क्या सरकार के आदेश की उड़ाई जा रही धज्जियां..?

95

सरकार के आदेश की उड़ाई जा रही धज्जियां, निजी स्कूलों ने 30 फीसदी तक फीस में कर दी वृद्धि|

अजय सिंह

कानपुर के कई प्राइवेट स्कूलों ने 30 फीसदी तक फीस में वृद्धि कर दी है। वहीं शासना देश में शर्तों के साथ सिर्फ पांच फीसदी शुल्क बढ़ाने के आदेश दिया था। जिसमें अहम बात यह है कि इस खेल को पकड़ा न जाए इसके लिए किसी ने एक तो किसी ने दो माह की फीस का शेड्यूल जारी किया है।वहीं आमतौर पर स्कूल वाले तिमाही शुल्क लेते हैं। जो शासनादेश जारी किया गया उसमें सत्र 2019-20 को आधार मानते हुए डीए आधारित पांच फीसदी फीस बढ़ाने की अनुमति दी गई थी। जिसमें अधिक शुल्क वृद्धि पर अभिभावकों ने नाराजगी दिखाना शुरू कर दी है। वहीं रतनलाल नगर और बिठूर रोड स्थित स्कूल के अलावा किदवई, कल्याणपुर, गोविंद नगर स्थित कुछ स्कूलों ने मनचाही फीस बढ़ा दी गयी है। वहीं 30 फीसदी तक वृद्धि की पोल न खुले इस लिए स्कूलों ने फिलहाल बिना बताए एक माह की फीस मांगी है।वहीं कुछ स्कूलों ने दो-दो माह तक की फीस मांगी है, जिसमें शासनादेश का हवाला दिया गया है|जिसमें एक स्कूल ने नोटिस में ही लिखा था कि शासनादेश के अनुसार दस फीसदी फीस बढ़ाई जा रही है जिसकी फीस पांच प्रतिशत ही करने का आदेश किया है। जिसकी 30 फीसदी फीस बढ़ाने वाले ज्यादातर छोटे विद्यालय हैं और जिनकी शुल्क धनराशि के हिसाब से कम थी। वैसे कई स्कूल ऐसे हैं जो सत्र 2020-21 और 2021-22 में बिजली जैसी मदों में धनराशि लेते रहे हैं। इस पर शासन ने पूरी तरह रोक लगाई थी। स्कूलों को उन सभी मदों में फीस नहीं लेनी थी जिसका कोराना काल के दौरान कोई उपयोग नहीं था जैसे बिजली, कन्वेंस और खेलकूद आदि।


स्कूल इस शुल्क को समायोजित भी नहीं करना चाहते हैं। यदि किसी स्कूल ने शासनादेश से पहले शुल्क ले लिया है और वह पांच फीसदी से अधिक है तो उसे आगे समायोजित करना होगा। कई स्कूलों ने बिना बिल बुक दिए शुल्क के नाम पर धनराशि पहले ही जमा करा ली थी। कई ने प्रवेश के समय ही अतिरिक्त फीस ले ली है। सत्र 2022-23 के लिए शासनादेश के अनुसार शुल्क वृद्धि नवीनतम उपलब्ध वार्षिक प्रतिशत बढ़े हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के साथ छात्रों से वसूल किए गए पांच प्रतिशत शुल्क से अधिक नहीं होगी। सत्र 2022-23 में वार्षिक फीस वृद्धि की गणना किए जाते समय वर्ष 2020-21 और 2021-22 में शुल्क वृद्धि की काल्पनिक गणना नहीं की जाएगी और न ही उसे फार्मूले में जोड़ा जाएगा।स्कूल शुल्क वृद्धि में मनमानी करते हैं तो अभिभावक इसकी शिकायत डीआईओएस कार्यालय में कर सकते हैं। सुनवाई जिला शुल्क नियामक कमेटी करेगी। इसे उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) के तहत रखा गया है। शिकायत के लिए अभिभावक को सबसे पहले स्कूल को 15 दिन का नोटिस देना होगा। यदि स्कूल सुधार नहीं करता है तो जिला समिति से शिकायत की जाएगी। जिला समिति के निर्णय के बाद मंडल स्तरीय कमेटी सुनवाई कर निर्णय देती है।


कानपुर स्कूल्स वेलफेयर एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष कृष्ण कुमार दुबे ने बताया कि शासनादेश का फैसला टीक है। स्कूलों ने कोविड काल में भी शासनादेश माना है। अब जो नया शासनादेश हुआ है उसी के हिसाब से फीस बढ़ाई जाएगी। इसके लिए एसोसिएशन से संबद्ध स्कूलों को जागरूक किया जाएगा। वहीं ऑल नोएडा स्कूल पैरेंट्स एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष संतोष तिवारी ने बताया कि अभिभावक अभी उबर नहीं पाए हैं। उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। स्कूल मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने लगे हैं। इन पर अंकुश होना चाहिए। जहां शासनादेश का उल्लंघन होगा वहां सुधार कराया जाएगा।