अखिलेश यादव का चरित्र दलित विरोधी- डॉ0निर्मल

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लखनऊ। अखिलेश यादव का दलित प्रेम केवल मुखौटा है। यह दलित विरोधी है, अम्बेडकर विरोधी है, अपने पांच साल के कार्यकाल में एक भी दलित को यश भारती पुरस्कार तक नहीं दिए । अपने को अनुसूचित जाति का मसीहा बताने वाले अखिलेश यादव औरंगजेब और आलम को मानने वाले हैं । बस अड्डे का नाम आलमबाग और कांशी राम उर्दू फारसी अरबी यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू ,अरबी फारसी यूनिवर्सिटी कर दिया यहां तक कि बाबासाहेब अंबेडकर की पत्नी के नाम पर बने हुए जिले रमाबाई आंबेडकर जिले का नाम बदलकर कानपुर देहात कर दिया । उक्त बातें अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष डॉ लालजी प्रसाद निर्मल ने वीवीआइपी गेस्ट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही ।


अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष डॉक्टर लाल जी निर्मल ने लखनऊ में वीवीआइपी गेस्ट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सपा के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर एक तरफा हमला करते हुए कहा की यह केवल दलित प्रेम का दिखावा करते हैं और हकीकत में अंबेडकर के मानने वालों से नफरत करते हैं केवल वोट बैंक के लिए समय-समय पर दलित प्रेम का दिखावा करते हैं ।अपने 5 साल के कार्यकाल में अखिलेश यादव ने 195 लोगों को यश भारती पुरस्कार दिए, इनमें से एक भी दलित विद्वान को यह पुरस्कार नहीं दिए ।

वह केवल मुगल मानसिकता से काम करते हैं ।अखिलेश यादव की राजनीति एक परिवार और एक जाति विशेष की राजनीति बताया पार्टी में दलितों का कोई स्थान नहीं है गणित सपा सरकार में दलितों की आवाज को दबा दिया जाता था दलितों से अखिलेश यादव को इतनी नफरत थी कि उन्होंने गैर दलित को अनुसूचित जाति आयोग और वित्त निगम का अध्यक्ष तक बना दिया था । स्वयं अखिलेश यादव अपना जन्मदिन देश में नहीं मनाते और अपने आप को गरीब किसान हाशिए का समाजवादी नेता समझता है। डाक्टर निर्मल ने यहां तक कहा कि अखिलेश यादव के झूठे दलित प्रेम के मुखोटे का पूरे प्रदेश में घूम घूम कर प्रचार करूंगा ।