निषादराज को बोट सब्सिडी योजना की सौगात

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सरकार द्वारा शुरू की गई निषादराज बोट योजना तथा मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना तथा गरीब पट्टेधारकों एवं मछुआरों के लिए सौगात निषादराज बोट सब्सिडी योजना से 7500 मछुआरों व पट्टेधारकों को नाव व जाल क्रय हेतु आर्थिक सहायता प्रदान करते हुए आत्मनिर्भर बनाया जायेगा मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के माध्यम से ग्राम सभा के पट्टे के तालाबों पर 500 मत्स्य बीज बैंक स्थापित किये जायंेगेयोजनाओं से गरीब मछुआ समुदाय के पट्टेधारकों के जीवन स्तर में सुधार के साथ-साथ रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशन में मत्स्य विभाग, उ०प्र० द्वारा ग्राम सभा के तालाबों के गरीब मत्स्य पट्टेधारकों एवं मछुआरों के लिए शत-प्रतिशत राज्यपोषित दो नवीन योजनाएं निषादराज बोट योजना तथा मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना की शुरूआत की जा रही है। इस हेतु प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2022-23 के वार्षिक बजट में प्रारम्भिक स्तर पर रू0 4.00 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गयी है, जिससे ग्रामीण अंचलों में निवास कर रहे गरीब मत्स्य पट्टेधारकों एवं मछुआरों की आय में वृद्धि होगी तथा उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनाये जाने में सहायता मिलेगी।यह जानकारी आज यहां मत्स्य विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव डा0 रजनीश दुबे ने देते हुए बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा जलस्त्रोतों से मत्स्य आखेट, मत्स्य आहार के पोषण एवं मत्स्य संपदा के रखरखाव व प्रबन्धन हेतु ग्राम सभा के तालाबों के मत्स्य पट्टेधारकों एवं मछुआरों को नाव, जाल आदि उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से निषादराज बोट सब्सिडी योजना प्रारम्भ की गयी है।

इस योजना में प्रति वर्ष 1500 पट्टेधारकों एवं मछुआरों की दर से आगामी 05 वर्षों में 7500 मछुआरों व पट्टेधारकों को नाव व जाल क्रय हेतु आर्थिक सहायता प्रदान करते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा।डा0 दुबे ने बताया कि परियोजना की अधिकतम इकाई लागत रू० 0.67 लाख निर्धारित की गयी है जिस पर 40 प्रतिशत अनुदान के रूप में आर्थिक सहायता देय होगी। इस हेतु आय-व्ययक 2022-23 में योजनान्तर्गत प्रारम्भिक स्तर पर रू0 200.00 लाख का बजट स्वीकृत किया गया है। मछुआरों एवं पट्टेधारकों को मत्स्य पालन से संबंधित जलक्षेत्रों में अवैध शिकारमाही की रोकथाम व उसके नियंत्रित करने, तालाबों, नदियों व अन्य जलस्रोतों में मत्स्य आखेट के मत्स्य प्रबन्धन में यह योजना अत्यंत सहायक होगी। इसके अतिरिक्त प्रदेश में उपलब्ध जलक्षेत्र की मत्स्य सम्पदा को सुरक्षित व संरक्षित रखने में मछुआ समुदाय के व्यक्तियों की सहभागिता बढ़ेगी तथा राजस्व की संभावित हानि से भी बचा जा सकेगा।डॉ० रजनीश दुबे, अपर मुख्य सचिव, मत्स्य विभाग द्वारा बताया गया कि प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में स्थित ग्राम सभा के उथले एवं अव्यवस्थित पट्टे के तालाबों में मत्स्य उत्पादन में वृद्धि तथा मछुआ समुदाय के पट्टेधारकों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से मछुआ समुदाय के गरीब व पिछड़े पट्टेधारकों की आय में वृद्धि एवं ग्रामीण तालाबों में मत्स्य उत्पादकता को बढ़ाये जाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के अन्तर्गत दो परियोजनायें स्वीकृत हुई है।

अपर मुख्य सचिव, मत्स्य द्वारा अवगत कराया गया कि मनरेगा कनवर्जेन्स के माध्यम से सुधारे गये ग्राम सभा के पट्टे के तालाबों पर वर्ष 2022-23 में 100 मत्स्य बीज बैंक एवं आगामी 05 वर्षों में कुल 500 मत्स्य बीज बैंक स्थापित किये जायेंगे। इसी प्रकार मनरेगा कनवर्जेन्स के माध्यम से ही ग्राम सभा के पट्टे के तालाबों के सुधारोपरान्त प्रथम वर्ष निवेश पर 40 प्रतिशत अनुदान सहायता से वर्ष 2022-23 में 500 हेक्टेयर पट्टे के तालाबों पर मत्स्य पालन का कार्य तथा आगामी 05 वर्षों में कुल 2500 हेक्टेयर के पट्टेधारकों को अनुदान सहायता उपलब्ध करायी जायेगी।मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजनान्तर्गत पट्टे के तालाबों पर सीड बैंक स्थापित करने से विभिन्न मत्स्य प्रजातियों यथा-कतला, रोहू, नैन, सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प, कामन कार्प, पंगेसियस आदि के गुणवत्तायुक्त मत्स्य बीज की स्थानीय उपलब्धता बढ़ेगी एवं मनरेगा कन्वर्जेन्स से विकसित ग्राम सभा के तालाबों में प्रथम वर्ष निवेश के माध्यम से मत्स्य अंगुलिका, फिश फीड/पूरक आहार एरेटर, सम्बर्शिबल पम्प/पम्पसेट आदि मत्स्य पट्टेधारकों व मछुआरों को उपलब्ध हो सकेंगे। प्रथम वर्ष निवेश धनराशि की इकाई लागत रू0 4.00 लाख पर 40 प्रतिशत अनुदान सहायता के माध्यम से पट्टाधारकों की आय में वृद्धि व तालाबों में अतिरिक्त 20 कुन्तल प्रति हेक्टेयर की अतिरिक्त उत्पादकता से गरीब मछुआ समुदाय के पट्टेधारकों के जीवन स्तर में सुधार आयेगा।यह योजना मछुआ समुदाय की विभिन्न उपजातियों यथा-केवट, मल्लाह, निषाद, बिन्द, धीमर, कश्यप, बाथम, रैकवार, मांझी, गोडिया, कहार, तुरैहा/तुरहा आदि सहित अन्य मत्स्य पट्टाधारकों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करते हुए उनके जीवन स्तर में सुधार के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी सृजित किये जाने में सहायक होंगी।