मुख्यमंत्री ने बाढ़ परियोजनाओं की समीक्षा बैठक

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मुख्यमंत्री ने बाढ़ परियोजनाओं की समीक्षा बैठक की।बाढ़ नियंत्रण से सम्बंधित हर एक कार्य प्रत्येक दशा तक 15 जून तक पूरा कर लिया जाए: मुख्यमंत्रीबाढ़ बचाव कार्य में विभाग के हर स्तर के अधिकारी फील्ड में उतरें और मौके पर जाएं,एक सप्ताह के भीतर कार्यस्थलों की ड्रोन वीडियो/फोटो आदि उपलब्ध कराई जाए।नदियों की ड्रेजिंग से निकली उपखनिज बालू/सिल्ट की नीलामी में पूर्ण पारदर्शिता बरती जाए,हर हाल में यह बालू/सिल्ट 15 जून तक वहां से हट जाए,बालू नीलामी के कार्य का भौतिक सत्यापन भी कराया जाए।तटबंधों की मरम्मत के कार्य को शीर्ष प्राथमिकता दी जाएअति संवेदनशील/संवेदनशील स्थलों पर रिजर्व स्टॉक का प्रबंध यथाशीघ्र कर लिया जाए।नदी की धारा की चपेट में आने वाले अति संवेदनशील/संवेदनशील स्थलों कोचिन्हित कर मरम्मत/सुरक्षात्मक कार्य हर हाल में 31 मई तक पूरा करा लिया जाए।नदियों के चैनेलाइजेशन के काम और तेज किये जाएं।जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में बाढ़ से निपटने के लिए स्टीयरिंग ग्रुप की कार्यवाही वर्तमान माह में ही पूरी हो जाए।बाढ़ बचाव के लिए 15 जून तक जिला प्रशासन/विभागद्वारा क्षेत्रों में बाढ़ सुरक्षा समितियों का गठन कर लिया जाए।अंतर्विभागीय बाढ़ समन्वय के लिए मंडलीय एवं जनपद स्तरीय नोडल अधिकारी तथा अंतरराष्ट्रीय एवं अंतर्राज्यीय बाढ़ समस्याओं के लिए नोडल अधिकारी नामित कर कार्य किया जाए।


 लखनऊ। आज यहां लोक भवन में बाढ़ परियोजनाओं की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समीक्षा बैठक में आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए कहा कि बाढ़ नियंत्रण से सम्बंधित हर एक कार्य प्रत्येक दशा तक 15 जून तक पूरा कर लिया जाए। बाढ़ बचाव कार्य में विभाग के हर स्तर के अधिकारी फील्ड में उतरें और मौके पर जाएं। एक सप्ताह के भीतर कार्यस्थलों की ड्रोन वीडियो/फोटो आदि उपलब्ध कराई जाए।मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों की ड्रेजिंग से निकली उपखनिज बालू/सिल्ट की नीलामी में पूर्ण पारदर्शिता बरती जाए। हर हाल में यह बालू/सिल्ट 15 जून तक वहां से हट जाए। बालू नीलामी के कार्य का भौतिक सत्यापन भी कराया जाए। तटबंधों की मरम्मत के कार्य को शीर्ष प्राथमिकता दी जाए। अति संवेदनशील/संवेदनशील स्थलों पर रिजर्व स्टॉक का प्रबंध यथाशीघ्र कर लिया जाए। नदी की धारा की चपेट में आने वाले अति संवेदनशील/संवेदनशील स्थलों को चिन्हित कर मरम्मत/सुरक्षात्मक कार्य हर हाल में 31 मई तक पूरा करा लिया जाए। नदियों के चैनेलाइजेशन के काम और तेज करने की जरूरत है। यह काम अभी गति नहीं पकड़ सका है। इस पर विशेष ध्यान दिया जाना अपेक्षित है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि परियोजनाओं में ठेके/टेंडर के लिए फर्म/एजेंसी के चयन करते समय पूरी पारदर्शिता बरतें। किसी भी विभाग में माफिया अथवा उससे जुड़े लोगों के फर्मों से कार्य न कराया जाए। यदि ऐसा होता हुआ पाया गया तो विभाग में हर स्तर पर जवाबदेही तय की जाएगी।


जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में बाढ़ से निपटने के लिए स्टीयरिंग ग्रुप की कार्यवाही वर्तमान माह में ही पूरी हो जाए। बाढ़ बचाव के लिए 15 जून तक जिला प्रशासन/विभाग द्वारा क्षेत्रों में बाढ़ सुरक्षा समितियों का गठन कर लिया जाए। अंतर्विभागीय बाढ़ समन्वय के लिए मंडलीय एवं जनपद स्तरीय नोडल अधिकारी तथा अंतरराष्ट्रीय एवं अंतर्राज्यीय बाढ़ समस्याओं के लिए नोडल अधिकारी नामित कर कार्य किया जाए।उत्तर प्रदेश में व्यापक जन-धन हानि के लिए दशकों तक कारक रही बाढ़ की समस्या के स्थायी निदान के लिए विगत 05 वर्षों में सुनियोजित प्रयास किए गए हैं। 2017-18 से अब तक 699 बाढ़ परियोजनाएं पूरी की गईं। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार राज्य सरकार ने आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग कर बाढ़ से खतरे को न्यूनतम करने में सफलता पाई है। वर्तमान में बाढ़ नियंत्रण से संबंधित 225 परियोजनाओं में से 216 पर कार्य शुरू हो चुका है। इसमें 09 ड्रेजिंग की परियोजनाएं हैं। सभी परियोजनाओं में गुणवत्ता और समयबद्धता का पूरा ध्यान रखा जाए।बैठक में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री एस0पी0 गोयल, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना संजय प्रसाद, प्रमुख सचिव सिंचाई अनिल गर्ग, अपर सूचना निदेशक अंशुमान राम त्रिपाठी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।