दोषी लखनऊ जेल अफसरों के खिलाफ होगी कार्यवाही….!

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बांग्लादेशी घुसपैठिये बन्दी की रिहाई का मामला।एलआईयू को सुपुर्द करने के बजाए आम बन्दी जैसे कर दी रिहाई।दोषी लखनऊ जेल अफसरों के खिलाफ होगी कार्यवाही….!

राकेश यादव 

लखनऊ। सुरक्षा के मानकों को दर किनार कर की गई रिहाई के दोषी जेल अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। यह मामला जेल विभाग के अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। लखनऊ जेल प्रशासन के अधिकारियों ने बीते माह एक विदेशी सजायाफ्ता कैदी को सामान्य बन्दी की तरह रिहा कर दिया। मामला सुर्खियों में आने पर पुलिस, सुरक्षा एजेंसियों व जेल विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है।विभागीय जानकारों के मुताबिक मूलरूप से बांग्लादेश के दक्षिण लामचौर निवासी जहीर खान अवैध रूप से घुसपैठ कर भारत में आया था। फर्जी दस्तावेजों के मदद से अपनी पहचान बदलकर वह यहां रहता था। उसने पासपोर्ट भी हासिल कर लिया था। इस मामले में एटीएस ने वर्ष-2017 में एफआईआर दर्ज की थी। जहीर को जनवरी 2018 में कोलकाता से गिरफ्तार किया गया था। लखनऊ स्थित न्यायालय ने चार वर्ष की सजा सुनाई थी।

दोषियों को बचाने में जुटा जेल महकमा…!

एटीएस ने डीजीपी मुख्यालय को पत्र भेजकर दोषी जेलकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की  संस्तुति होने के बाद भी विभागीय अधिकारी इस गंभीर मामले में लीपापोती करने में जुटे हुए है। ऐसा पहली बार नही हो रहा है। इससे पहले जेल के गल्ला गोदाम में 35 लाख की नगदी बरामद होने के मामले को भी अधिकारियों ने ले देकर निपटा दिया था। इस मामले में विभागीय अधिकरियो का तर्क है सजायाफ्ता कैदियों की रिहाई शनिवार को होती है। इसलिए एक दिन पूर्व रिहा किया गया। एलआईयू को सुपुर्द किये जाने के बजाए घुसपैठिये बंग्लादेशी बन्दी की आम बन्दियों के साथ हुई रिहाई ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है।

सूत्रों का कहना हैं कि सजायाफ्ता कैदी जहीर को 19 दिसंबर 2021 को रिहा होना था। लखनऊ जेल प्रशासन के अधिकारियों ने बांग्लादेश के इस घुसपैठिये कैदी को एक दिन पहले ही 18 दिसंबर को ही रिहा कर दिया। विभागीय सूत्रों का कहना है कि विदेशी बन्दियों को रिहा करने से पूर्व रिहाई की सूचना एलआईयू को दी जाती है। रिहा होने वाले बन्दी को एलआईयू के सुपुर्द किया जाता है। एलआईयू रिहा हुए बन्दी को एम्बेसी को देकर उसको सीमापार सुपुर्द करती है। सजायाफ्ता कैदी को रिहा करने की जिम्मेदारी जेल के वरिष्ठ अधीक्षक व जेलर की होती है। लखनऊ जेल प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों ने सुरक्षा मानकों को दरकिनार कर विदेशी कैदी को समय से एक दिन पहले रिहा करके पुलिस प्रशासन की मुसीबतों को बढ़ा दिया। विधानसभा चुनाव के समय जेल प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही से रिहा हुआ बांग्लादेशी घुसपैठिया कैदी किसी भी घटना को अंजाम दे सकता है। उधर इस संबंध में वरिष्ठ अधीक्षक आशीष तिवारी ने तो फ़ोन ही नही उठाया। जेलर अजय राय ने कोई प्रतिक्रिया ही नही दी।