सफेद फूल में काला ज़हर …

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पता नही आप इसे जानते पहचानते हैं या नही लेकिन ये सुंदर सा सफ़ेद फूल तस्वीर में जो दिख रहा है ये पोस्ता है जिसे आप गरममसाला में स्तेमाल करते होंगे लेकिन इस पोस्ता का दूध मानव के लिये जहर है ?
इस दूध को “अफ़ीम” कहते हैं इस अफ़ीम से कई और का जन्म होता है जैसे -मार्फीन-हीरोइन-इत्यादि जिसका अंतरष्ट्रीय मार्केट में कीमत करोड़ो रूपये प्रति किलो है.सरकार तो अपना काम निकालने के लिये किसान को लाइसेंस देकर अफीम को सस्ते मूल्य पर खरीद लेती है लेकिन काश्तकार सरकार की दोगलिनीति की वजह से चोरी मिलावटी को अपना कर अफीम लोकल मार्केट में बेंच कर न जाने कितनों के घरों का नशे में आदी बना कर बर्बाद कर देती है.


अगर सरकार किसान को मार्केट का रेट देकर अफ़ीम खरीद लिया करे तो शायद किसान भी चोरी करने को मजबूर न हो ?बुआई से लेकर अफीम नारकोटिक्स विभाग को सौंपने तक के कई महीनों तक किसान अपने और अपने परिवार की जान जोखिम में डाल कर अफ़ीम की सुरक्षा करता है लुटेरों व चोरी से बचाने में अगर जरा सी चूक हो गई तो अफ़ीम के साथ परिवार की हत्याएँ तक हो जाती हैं? उसके बाद भी नारकोटिक्स विभाग किसान को ही प्रताड़ित करता है.


चंद पैसों के लिये किसान जान जोखिम में डालने को मजबूर रहता है ।
आज बाराबंकी जनपद के अधिकांश नगरपंचयतों में बच्चे युवा मार्फीन के आदी हो चुके है साथ साथ प्रदेश के अन्य जनपदों में भी इस नशे के यूजर बढ़े है उसकी वजह से आपराधिक एक्टिविटी भी बढ़ी है.यह ऐसा नशा है जिसको 2 बार से अधिक स्तेमाल कर लेने वाले को इस नशे से बाहर होना नामुमकिन है.


महंगा नशा होने की वजह से नशेड़ीयो की सम्पूर्ण सम्पति का नाश हो जाता है उसके बाद चोरी छिनैती जैसे आपराधिक गतिविधियों में नशे के आदी शामिल हो जाते हैं लेकिन इन नशेड़ियों पर पुलिस भी कार्यवाही नही कर पाती न लॉकअप में रख पाती है क्यों कि नशे का असर खत्म होने लगता है तो उनके शरीर शिथिल होने लगता है किसी अनहोनी की डर से पुलिस भी बवाल अपने लिए नंही पालती ?दुःखद तो ये है किं नशे में महिलाएं भी शामिल होने लग गई है इसका दूरगामी परिणाम बहुत ही बुरा होगा.