आखिर गुटखा कारोबारियों के नाम उजागर क्यों नहीं…

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नगदी 300 करोड़ रुपए तक पहुंची। एक साथ नोटों की चार गड्डियां गिनने वाली मशीन मनाई। 100 किलो सोना चांदी भी।इतनी धन दौलत के मालिक पीयूष जैन को काकादेव पुलिस थाने के फर्श पर सोना पड़ा।आखिर गुटखा कारोबारियों के नाम उजागर क्यों नहीं हो रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के कानपुर और कन्नौज के बहुचर्चित इत्र कारोबारी पीयूष जैन के ठिकानों से अब तक 300 करोड़ रुपए नगद बरामद किए जा चुके हैं। नोटों का मिलना लगातार जारी है। इसलिए अब आयकर विभाग और जीएसटी इंटेलिजेंस के अधिकारियों ने एक साथ नोटों की चार गड्डियां गिनने वाली मशीन मंगाई है। पहले एक समय में एक गड्डी की कितनी हो रही थी। इसमें समय अधिक लग रहा था। अब मशीन में चार गड्डियां एक साथ डाली जाती है। यही वजह है कि अब नगदी का आंकड़ा 300 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। जानकारों के अनुसार 100 किलो सोना चांदी भी मिला है। चांदी तो बोरियों में भरी मिली है।

गंभीर बात यह है कि नगदी और सोना-चांदी मिलने का सिलसिला जारी है। यह पहला अवसर है, जब किसी एक कारोबारी के ठिकानों से 300 करोड़ रुपए की नगद राशि मिली है। जीएसटी इंटेलिजेंस ने इत्र कारोबारी पीयूष जैन को 26 दिसंबर को ही गिरफ्तार कर लिया था। इतनी धन दौलत के मालिक पीयूष जैन ने 26 दिसंबर की रात कानपुर के काकादेव पुलिस स्टेशन के फर्श पर गुजारी। पुलिस ने जैन को लॉकअप में रखने के बजाए थाने के इंस्पेक्टर के कक्ष में सुलाया। जमीन पर बिछाने के लिए एक दरी और ओढ़ने के लिए चद्दर दिया गया। पुलिस कर्मियों को भी इस बात पर आश्चर्य हो रहा था कि जो पीयूष जैन अपने घर में सोने चांदी के पलंग और नोटों की गड्डियों पर सोता रहा, उसे आज पुलिस थाने के फर्श पर सोना पड़ रहा है।

टैक्स चोरी के आरोप में गिरफ्तार किए गए इत्र कारोबारी पीयूष जैन को सोमवार को जिला अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया।
जॉइंट डायरेक्टर (प्रॉसिक्यूशन) संजय कुमार त्रिपाठी ने बताया कि जैन को मेट्रोपॉलिटन अदालत में पेश किया गया जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. जैन को रविवार को गिरफ्तार किया गया था।कानपुर और कन्नौज स्थित ठिकानों पर मारे गए छापों के दौरान 280 करोड़ रुपए से ज्यादा की नकदी, 25 किलोग्राम सोना और 250 किलोग्राम चांदी बरामद की गई थी। त्रिपाठी ने बताया कि अदालत में पेश किए जाने से पहले जैन का चिकित्सीय परीक्षण कराया गया और उसकी कोविड-19 जांच भी हुई जिसकी रिपोर्ट के मुताबिक उसे ऐसा कोई संक्रमण नहीं है।

अभी और निकलेगा कैश….?

आधिकारिक सूत्रों ने एएनआई को बताया कि इससे पहले रविवार को, डीजीजी ने उत्तर प्रदेश में कन्नौज जिले के ओडोकेम इंडस्ट्रीज के प्रमोटर जैन के कारखाने और आवास से 10 करोड़ रुपये से अधिक नकद बरामद किए। जैन के पास से कथित रूप से बरामद कुल नकदी 194.45 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। एजेंसी ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया कि डीजीजीआई और स्थानीय केंद्रीय जीएसटी की एक संयुक्त टीम ने कन्नौज में जैन की फैक्ट्री से 5 करोड़ रुपये की जब्ती की है। कन्नौज में जैन के आवास से एक और 5 करोड़ रुपये की वसूली की गई है। कानपुर के बाद, वे जैन को उनके कारखाने और कन्नौज स्थित आवास पर ले गए, जिसके परिणामस्वरूप 10 करोड़ रुपये की नकद वसूली हुई।


गुटखा कारोबारियों की भूमिका-


जानकार सूत्रों के अनुसार पीयूष जैन किसी भी प्रकार से इत्र बनाने का काम नहीं करता है। जैन निर्माताओं से इत्र खरीदकर उत्तर प्रदेश के गुटखा कारोबारियों को सप्लाई करता है। पीयूष जैन की भूमिका गुटखा कारोबारियों और इत्र निर्माताओं के बीच दलाल की है। लेकिन निर्माताओं और गुटखा कारोबारियों का भरोसा पीयूष जैन पर है। गुटखा बनाने में इत्र के फ्रेग्रेंस की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। सुगंध से ही यह पता चलता है कि गुटखा रजनीगंधा का है या पान पराग का। पीयूष जैन शिखर गुटखा को भी उसके ग्राहकों के मिजाज के अनुरूप फ्रेग्रेंस की सप्लाई करता है। चूंकि कन्नौज में इत्र का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है और कानपुर में देश के मशहूर गुटखा कंपनियों की फैक्ट्रियां हैं, इसलिए पीयूष जैन के ठिकाने कन्नौज और कानपुर में हैं।

इत्र व्यवसायी के यहां से 194 करोड़ से ज्यादा रुपये जब्त किए थे। अब इस आरोपी व्यवसायी ने एजेंसी को बताया है कि उसे पैसे कैसे मिले। छापेमारी में कारोबारी के कानपुर और कन्नौज के घर से करीब 194.45 करोड़ रुपये से ज्यादा नकदी, 23 किलो सोना, 600 किलो चंदन की लकड़ी बरामद हुई है। कुल संपत्ति 1,000 करोड़ रुपये तक की आंकी जा रही है। लेकिन सवाल उठता है कि व्यवसायी के पास इतना पैसा आया कहां से? हालांकि इसका जवाब खुद पीयूष जैन ने दिया है। एजेंसी ने कहा कि पीयूष जैन ने खुद स्वीकार किया है कि उसके परिसर से बरामद नकदी बिना कर चुकाए माल की बिक्री से संबंधित थी।

जीएसटी इंटेलीजेंस के अधिकारी भी मानते हैं कि इतनी नगदी और सोना-चांदी अकेले पीयूष जैन की नहीं हो सकती। इसके पीछे गुटखा कारोबारियों की भूमिका है। हो सकता है कि बरामद नगदी के मालिक गुटखा कारोबारी भी हों। यहां यह उल्लेखनीय है कि गत 20 दिसंबर को जीएसटी इंटेलिजेंस की गुजरात शाखा ने एक मशहूर गुटखे के दो ट्रक अहमदाबाद में जब्त किए थे। तब यह मामला जीएसटी चोरी का था। लेकिन बाद में पीयूष जैन की भूमिका सामने आई तो इंटेलिजेंट ने सबसे पहले जैन के कन्नौज स्थित आवास पर जांच पड़ताल की। यह जांच पड़ताल 23 दिसंबर को शुरू हुई थी और 27 दिसंबर तक जैन के ठिकानों से नगदी मिलने का सिलसिला जारी है। अब इंटेलिजेंट के अधिकारी पीयूष जैन को रिमांड पर लेकर आगे की जांच पड़ताल करेंगे।