अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के साथ फिर उठाया हाथ

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इसे कहते हैं थूक कर चाटना। अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के साथ फिर उठाया अपना हाथ। केसी वेणुगोपाल में हिम्मत है तो धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ पर कार्यवाही करके दिखाएं।

एस0 पी0 मित्तल

22 नवंबर को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने प्रतिद्वंदी नेता पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को भाजपा से 190 करोड़ रुपए लेने वाला गद्दार नेता घोषित किया। इसके लिए गहलोत ने एनडीटीवी को एक विशेष इंटरव्यू भी दिया। लेकिन मात्र 7 दिन बाद ही 29 नवंबर को सीएम गहलोत उन्हीं गद्दार सचिन पायलट के साथ खड़े हो गए और पायलट से दोस्ती दिखाने के लिए अपना हाथ भी उठाया। सवाल उठता है कि जब पायलट के साथ दोस्ती ही दिखानी थी तो फिर थूकने जैसा बयान क्यों दिया? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है कि गहलोत स्वयं को गांधी जी का अनुयायी और सिद्धांतवादी नेता होने का दावा करते हैं। वैसे भी गहलोत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है। ऐसे में गहलोत के कथन को गंभीरता से लिया जाता है।

22 नवंबर को जब गहलोत ने पायलट को भाजपा से 190 करोड़ रुपए लेने वाला गद्दार नेता बताया, तब यह माना गया कि गहलोत अब आर पार की लड़ाई करेंगे। लेकिन मात्र सा तदन बाद ही गहलोत, उन्हीं गद्दार पायलट के साथ आकर खड़े हो गए। 29 नवंबर को जयपुर में भारत जोड़ों यात्रा की तैयारी बैठक में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बीच में खड़े होकर गहलोत और पायलट का हाथ उठाया। इस फोटो के फ्रेम में पायलट का चेहरा तो दमक रहा था, क्योंकि उनकी स्थिति थूक कर चाटने जैसी नहीं थी, जबकि गहलोत की मुस्कान बता रही थी कि इस हाथ को उठाने में उन पर क्या बीत रही है। पायलट तो इस बात से खुश थे कि सीएम गहलोत को ही उनके साथ आना पड़ा है। गहलोत माने या नहीं लेकिन मात्र 7 दिन बाद ही पायलट के साथ हाथ उठाने से उनके बोलने का महत्व कम हुआ है। क्या गांधी जी के अनुयायी ऐसे ही होते हैं जो सात दिन में ही बदल जाएं या फिर यह सीएम की कुर्सी का मोह है जो छूट नहीं रहा है। ऐसे में गांधीवादी सिद्धांत भी पीछे रह गए हैं।

हिम्मत है तो कार्यवाही करके दिखाएं…?


भारत जोड़ों यात्रा की तैयारी बैठक में भी राजस्थान में कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी का मामला ही छाया रहा। नेताओं की बयानबाजी पर केसी वेणुगोपाल ने कहा कि अब यदि कोई नेता अथवा मंत्री पार्टी का अनुशासन तोड़ कर बयान देगा तो उसे चौबीस घंटे में पार्टी से बाहर कर दिया जाएगा। वेणुगोपाल अपने कथन की कितनी क्रियान्विति करते हैं, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन वेणुगोपाल में हिम्मत हो तो मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ पर कार्यवाही करके दिखाएं। इन मंत्रियों को पार्टी का अनुशासन तोड़ने के आरोप में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने नोटिस दे रखे हैं। सवाल उठता है कि जब नोटिस वाले मंत्रियों पर ही कोई कार्यवाही नहीं हो रही है तब बयान देने वालों को चौबीस घंटे में बाहर कैसे निकाला जाएगा?