भाजपा राज्यों में OBC आरक्षण से खिलवाड़-लौटनराम निषाद

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भाजपा राज्यों में OBC आरक्षण से खिलवाड़-लौटनराम निषाद

एमपीपीएससी की मेडिकल ऑफिसर के 1456 पदों पर भर्ती में ओबीसी का कोटा शून्य क्यों?भाजपा शासित राज्यों में ओबीसी आरक्षण के साथ किया जा रहा है खिलवाड़।


लखनऊ। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) द्वारा लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के अधीन अस्पतालों के लिए मेडिकल ऑफिसर की भर्ती के लिए आवेदन की प्रक्रिया 20 जनवरी से शुरू कर दी गयी है। ऑनलाइन आवेदन करने की आखिरी तारीख 19 फरवरी 2023 निर्धारित की गई है।कुल 1456 मेडिकल ऑफिसर की पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापित विज्ञापन में ओबीसी को कोई कोटा नहीं दिया गया है।भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ.लौटनराम निषाद मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की मेडिकल ऑफिसर भर्ती में ओबीसी कोटा नहीं दिए जाने पर मध्यप्रदेश सरकार पर ओबीसी के हिस्से पड़ डकैती का आरोप लगाया है।उन्होंने कहा कि तथाकथित ओबीसी मुख्यमंत्री के राज में खुलेआम ओबीसी के हितों की अनदेखी व हकमारी अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण व निन्दनीय है।उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार से तत्काल मेडिकल ऑफिसर भर्ती विज्ञापन में संशोधन की माँग किया है।


निषाद ने बताया कि पूर्व की सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ओबीसी आरक्षण कोटे को 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किये थे।ओबीसी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में प्रकरण विचाराधीन है। ऐसे में इस भर्ती के लिए विज्ञापित पदों के लिए चयन मुख्य भाग 87 प्रतिशत और 13 प्रतिशत प्रोविजनल के आधार पर किया गया है,जो पूरी तरह ओबीसी के साथ नाइंसाफी है।उन्होंने कहा है कि 16 नवम्बर,1992 के उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा की बाध्यता के कारण मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 50.9 प्रतिशत ओबीसी को 27 की बजाय 14 प्रतिशत ही कोटा दिया गया था।उन्होंने कहा कि 27 प्रतिशत नहीं तो ओबीसी को पूर्व से मिल रहे 14 प्रतिशत कोटा तो दिया जाना चाहिए।

केन्द्र सरकार ने मा. उच्चतम न्यायालय के इन्दिरा साहनी वनाम भारत सरकार के मण्डल कमीशन सम्बंधित मामले में आर्थिक आधार पर कोटा को संविधान विरोधी बताते हुए निर्णय दिया था, इसके बावजूद सवर्ण जातियों को बिना किसी आयोग की सिफारिश के 10 प्रतिशत कोटा देकर 50 प्रतिशत के बाध्यकारी व्यवस्था को तोड़ दिया।उन्होंने कहा कि जब संविधान व उच्चतम न्यायालय के 9 न्यायाधीशों के निर्णय से ओर जाते हुए केन्द्र सरकार ने संविधान संशोधन कर सुदामा कोटा देकर 50 प्रतिषत की सीमा को लाँघ गयी तो ओबीसी के लिए ही अड़ंगेबाजी क्यों की जा रही है?न्यायालय की अड़ंगेबाजी ओबीसी कोटा पर ही क्यों कि जाति है।यह संवैधानिक व नैसर्गिक न्याय के प्रतिकूल है।


निषाद ने बताया को मध्यप्रदेश आरक्षण नियमावली के अनुसार
पूर्व कोटा के आधार पर ओबीसी को 204 एवं कमलनाथ सरकार के संशोधन के अनुसार 1456 मेडिकल ऑफिसर के पदों में से 393 पद ओबीसी के लिए आरक्षित होना चाहिए। 1456 मेडिकल ऑफिसर भर्ती में नियमानुसार एससी को 233,एसटी को 291 व ईडब्ल्यूएस को 145 या 146 पद आरक्षित व 582 पर अनारक्षित होना चाहिए।उन्हीने बताया कि एमपीपीएससी की मेडिकल ऑफिसर के 1456 विज्ञापित पदों में 582 अनारक्षित के सापेक्ष 379 पर अनारक्षित रखे गए हैं। ओबीसी को 393 या 204 पद के सापेक्ष शून्य कर दिया गया है।यदि प्रकार 16 प्रतिशत एससी कोटा के अनुसार 233 की जगह मात्र 178 पद और एसटी को 20 प्रतिशत कोट की दृष्टि से 291 के सापेक्ष 477 पद आरक्षित किया गया है।उन्होने बताया कि 1456 में ओबीसी को कम से कम 204 पद तो मिलना चाहिए, लेकिन ओबीसी का पूरा का पूरा कोटा हड़प लिया गया।एसटी को 186 अतिरिक्त पद आरक्षित किये गए हैं,वही एससी के 55 पदों की हकमारी कर ली गयी है। 10 प्रतिशत सुदामा कोटा को पूरा का पूरा 10 प्रतिशत कोटा देते हुए 146 पद आरक्षित कर दिए गए हैं।

भाजपा राज्यों में OBC आरक्षण से खिलवाड़-लौटनराम निषाद