कारागार विभाग के तबादलों में हुआ बड़ा खेल..!

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जेल अफसर खा रहे कैदियों की सब्जी..!
जेल अफसर खा रहे कैदियों की सब्जी..!

कारागार विभाग के तबादलों में हुआ बड़ा खेल ..! करीब 50% सुरक्षाकर्मी अभी तक नहीं हुए रिलीव चहेते कमाऊ कर्मियों को अफसर नहीं कर रहे कार्यमुक्त।

राकेश

लखनऊ। शासन की स्थानांतरण नीति आने के बाद कारागार विभाग में अधिकारियों व सुरक्षाकर्मियों के जमकर तबादले किये गए। तबादले हुए करीब तीन माह से अधिक का समय बीत गया। इसके बावजूद करीब 50 प्रतिशत स्थानांतरित कर्मियों को अभी तक रिलीव नहीं किया गया है। यही नहीं प्रदेश की दर्जनों जेलों पर 15-20 साल से बाबू जमें हुए हैं। इनमें कई का स्थानांतरण ही नहीं किया गया जिनका किया भी गया उन्हें भी आज तक रिलीव नहीं किया। जेल विभाग के तबादलों में बड़े खेल को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। चर्चा है कि मोटी रकम लेकर तबादले तो कर दिए गए किन्तु उन्हें रिलीव किया ही नहीं गया है।

प्रमोशन के बाद भी नहीं होता स्थानांतरण– प्रदेश कारागार विभाग में लंबे समय से एक ही जेल पर जमें कर्मियों के अलावा प्रमोशन के बाद भी अधिकारियों व कर्मियों को स्थानांतरित नहीं किया जाता है। लखनऊ जेल अधीक्षक के वरिष्ठ अधीक्षक बनने के बाद भी उनका तबादला नहीं किया गया। इसी प्रकार डिप्टी जेलर से जेलर पद पर प्रोन्नत हुए जेलर को ही लखनऊ में ही समायोजित कर दिया गया। आगरा रेंज कार्यालय में करीब 18 साल से जमीं रंजना कमलेश को भी प्रोन्नति के बाद स्थानांतरित नहीं किया गया। फिरोजाबाद में बड़े बाबू छोटे लाल 20 साल से व गोरखपुर में भी बड़े बाबू लंबे समय से वहीं जमें हुए है। इन बाबुओं का तबादला ही नहीं होता है।

मिली जानकारी के मुताबिक स्थानांतरण सत्र के दौरान प्रदेश के जेल विभाग में करीब आधा दर्जन वरिष्ठ अधीक्षक, डेढ़ दर्जन से अधिक अधीक्षक, दर्जनों की संख्या में जेलर व डिप्टी जेलर के तबादले किये गए। सबसे अधिक करीब हज़ार से ज्यादा तबादले हेड वार्डर एवम वार्डर के किये गए। वार्डर एवम हेड वार्डर के कुछ तबादले परिक्षेत्र डीआईजी/वरिष्ठ अधीक्षक स्तर से हुए। एक परिक्षेत्र से दूसरे परिक्षेत्र के तबादले डीआईजी मुख्यालय ने किए। शासन व जेल मुख्यालय में बैठे अफसरों ने विभागीय अफसरों व सुरक्षाकर्मियों के तबादले तो जरूर कर दिए किन्तु तबादलों का अनुपालन आज तक सुनिश्चित नहीं हो पाया है।

सूत्रों का कहना है राजधानी की जिला जेल से करीब दो दर्जन हेड वार्डर व वार्डर के तबादले किये गए। इसमें अभी तक सिर्फ दो वार्डर को ही रिलीव किया गया है। इसी प्रकार फिरोजाबाद जेल से आधा दर्जन लोगों को स्थानांतरित किया गया एक-दो लोगों को छोड़कर अभी तक कोई रिलीव नहीं किया गया। इसी प्रकार डिप्टी जेलर रोशन आरा का एटा से बस्ती, डिप्टी जेलर श्रीमती रामसिया का ललितपुर जेल से महोबा जेल स्थानांतरण किया गया। इन दोनों महिला अधिकारियों को आज तक रिलीव नहीं किया गया। यह तो बानगी है। इसी प्रकार प्रदेश की विभिन्न जेलों से स्थानांतरित 50 प्रतिशत अधिकारियों व सुरक्षाकर्मियों को स्थानांतरण होने के तीन माह बाद भी अभी तक रिलीव नहीं किया गया है। उधर इस संबंध में जब डीआईजी जेल मुख्यालय शैलेन्द्र मैत्रेय से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फ़ोन ही नहीं उठाया। कई प्रयासों के बाद भी उनसे बात नहीं हो सकी।