मुख्यमंत्री ने कोविड-19 प्रबंधन के दिये दिशा-निर्देश

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कोविड-19 प्रबंधन हेतु गठित टीम-09 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा-निर्देश।

● कोरोना महामारी से प्रदेश को सुरक्षित रखने की दिशा में लगातार किए जा रहे प्रयासों के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। देश में सबसे ज्यादा कोविड टेस्ट करने वाले उत्तर प्रदेश में 30 अप्रैल के 03 लाख 10 हजार 783 मरीजों की पीक की स्थिति के सापेक्ष एक माह में 87 फीसदी की गिरावट हो गई है। वर्तमान में 41,214 कोरोना केस एक्टिव हैं। हमारी रिकवरी दर 96.4% हो गई है।

● जिस प्रदेश के बारे में विशेषज्ञों ने आशंका व्यक्त की थी कि यहां मई में हर दिन एक लाख नए कोरोना मरीज सामने आएंगे, वहां बीते 24 घंटो में 1,908 मरीज पाए गए हैं। दैनिक मरीजों की यह संख्या 24 अप्रैल को आये 38,055 मरीजों की पीक स्थिति के सापेक्ष महज 05 फीसदी है। बीते 24 घंटों में 6,713 लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए हैं। इस तरह अब तक कुल 16 लाख 28 हजार प्रदेशवासी कोरोना से मुक्त होकर स्वस्थ हो चुके हैं।

● ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की नीति के अनुरूप उत्तर प्रदेश की नीति के संतोषप्रद परिणाम मिल रहे हैं। बीते 24 घंटों में 03 लाख 40 हजार 96 टेस्ट हुए, इसमें 1.42 लाख सैम्पल आरटीपीसीआर माध्यम से जांचे गए। उत्तर प्रदेश सर्वाधिक कोविड टेस्ट करने वाला राज्य है। अब तक यहां 04 करोड़ 90 लाख 96 हजार 625 सैम्पल की टेस्टिंग हुई है।

● कोविड वैक्सीनेशन संक्रमण से बचाव का सुरक्षा कवर है। केंद्र सरकार के सहयोग से उत्तर प्रदेश सरकार सभी नागरिकों का यथाशीघ्र टीका-कवर देने के लिए संकल्पित है। अब तक प्रदेश में 01 करोड़ 79 लाख 92 हजार 299 डोज लगाए जा चुके हैं। जबकि 18 से 44 आयु वर्ग के 19 लाख 79 हजार 399 लोगों ने टीका कवर प्राप्त कर लिया है। हमारा लक्ष्य जून माह में एक करोड़ लोगों को टीका-कवर से आच्छादित करने का है।

● दूध विक्रेता, सब्ज़ी विक्रेता, ऑटो, टैम्पो और ई-रिक्शा चालक, ठेला, खोमचा, रेहड़ी, पटरी व्यवसायी आदि संबंधित वर्ग के टीकाकरण के लिए कार्ययोजना तैयार की जाए। नगरीय निकाय अथवा परिवहन विभाग से समन्वय स्थापित कर इन सभी लोगों को टीका-कवर से आच्छादित करने की कार्यवाही हो। 15 जून से सभी 75 जिलों में यह प्रक्रिया प्रारंभ की जाए।

● सभी 75 जिलों में 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण की प्रक्रिया एक जून से प्रारंभ हो रही है। इसके साथ ही, 12 वर्ष के कम आयु के बच्चों के अभिभावकों का टीकाकरण प्राथमिकता के साथ किया जाएगा। सभी जिलों में इसके लिए ‘अभिभावक स्पेशल बूथ’ भी बनाए गए हैं। वैक्सीन के लिए ऑनलाईन को-विन पोर्टल में इन ‘अभिभावक स्पेशल’ बूथ का स्लॉट उपलब्ध होगा। इन बूथ पर केवल अभिभावकों का ही वैक्सीनेशन होगा। इन बूथ पर टीकाकरण हेतु अभिभावकों को अपने पाल्यों के आयु का सत्यापन कराना किया जाए।

● विशेषज्ञों के आकलन के दृष्टिगत कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के संबंध में प्रो-एक्टिव नीति अपनाई जा रही है। सभी मेडिकल कॉलेजों में पीआईसीयू और एनआईसीयू की स्थापना को तेजी से पूरा किया जाए। सभी मेडिकल कॉलेजों में 100-100 बेड के पीआईसीयू स्थापित किये जाने हैं। इसके साथ 50 बेड का एनआईसीयू भी हों। यह कार्य शीर्ष प्राथमिकता के साथ किया जाए।

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● सीएम हेल्पलाइन और आइसीसीसी के माध्यम से कोरोना मरीजों/परिजनों से संवाद बना कर उनकी जरूरतों की पूर्ति कराई जा रही है। अब इसी प्रकार पोस्ट कोविड मरीजों और ब्लैक फंगस की समस्या से ग्रस्त मरीजों/परिजनों से हर दिन संवाद किया जाए। उनकी सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाए।

● भविष्य की आवश्यकता के दृष्टिगत प्रदेश में ऑक्सीजन प्लांट स्थापना अभियान स्वरूप में की जा रही है। अब तक विभिन्न जिलों में 415 से अधिक ऑक्सीजन प्लांट स्वीकृत किये गए हैं। इनमें 61 प्लांट क्रियाशील भी हो चुके हैं। स्थापना कार्य की रीयल टाइम मॉनीटरिंग की जाए। जिला प्रशासन इन प्लांट्स के स्थापना कार्य की सतत मॉनीटरिंग करे। रॉ मैटेरियल की उपलब्धता हो अथवा सिविल वर्क समय से पूरे किए जाएं। उत्तर प्रदेश ऑक्सीजन उत्पादन के पैमाने पर आत्मनिर्भर होगा।

● लगातार प्रयासों से एक ओर जहां संक्रमण की तीव्रता कम हुई है, वहीं ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति में संतुलन की स्थिति बन गई है। ऑक्सीजन ऑडिट से वेस्टेज रोकने में बहुत सहायता मिली है। विगत 24 घंटे में 496 एमटी ऑक्सीजन वितरित की गई, इसमें 285 एमटी केवल रीफिलर को उपलब्ध कराई गई। इनके पास अब 05 दिनों का बैकअप हो गया है। ऑक्सीजन उपलब्धता की स्थिति को देखते हुए औद्योगिक इकाइयों को उनके उपयोग के लिए ऑक्सीजन उपयोग की अनुमति दी गई है। औद्योगिक गतिविधियां सामान्य रूप से क्रियाशील रखी जाएं।

● गेहूं खरीद की प्रक्रिया प्रदेश में सुचारू रूप से चल रही है। नए किसानों को जोड़ना हो, गेहूं खरीद हो अथवा भुगतान, इस वर्ष, पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ नया कीर्तिमान बनाया गया है। कुछ जिलों में मॉनीटरिंग बढ़ाये जाने की जरूरत है। कृषि उत्पादन आयुक्त स्तर से गेहूं खरीद की दैनिक मॉनीटरिंग की जानी अपेक्षित है।