उम्मीदवार इन बातों की गारंटी दें

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श्याम कुमार


पहले आम जनता की सेवा करते-ंकरते व्यक्ति अपने आप नेता मान लिया जाता था तथा जनता उससे अनुरोध करती थी कि वह विधायक या सांसद बनकर उसका प्रतिनिधित्व करे। किन्तु बाद में उलटी स्थिति हो गई। जनता की सेवा करने की बात गायब हो गई तथा केवल पैसा व जातीय समीकरण हावी हो गए। लोकसभा, विधानसभा, ग्राम पंचायत आदि कोई भी चुनाव हो, वही फारमूले सर्वत्र कार्यान्वित होने लगे हैं तथा इसी को लोकतंत्र माना जाने लगा है।


मान्यता प्राप्त पत्रकार समिति का द्विवर्शीय चुनाव भी इसी फारमूले की भेंट च-सजय़ चुका है, जिसके परिणामस्वरूप पत्रकारों का हित किसी कोने में उपेक्षित दुबका पड़ा है। पत्रकारों का जितना अहित मुख्यमंत्री के रूप में अखिलेष यादव ने किया, उतना तो मायावती ने भी नहीं किया था। अखिलेश यादव के समय में पत्रकारों के साथ अन्याय की पराकाश्ठा हो गई थी। बेहूदगी तो इतनी हो गई थी कि मुख्यमंत्री-ंआवास पर होने वाले कार्यक्रमों में आगे सोफों पर अफसर बिठाए जाते थे, जिनके पीछे कुरसियों पर पत्रकारों को बिठाया जाता था। वरिश्ठ पत्रकार आपत्ति करते थे, लेकिन उनकी कोई नहीं सुनता था। मान्यताप्राप्त पत्रकार समिति ‘मनमोहन सिंह’ बनी रहती थी।


उस समिति के द्विवार्शिक चुनाव की बेला फिर आ गई है। चुनाव में तमाम प्रत्याषी ऐसे हैं, जो सिर्फ चुनाव के समय दिखाई देते हैं तथा पत्रकारों के हित-ंउचयअहित की उन्हें कभी चिंता नहीं होती है। जाहिर है कि ऐसे लोग चुन लिए जाने पर ‘मनमोहन सिंह’ बन जाएंगे तथा जिस प्रकार मनमोहन सिंह व उनकी सरकार को जनता एवं जनता के हितों की कोई परवाह नहीं रहती थी, उसी प्रकार
उम्मीदवारगण जो बड़ी-ंबड़ी बातें कर रहे हैं, निर्वाचित होने के बाद वे पत्रकारों का हित पूरी तरह भूल जाएंगे।

ऐसी स्थिति से बचने के लिए वरिश्ठ पत्रकारों ने चुनाव में खड़े उम्मीदवारों से निम्नलिखित वादों को पूरा करने की गारंटी देने की मांग की है, ताकि निर्वाचित होने के बाद वे उन बातों को भूल न जाएंः-ं

  1. पत्रकारों की प्रतिश्ठा को सर्वाेपरि माना जाएगा तथा किसी भी सरकारी कार्यक्रम में ऐसा नहीं होगा कि अफसर आगे बैठें तथा वरिश्ठ पत्रकार पीछे। अफसरों के बैठने के लिए किनारे की ओर अलग व्यवस्था की जा सकती है।
  2. शसन द्वारा पत्रकारों की सुरक्षा की कारगर व्यवस्था कराई जाएगी, ताकि पत्रकारों पर होने वाले हमले बंद हों तथा वे सुरक्षित रहें। मंत्री एवं अफसर पत्रकारों को वरीयता देंगे।
  3. 65 वर्श से अधिक उम्र वाले पत्रकारों को सरकार से 50 हजार रुपये मासिक पेंशन की व्यवस्था कराई जाएगी। सरकार के पास अपना निजी धन नहीं होता, बल्कि वह जनता का ही पैसा होता है। अतः जिस प्रकार जनता के उस पैसे से विधायकों, सांसदों, मंत्रियों आदि को वेतन-ंउचयभत्ते व सुविधाएं दी जाती हैं, वैसे ही 65 वर्श से अधिक उम्र वाले पत्रकारों को पेंषन एवं सुविधाएं प्रदान की जाएं। पत्रकार
  4. जनप्रतिनिधियों से अधिक जनता की समस्याएं उठाते हैं।
  1. उच्चतम स्तर के चिकित्सालयों में पत्रकारों को हर प्रकार की निःषुल्क चिकित्सा की व्यवस्था कराई जाएगी।
  2. सभी ट्रेनों, बसों एवं विमानों में निःषुल्क यात्रा की व्यवस्था कराई जाएगी।
  3. नई पत्रकार कॉलोनी विकसित कराई जाएगी।
  4. पत्रकारों से मकान का भाड़ा न्यूनतम लिए जाने की व्यवस्था कराई जाएगी। सरकारी कर्मचारियों के लिए छठा वेतनमान लागू है, जबकि पत्रकारों को ऐसी सुविधा नहीं मिलती है।
  5. अखिलेश यादव ने पत्रकारों को आवंटित मकानों का हर साल नवीनीकरण किए जाने की व्यवस्था लागू कर दी थी। अतः उक्त नई व्यवस्था खत्म कर पुरानी व्यवस्था लागू कराई जाएगी।
  6. पत्रकार वही है, जिसे लिखना आता हो। अतः ऐसी व्यवस्था कराई जाएगी कि जिन्हें सही लिखना आता हो, परीक्षण कर उन्हीं पत्रकारों को मान्यता दी जाय। सही पत्रकारों को मान्यता मिल जाने पर उनके जीवनकाल में बार-ंबार उस मान्यता के नवीनीकरण की आवष्यकता नहीं रहेगी।
  7. पूर्ववर्ती सरकारों की कृपा एवं भ्रश्ट उपायों से पत्रकार के वेश में जिन माफियाओं व अन्य अपराधी तत्वों तथा भ्रश्ट लोगों ने पत्रकार-ंउचयजगत में घुसपैठ कर रखी है और उन्हें पिछली सरकारों द्वारा मकान आदि की सुविधाएं दे दी गईं, उनके रिकॉर्ड की गहन जांच कराकर उनकी मान्यता रद्द कराई जाएगी तथा उन्हें दी गई मकान आदि की समस्त सुविधाएं समाप्त कराई जाएंगी।