मानो मेरी बात-जल्दी जाँच व सही इलाज से दो टीबी को मात As if I could beat two TB with early testing and proper treatment

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क्षय उन्मूलन कार्यक्रम को परवान चढ़ाने को उतरी टीबी चैंपियन की फ़ौज। मानो मेरी बात- जल्दी जाँच व सही इलाज से दो टीबी को मात। लिया संकल्प- टीबी को दी पहले मात अब निभाएंगे दूसरे मरीजों का साथ। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ल्ड विजन इण्डिया ने आयोजित की कार्यशाला।


लखनऊ। देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को साकार करने को मैदान में अब टीबी चैम्पियन की फौज ने भी बखूबी मोर्चा संभाल लिया है। टीबी को मात देने के बाद अब इनका हौसला बुलंद है और इन्होंने संकल्प लिया है-“टीबी को दी पहले मात-अब निभाएंगे दूसरे मरीजों का साथ।“ टीबी चैम्पियन का यही हौसला यहाँ आयोजित दो दिवसीय कम्युनिकेशन स्किल कार्यशाला में देखने को मिला। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ल्ड विजन इण्डिया संस्था के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का शनिवार को समापन हुआ।


वर्ल्ड विजन इण्डिया संस्था के राज्य समन्वयक शैलेन्द्र शुक्ल ने बताया कि संस्था टीबी को लेकर अधिक संवेदनशील 15 जिलों में टीबी मरीजों को हरसम्भव जरूरी मदद पहुँचाने को लेकर कार्य कर रही है। इन जिलों में लखनऊ, आगरा, वाराणसी, बहराइच, बलरामपुर, बरेली, चंदौली, चित्रकूट, फतेहपुर, गोरखपुर, कानपुर नगर, प्रयागराज, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और सोनभद्र शामिल हैं। टीबी मरीजों की मदद के लिए ही इन जिलों में अब तक 192 टीबी चैम्पियन की तैनाती की गयी है। इनको टीबी से जुड़ी हर छोटी और बड़ी जानकारी मुहैया करायी गयी है। इनमें वही लोग शामिल हैं जिन्होंने अपनी हिम्मत और सूझबूझ से नियमित दवा सेवन से टीबी को मात देकर पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं।

इन जिलों के हर टीबी यूनिट पर मरीजों की मदद के लिए दो टीबी चैम्पियन तैनात हैं, जो अपने अनुभवों और मिले प्रशिक्षण के बल पर उनको इलाज के बारे में पूरी जानकारी देने के साथ ही भावनात्मक सहयोग भी प्रदान करते हैं। इसके लिए इनको निर्धारित भत्ता भी संस्था द्वारा मुहैया कराया जाता है। इनके कार्यों पर निगरानी के लिए जिला समन्वयक भी हैं, जो इनकी चुनौतियों को दूर करने का काम करते हैं। टीबी चैम्पियन के माध्यम से संस्था इस साल अब तक 15 जिलों के 19,926 मरीजों तक पहुँच बना सकी है। इनका प्रयास रहता है कि यदि किसी में टीबी के लक्षण नजर आ रहे हैं तो जल्दी से जल्दी जांच कराकर इलाज शुरू हो ताकि टीबी के प्रसार को रोका जा सके।


कार्यशाला में टीबी चैम्पियन को मरीजों के साथ बातचीत करने का सही तरीका और उचित व्यवहार करने के बारे में विस्तार से समझाया गया। स्लोगन, पोस्टर और चित्रकला के माध्यम से टीबी के बारे में उनकी समझ को और विकसित किया गया। इस दो दिवसीय कार्यशाला में सात जिलों के 85 टीबी चैम्पियन शामिल हुए। इससे पहले 11 और 12 अक्टूबर को आयोजित हुई कार्यशाला में आठ जिलों के 105 टीबी चैम्पियन को प्रशिक्षित किया गया था। इसके अलावा संस्था के 68 प्रशिक्षित टीबी चैम्पियन फोन पर मरीजों का फालोअप करते हैं और उनकी समस्या का समाधान करते हैं।

इसके साथ ही जिलों में 79 हब सपोर्ट सेंटर हैं, जो टीबी यूनिट पर मरीजों को मानसिक तनाव से उबारने के साथ ही किसी भी तरह के सामाजिक भेदभाव और भ्रान्ति से उबरने में मदद करते हैं। इसके अलावा दवा के प्रतिकूल प्रभाव आदि की स्थिति से निपटने और मरीजों को इलाज के दौरान प्रतिमाह पोषण के लिए मिलने वाले 500 रुपये के बारे में भी जानकारी देते हैं। एक टीबी चैम्पियन हर माह 25 से 30 मरीज से मिलकर नियमित दवा सेवन आदि के बारे में जानकारी जुटाता है। कार्यशाला के आयोजन में लखनऊ जिला क्षय रोग कार्यालय के जिला कार्यक्रम समन्वयक दिलशाद अहमद, पीपीएम सौमित्र मिश्रा, एसटीएस डीटीसी अभय मित्रा, वर्ल्ड विजन इण्डिया की प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. ऋति तिवारी दास, प्रोजेक्ट लीड प्रतीक मल्होत्रा, राज्य समन्वयक अनिल सिंह और जिला समन्वयक अश्विनी मिश्र की अहम भूमिका रही।