एटीएस ने अफसरों व दर्जनों वार्डर को ठहराया दोषी !

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  • लखनऊ जेल में फंडिंग के मामले में होगी बड़ी कार्यवाही।
  • एटीएस ने अफसरों व दर्जनों वार्डर को ठहराया दोषी !
  • ढाका से कोलकाता होकर लखनऊ जेल पहुँच रहा पैसा।
राकेश यादव

लखनऊ। राजधानी की लखनऊ जेल  में बांग्लादेशी बन्दियों की फंडिंग के मामले में बड़ी कार्यवाही होने की तैयारी है। ढाका से लखनऊ जेल में बन्दियों के पास आ रहे पैसे की जांच कर रही एटीएस की जांच रिपोर्ट कुछ ऐसे ही संकेत दे रही है। जेल मुख्यालय को एटीएस की भेजी गई रिपोर्ट में अफसरों के सात दर्जनों वार्डरों को इसके लिए दोषी ठहराया गया है। एटीएस की जांच रिपोर्ट से अधिकारियों में खलबली जरूर मची हुई है। इसके बावजूद अधिकारी इस मसले पर कुछ भी बोलने से यह कहकर बचते नज़र आ रहे है कि एटीएस की अभी जेल मुख्यालय को कोई रिपोर्ट मिली ही नही है। उधर आईजी एटीएस भी मामले पर चुप्पी साधे हुए है।

राजधानी की जिला जेल में बांग्लादेश के कई विचाराधीन व सजायाफ्ता बन्दी निरुद्ध है। सूत्रों का कहना है कि बन्दियों के खर्चापानी की फंडिंग बांग्लादेश से हो रही है।  बांग्लादेशी बन्दियों की फंडिंग में जेल के कई अधिकारी व वार्डर शामिल है।  बन्दियों के मैसेज भेजने के लिए वार्डर दो सौ से पांच सौ रुपये तक वसूल करते है। सूत्रों का कहना है कि स्थानीय व आसपास जिलों के बन्दियों के अलावा बांग्लादेशी बन्दी भी इन्ही वार्डर से मैसेज करवाते है। मैसेज के माध्यम से बन्दी खर्च के लिए पैसा मंगवाते है। विदेशों से आनी वाली रकम का 10 फीसद हिस्सा रकम लाने वाला वार्डर रखता है शेष धनराशि जेल में बंद बन्दी को मिल जाती है।

डीआईजी जेल ने जांच में डीजी को किया गुमराह….!

राजधानी की जिला जेल में बांग्लादेशी बन्दियों की फंडिंग मामले की जांच में डीआईजी जेल शैलेन्द्र मैत्रेय ने डीजी जेल को गुमराह कर दिया। डीआईजी जेल ने जांच रिपोर्ट में जेल अफसरों व सुरक्षाकर्मियो के9 क्लीन चिट दे दी थी। एटीएस की जांच रिपोर्ट ने डीआईजी जेल की भूमिका पर कई सवाल खड़े कर दिए है। जब डीआईजी से पूछा गया कि वर्तमान समय मे लखनऊ जेल में कितने सजायाफ्ता व विचाराधीन बांग्लादेशी बन्दी है। इस पर उन्होंने कहा कि इसकी उन्हें कोई जानकारी नही है। वार्डरों के बैंक खातों में मोटी रकम होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसका जिक्र हमने रिपोर्ट में किया है।

इस मामले का खुलासा जेल में चल रही एटीएस टीम की जांच से हुआ था। करीब एक पखवाड़े से अधिक समय तक एटीएस ने इस मामले की जांच की। सूत्र बताते है जांच के दौरान एटीएस टीम ने जेल के आसपास चल रहे पीसीओ और साइबर कैफे पर पड़ताल की। इस दौरान एटीएस की टीम ने कई लोगों को उठाकर उनसे पूछताछ भी की। पूछताछ में जेल के कई वार्डरों के शामिल होने की जानकारी होने पर एटीएस ने जब वार्डरों को पूछताछ के लिए उठाने की प्रक्रिया प्रारंभ की तो जेल अधीक्षक व जेलर ने बदनामी का हवाला देकर जांच में सहयोग देने का आश्वासन दिया। इसके बाद एटीएस ने चिन्हित करीब ढाई दर्जन वार्डर को अपने कार्यालय बुलाकर पूछताछ की। 

सूत्रों का कहना है कि लंबी जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद एटीएस ने दोषी अफसरों व वार्डरों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए अपनी जांच रिपोर्ट जेल मुख्यालय को भेजी है। रिपोर्ट में एटीएस ने जेल में बंद बांग्लादेशी बन्दियों की ढाका से हो रही फंडिंग के मामले में जेल अफसरों  के साथ करीब दो दर्जन वार्डरों को दोषी ठहराते हुए इनके खिलाफ सख्त कार्यवाही किये जाने की संस्तुति की है। यह अलग बात है कि इस मसले पर जेल मुख्यालय के अधिकारियों ने यह कहकर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि अभी कोई रिपोर्ट नही मिली है। उधर इस संबंध में जब आईजी एटीएस जीके गोस्वामी से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फ़ोन ही नही उठाया। उधर डीजी जेल आनंद कुमार का कहना है एटीएस की जांच रिपोर्ट आने पर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।