मानसून की पहली छींट पड़ते ही खुलने लगी विकास के दावों की पोल अखिलेश

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राजेंद्र चौधरी


समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में मानसून की पहली छींट पड़ते ही भाजपा राज में विकास के मुख्यमंत्री जी के दावों की पोल खुलने लगी है। खुद उनका ही गृहनगर गोरखपुर भाजपाई भ्रष्टाचार का भाजपा ताल ‘जल नगर‘ बन गया है। झमाझम बारिश में राप्ती काम्पलेक्स और बिजली निगम के अधीक्षण अभियंता शहरी कार्यालय में पानी भर गया। भाजपा सरकार हर घर नल का नारा दे रही है, नल से जल तो आया नहीं, हर घर जल में जरूर डुबो दिया। वैसे उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का नाला लबालब है।


प्रधानमंत्री जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के नगरिया क्षेत्र में जल भराव से लोग त्रस्त है। यहां शहर के हर इलाके में बारिश में घंटों पानी भरा रहा। पिंक कॉरिडोर के रूप में विकसित दशाश्वमेध घाट पर घुटने भर पानी का जमाव हो गया। कई इलाकों में दुकानों में पानी घुस गया। गदौलिया से दशाश्वमेघ मार्ग तक पानी भर गया।


राजधानी लखनऊ में बरसात के दिनों के पुराने अनुभवों से लाभ उठाने और जलभराव से बचाव के बारे में अधिकारी सजग नहीं है। शहर के बाढ़ पम्पिंग स्टेशनों की स्थिति ठीक नहीं है। कहीं पम्पों की दशा ठीक नहीं, तो कहीं डीजल का अभाव है। नालों की सफाई में भी लापरवाही हो रही है। हैदर कैनाल समेत शहर के 88 से ज्यादा नालों पर अवैध कब्जे हो चुके हैं। इन नालों के किनारे तमाम अवैध बस्तियां बस गई हैं। नालों की चौड़ाई सिमट गई है। तेज बारिश में नाला उफना गया है जिससे निचले इलाकों में तबाही मच गई है।


दावे चाहे जितने किए जाएं, हकीकत में नालों की सफाई के काम में सिर्फ भ्रष्टाचार ही नज़र आता है। नालों की सिल्ट निकाल कर किनारे डाल दी जाती है जो बरसात होते ही फिर नालों में चली जाती है। तमाम कूड़ा कचरा भी इनमें डाला जाता है। निरीक्षण के नाम पर अफसरों की खानापूरी जनता पर भारी पड़ रही है।


बारिश के दौरान बिजली गिरने से हालत और ज्यादा बिगड़ रहे हैं। फतेहपुर में तीन अलग-अलग जगहों पर आकाशीय बिजली गिरने से 12 मवेशियों सहित पांच लोगों की मौत हो गई। बलिया में बिजली की चपेट में आकर 4 लोगों की मौत हो गई। सिद्धार्थनगर में 2 बच्चों की जान चली गई। जनपद सहारनपुर के चिलकाना में दो घरो पर कुदरत का कहर टूट पड़ा। दोनों मकान बिजली गिरने से क्षतिग्रस्त हो गए। मिर्जापुर में तीन, वाराणसी में चार लोगों की बिजली गिरने से मौतें हुई है।


सवाल यह है कि जब पहली बारिश में ही जनता जल भराव और आकाशीय बिजली गिरने के संकट में जूझने को विवश हुई है तो मानसून की कई दिनों तक होने वाली बारिश में क्या होगा? मुख्यमंत्री जी ने प्रारम्भिक तैयारियों के निर्देश देने की खब़र तो खूब छपवाई पर हकीकत में हुआ कुछ नहीं है। वैसे भी जब कुछ नदियां और नाले उफनाने वालें हैं तब मुख्यमंत्री जी की बैठकों का क्या औचित्य है……?