बेसिक शिक्षा बुनियादी आवश्यकता

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बेसिक शिक्षा परिषद के सभी विद्यालयों के पास अपना एक डाटा बैंक होना चाहिए, जिसमें अभिभावक का पूर्ण डाटा, उसका टेलीफोन नम्बर हो, साथ ही, ग्राम पंचायत, शासन की योजनाओं से उसे मिल रहे लाभ, सरकारी नौकरी, रोजगार, व्यवसाय, इत्यादि का वर्णन हो।विद्यालय के शिक्षक एवं शिक्षामित्र संकल्प ले लंे, तो कोई भी बच्चा स्कूल में जाने से वंचित नहीं होगा, उन्हें गांव में जाकर एक-एक अभिभावक के साथ संवाद बनाना होगा।अगर बच्चे का रिपोर्ट कार्ड खराब हो तो भी शिक्षकों को कभी भी अभिभावक के पास जाकर नकारात्मक टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, सकारात्मक भाव बच्चे के जीवन में व्यापक परिवर्तन का कारण बनेगा।बेसिक शिक्षा परिषद प्रदेश का सबसे बड़ा शिक्षा महकमा है, इसमें 06 लाख से अधिक शिक्षक, शिक्षामित्र एवं अनुसेवक अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

बेसिक शिक्षा परिषद प्रदेश का सबसे बड़ा शिक्षा महकमा है। इसमें 06 लाख से अधिक शिक्षक, शिक्षामित्र एवं अनुसेवक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अमृत महोत्सव वर्ष में सभी विद्यालयों पर एक बड़ी जिम्मेदारी है। बहुत सारे ऐसे गांव हैं, जहां पर आजादी की लड़ाई में महापुरुषों और क्रांतिकारियों ने अपना योगदान दिया था, किन्तु इतिहास में उन्हें स्थान नहीं मिल पाया। उस ग्राम पंचायत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सामाजिक जीवन में अच्छा कार्य करने वालों के चित्र को विद्यालय में स्थापित कर बच्चों को उनके योगदान के विषय में परिचित कराएं। विद्यालय का यह प्रयास बच्चों को अधिकाधिक संवेदनशील बनाएगा, शिक्षा के प्रति उनमें रूचि जागृत करेगा, ड्रॉप आउट रेट को नीचे करने में मददगार होगा। विद्यार्थी के विद्यालय से 5वीं और 8वीं कक्षा पास करने के बाद भी शिक्षकों की जिम्मेदारी खत्म नहीं होती। विद्यालय द्वारा उनके डाटा बैंक को तैयार कर उन बच्चों के कक्षा 06 में प्रवेश लेने के सम्बन्ध में प्रत्यक्ष या टेलीफोन से सम्पर्क करना चहिए। साथ ही, वर्ष में एक बार उस बच्चे को अपने विद्यालय में बुलाया जाना चाहिए। इस कार्य से बच्चों के मन में विद्यालय एवं शिक्षक के प्रति भावनात्मक लगाव उत्पन्न होगा। बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शासन की विभिन्न प्रकार की योजनाओं एवं रचनात्मक कार्यक्रमों से जोड़ने का कार्यक्रम भी बनाया जा सकता है। ये सभी कार्यक्रम बेसिक शिक्षा परिषद को पुराने गौरव से जोड़ेगा। जिस गौरव के लिए प्रदेश जाना जाता था, इससे विद्यार्थी जीवन भर शिक्षकों को सम्मान देगा।

बेसिक शिक्षा बुनियादी आवश्यकता है। बेसिक शिक्षा के विद्यार्थी ऐसे नाजुक उम्र में होते हैं, जहां पर बच्चों के लिए अभिभावक के साथ-साथ शिक्षक का व्यक्तिगत सम्पर्क बहुत आवश्यक होता है। कोरोना महामारी से प्रभावित 02 वर्षाें के बाद इस वर्ष पुनः ‘स्कूल चलो अभियान’ प्रारम्भ किया गया। वर्तमान में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़कर 01 करोड़ 91 लाख पहुंच गई है। इन बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, बैग, जूता-मोजा, स्वेटर एवं स्टेशनरी उपलब्ध कराई जा रही है। वर्ष 2017 से पहले बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों के भवनों पर बड़े-बड़े पेड़ उगे हुए थे। इन विद्यालयों में आधारभूत संरचनाआंे, बालक-बालिकाओं के लिए पृथक-पृथक शौचालय एवं पेयजल की अनुपलब्धता जैसी कमियां विद्यमान थी। शिक्षकों की कमी भी एक समस्या थी। वर्ष 2017 तक गांव का गरीब से गरीब व्यक्ति भी अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल में भेजना ही उचित समझता था। राज्य सरकार ने पिछले 05 वर्षों में अभियान चलाकर बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों को विश्वास का प्रतीक बनाया। वर्ष 2017 में बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या 01 करोड़ 34 लाख थी, जो बढ़कर आज 01 करोड़ 91 लाख तक पहुंच गयी है। यह एक बड़ी उपलब्धि है।