नर्सिंग/पैरामेडिकल संस्थानों की गुणवत्ता का प्रमाणन जरूरी-मुख्यमंत्री

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गुणवत्ता विहीन, अधोमानक संस्थानों को मान्यता मिली तो कार्रवाई तय।नर्सिंग/पैरामेडिकल संस्थानों की गुणवत्ता का प्रमाणन जरूरी।अच्छे संस्थानों की पहचान करें, लागू करें मेंटॉर-मेंटी मॉडल,नर्सिंग/पैरामेडिकल सेवा चिकित्सा व्यवस्था की रीढ़, कैरियर की है असीम संभावनाएं,नर्सिंग/पैरामेडिकल संस्थानों की गुणवत्ता।सुधार के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशमुख्यमंत्री का निर्देश, हर नर्सिंग/पैरामेडिकल संस्थान में हो कैरियर काउंसिलिंग।

लखनऊ।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि चिकित्सा सेवा में नर्सिंग एवं पैरामेडिकल स्टाफ की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। कोरोना के बीच हम सभी ने सपोर्ट स्टाफ की महत्ता का करीब से अनुभव भी किया है। ऐसे में ए0एन0एम0 एवं जी0एन0एम0 आदि पैरामेडिकल के प्रशिक्षण को और व्यावहारिक बनाया जाए।आज यहां उनके सरकारी आवास पर उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी का प्रस्तुतीकरण किया गया। उन्होंने कहा कि नर्सिंग एवं पैरामेडिकल के क्षेत्र में अच्छा कैरियर है। ए0एन0एम0 और जी0एन0एम0 के बेहतर प्रशिक्षण के लिए अवस्थापना सुविधाओं को दुरुस्त किया जाए। हर संस्थान में मानकों का कड़ाई से अनुपालन कराया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी प्रशिक्षण संस्थानों में फैकल्टी पर्याप्त हो, अच्छी हो।


पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों के सुचारु संचालन एवं नियमन के लिए स्टेट मेडिकल फैकल्टी के अंतर्गत डेंटल काउंसिल, मेडिकल काउंसिल और नर्सिंग एंड मिडवाइफरी काउंसिल की भांति पैरामेडिकल काउंसिल का गठन किया जाना आवश्यक है। इस दिशा में जरूरी कार्यवाही तेजी से पूरी की जाए। किसी भी संस्थान को सम्बद्धता एवं मान्यता प्रदान करने से पूर्व निर्धारित मानकों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराएं। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन किया जाना जाए। अधोमानक संस्थान को कतई मान्यता न दी जाए। मान्यता हेतु गठित टीम के सदस्यों की जवाबदेही भी तय की जाए। जानकारी छिपा कर, गलत, आधी अधूरी जानकारी के आधार पर मान्यता देने की अनुशंसा करने वाली टीम के सदस्यों के खिलाफ विधिपूर्वक कठोर कार्रवाई की जाए।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नर्सिंग एवं पैरामेडिकल संस्थानों में सत्र नियमित हो। समय पर दाखिला, समय से परीक्षा और तय समय सीमा के भीतर प्रमाण पत्र जारी किया जाए। उन्होंने कहा कि सभी नर्सिंग एवं पैरामेडिकल संस्थानों के लिए शैक्षिक गुणवत्ता व शैक्षिक सुविधाओं के स्तर का प्रमाणन कराया जाना अनिवार्य किया जाए। क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया सहित विभिन्न प्रतिष्ठित गुणवत्ता प्रत्यायन संस्थानों द्वारा विधिवत निरीक्षण किया जाए। अच्छे संस्थानों की पहचान करते हुए उनके बेस्ट प्रैक्टिस और नवाचारों को दूसरे संस्थानों में लागू किया जाए। इसके लिए मेंटॉर-मेंटी मॉडल को अपनाया जाए।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नर्सिंग एवं पैरामेडिकल संस्थानों को प्लेसमेंट पर विशेष फोकस करना होगा। प्रशिक्षणार्थियों के लिए कैरियर काउंसिलिंग करायी जाए। आर्मी मेडिकल कोर अथवा बड़े चिकित्सा संस्थान आदि के साथ विद्यार्थियों का समय-समय पर इंटरेक्शन कराया जाए। आवश्यकतानुसार संस्थानों को एम0ओ0यू0 भी करना चाहिए। योग्य, दक्ष युवाओं की तलाश हर समय रहती है। निजी क्षेत्र के बड़े अस्पतालों से सम्पर्क बनाया जाए। प्रशिक्षणार्थियों को उनके कैरियर के बेहतर विकल्पों के बारे में जानकारी दी जाए। स्टेट मेडिकल फैकल्टी द्वारा इस दिशा में विशेष प्रयास किए जाएं।


मुख्यमंत्री ने कहा कि पैरामेडिकल संस्थानों में बढ़ोत्तरी के लिहाज से सत्र 2021-22 बहुत अच्छा रहा है। वर्ष 2017 में ए0एन0एम0 प्रशिक्षण के 266 संस्थानों के सापेक्ष 2022 में इस सत्र में 409 संस्थान क्रियाशील हो गए। इसी प्रकार, जी0एन0एम0 के 282 संस्थानों की जगह आज 382 प्रशिक्षण केंद्र स्टेट मेडिकल फैकल्टी से सम्बद्ध हो चुके हैं। यह स्थिति सराहनीय है।इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री एस0पी0 गोयल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।