अपराध में राजधानी लखनऊ अव्वल-अखिलेश यादव

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राजेन्द्र चौधरी

लखनऊ। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश और इसकी राजधानी लखनऊ में अपराधी बेलगाम हैं परन्तु अपने मुख्यमंत्री जी इधर से बेखबर पश्चिम बंगाल और असम में कानून व्यवस्था सुधारने में व्यस्त हैं। भाजपा का यही तरीका है कि वह जनता के बुनियादी मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए जादुई जुमले उछालने लगती है। झूठे आंकड़ों से जनता को भ्रमित करने की चाहे जितने तिकड़में सत्तारूढ़ दल करे, उसमें अब वह सफल होने वाली नहीं है। सभी को भाजपा के दावों में छुपे सच का पता चल गया है और वह झूठों को सन् 2022 के चुनावों में सही सबक देगी।


महिलाओं एवं बच्चियों के साथ अपराध में राजधानी लखनऊ अव्वल नम्बर पर आ गया है। नेशनल क्राइम ब्यूरों 2019 रिकार्ड के अनुसार 3390 मामले दर्ज हुए। कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब लूट, अपहरण, हत्या और दुष्कर्म की घटनाएं न होती हों। पुलिस की छाया में डकैतियां पड़ जाती है। गम्भीर घटनाओं तक की विवेचना में लापरवाही बरते जाने पर न्यायालयों ने कई बार अपनी सख्त टिप्पणियां की हैं और सरकार को भी फटकार लगाई है।


जहां तक महिलाओं और बच्चियों से सम्बन्धित अपराधों का सवाल है इनका ग्राफ भाजपा राज में लगातार ऊंचाई की तरफ बढ़ता जा रहा है। गजरौला में किशोरी से, आगरा में छात्रा से दुष्कर्म की घटनाएं हुई तो झांसी में छेड़खानी से परेशान युवती ने फांसी लगा ली। सुल्तानपुर में बच्चे की गर्दन पर चाकू रखकर मां से 8 लाख की लूट की गई। कन्नौज में महिला से और हरदोई में किशोरी से दुष्कर्म हुआ।


गोरखपुर में मां को खेत में धक्का देकर बेटी को उठा ले गए बदमाश। इटावा में 4 वर्षीय और आगरा में 8 वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म। लखनऊ में घर में घुसकर महिला को गोली मारी गई। महिला अपराधों को रोकने के लिए खोखले दावे करने वाली भाजपा सरकार और उसके मुख्यमंत्री पूरी तरह नाकाम हो चुके हैं।


कमिश्नर प्रणाली लागू कर कानून व्यवस्था दुरूस्त करने का दावा भाजपा सरकार का हास्यास्पद है। मुख्यमंत्री आवास के करीब डीजीपी आवास के सामने बेखौफ सत्ता संरक्षित अपराधी असलहे लहराकर दहशत फैला रहे है। विज्ञापनों, भाषणों से लॉ एण्ड आर्डर में सुधार वैसे ही होगा जैसे ताली और थाली बजाकर कोविड-19 की महामारी से निबटा गया था।


भाजपा राज में खुद पुलिस पर अपराधी बेखौफ हमलावर हो रहे है। पुलिस का मनोबल गिरा हुआ है। अपराधी सत्ता संरक्षित होने से निडर है कि उन पर हाथ डालने वाला पुलिस कर्मी ही निलम्बित होगा। इसलिए असल अपराधी को पकड़ने के बजाय आला अफसर फर्जी एनकाउण्टरों से वाहवाही ले रहे हैं या हिरासत में मौतों को अंजाम दे रहे हैं। पीडि़तों के साथ थानों में दुर्व्यवहार होता रहता हैं। पीडि़त महिलाओं को और ज्यादा प्रताडि़त किया जाता है।


समाजवादी सरकार ने अपराधों पर नियंत्रण के लिए यूपी डायल 100 जैसी शानदार सेवा की शुरूआत की थी। उसमें पीडि़त को थाना-कोतवाली तक जाने से मुक्ति दी गई थी और घटनास्थल पर तत्काल पहुंचने और गश्त करने के लिए पुलिस बल को नई गाडि़यां भी दी गई थी। महिला अपराधों पर रोकथाम के लिए 1090 सेवा थी। भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही इन सेवाओं को तहस नहस कर दिया है। जनता के साथ छल करने वालों को 2022 में जनता ही बाहर का रास्ता दिखाएगी।