ी जाति का बताने वाले मोदी जी 2021 में कास्ट सेन्सस कराकर ओबीसी की जनगणना रिपोर्ट उजागर करेंगे?”
निषाद ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा वर्ष 2016 से 2020 तक के एसडीएम पद पर चयन का जातिगत आँकड़ा प्रस्तुत किया है।बताया कि वर्ष-2016 में 56 एसडीएम पद पर भर्ती में 12 ब्राह्मण,8 राजपूत,2 वैश्य,7-7 यादव,कुर्मी,6 अन्य व 11 एससी, वर्ष-2017 में 22 एसडीएम में 7 ब्राह्मण,1 क्षत्रिय,4-4 कुर्मी,एससी,3 अन्य,1-1 वैश्य,पाल,कोयरी चयनित हुए।वर्ष-2018 में चयनित 119 एसडीएम में 21 ब्राह्मण,16 क्षत्रिय,16 कुर्मी,10 यादव,12 वैश्य,4 कायस्थ,13 अन्य व 27 एससी/एसटी,वर्ष-2019 में 46 एसडीएम में 6 ब्राह्मण,11 क्षत्रिय,5 कुर्मी,7 यादव,1-1 कायस्थ,जाट,6 अन्य व 9 एससी के चयनित हुए। वर्ष-2020 में 61 चयनित एसडीएम में 13 ब्राह्मण,9 राजपूत/क्षत्रिय,9 कुर्मी,6 यादव,6 वैश्य,13 एससी/एसटी व 5 अन्य जातियों के थे।उन्होंने कहा कि पिछडों,अतिपिछडों की विडंबना है कि कौआ तेरा कान ले गया तो ये अपना कान नहीं,पेड़ की डाल पर कौआ को देखते हैं।इसी का राजनीतिक लाभ भाजपा उठाती आ रही है। [/Responsivevoice]