डीजी जेल नहीं कर पा रहे अधीक्षक पर कार्यवाही….!

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लखनऊ जेल में अराजकता, वसूली व भ्रष्टाचार चरम पर,फरारी, अवैध वसूली, आत्महत्या व नगदी बरामद होने पर नहीं हुई कोई कार्यवाही।एसीएस होम-डीजी जेल नहीं कर पा रहे अधीक्षक पर कार्यवाही….!

राकेश यादव

लखनऊ। राजधानी की जिला जेल में अराजकता का माहौल बना हुआ है। इस जेल बन्दियों से पीट-पीट कर वसूली की जा रही है। पिटाई से अपमानित होकर अवसाद में आने वाले बन्दी आत्महत्या करने को विवश हो रहे है। शासन में बैठे आला अफसर मोटी रकम वसूल करने की वजह से घटनाओं के बाद भी दोषी जेल अधिकारियों को बचाने की कवायद में जुटे हुए है। इसको लेकर विभागीय कर्मियों में तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। चर्चा  है शासन में बैठे अफसरों के पास मोटी रकम पहुचने व मुख्यमंत्री के गृह जनपद (गोरखपुर) का निवासी होने की वजह से अधीक्षक के ख़िलाफ़ एसीएस होम/डीजी जेल भी कोई कार्यवाही करने से डर रहे है।  

उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले लखनऊ जेल में सीतापुर जनपद के थाना बिसवां जलालपुर निवासी रूपेश कुमार पुत्र मेवा लाल लूट व अवैध तरीके से चोरी का सामान रखने के आरोप में जेल भेजे गए बन्दी ने आत्महत्या कर ली थी। सर्किल नंबर एक कि बैरेक नंबर 4/23 में बंद बन्दी रूपेश कुमार ने बजे बैरेक के शौचालय में अंगौछे से फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लिया।  इस मौत से जेल के बन्दियों में हड़कंप मचा हुआ है। इससे जेल मे तनाव बना हुआ है। सूत्रों का कहना जेल प्रशासन के उत्पीड़न व वसूली से बन्दियों में खासा आक्रोश व्याप्त है। जेल में बन्दियों को मारपीट कर वसूली की जा रही है। बन्दी रूपेश के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। इससे आजिज आकर उसने आत्महत्या कर ली। 

सूत्र बताते है कि इससे पूर्व गल्ला गोदाम के रायटर बन्दी की मुखबरी पर जेल अधिकारियों ने खाली बोरो के गोदाम से 35 लाख के नोटों से भरा एक बोरा बरामद किया था। आनन फानन में अधिकारियों ने एक लाख 16 हज़ार की बरामदगी दिखाकर मिली रकम को मार दिया। मामला सुर्खियों में आने पर जेल के मुखिया ने कहा कि इतना पैसा बरामद होता तो वह हांगकांग में होते।जब उनसे यह सवाल किया गया कि राशन कटौती, कैंटीन, मशक्कत, पीसीओ, एमएसके से होने वाली कमाई से तो आप प्रतिमाह हांगकांग जा सकते है। इस पर उन्होंने चुप्पी साध ली। आलम यह है कि गल्ला गोदाम प्रभारी डिप्टी जेलर सुरक्षा के बजाए राशन की घटतौली व कटौती में जुटे रहते है। कैंटीन की बिक्री बढ़ाने के लिए बंदियों के राशन में पचास से साठ फीसद कटौती कर प्रतिमाह 40 से 45 लाख रुपये का वारा न्यारा कर रहे है। यही काम यह अधिकारी सरसों का तेल, रिफाइंड व घी की खरीद में भी करते है।

जेल अधीक्षक की रजामंदी से हो रही राशन कटौती, मशक्कत, कैंटीन, पीसीओ व एमएसके की खरीद फरोख्त मद से जेल में प्रतिमाह लाखों रुपये की कमाई कर जेब भरने में जुटे हुए है। इस सच की पुष्टि जेल में होने वाली खरीद फरोख्त के दस्तावेजो व बिलों से की जा सकती है।सूत्रों का कहना है कि इस मोटी कमाई का एक हिस्सा शासन में बैठे आला अफसरों के पास पहुँचाया जाता है। यही वजह है भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ तमाम घटनाये होने के बाद भी कोई कार्यवाही नही की जा रही है। उधर विभाग के आला अफसर इस गंभीर मामले पर कुछ भी बोलने से बच रहे है।