स्वच्छ और संतुलित पर्यावरण ही जीव सृष्टि की आधारशिला-मुख्यमंत्री

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राजू यादव

मुख्यमंत्री ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यशाला ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ पंचायत-2022 उ0प्र0’ को वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित किया।स्वच्छ और संतुलित पर्यावरण ही जीव सृष्टि के सुखद और यशस्वी जीवन की आधारशिला।ग्राम पंचायत हमारी लोक व्यवस्था की सबसे आधारभूत इकाई, इसे सुदृढ़ बनाकर अनेक प्रयासों को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाया जा सकता है।शासन की बड़ी योजनाओं के ग्राम पंचायत स्तर की आधारभूत इकाई पर प्रभावी क्रियान्वयन से ही सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।संवाद के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्राकृतिक एवं कृत्रिम कारकों पर नियंत्रण के लिए ग्राम पंचायतों को जोड़ने के लिए कॉन्फ्रेंस के आयोजकों को बधाई।राज्य सरकार ने पर्यावरण संतुलन एवं जलवायु परिवर्तन पर अंकुश लगाने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए, 100 करोड़ वृक्षारोपण के साथ ही 100 वर्ष से अधिक आयु के वृक्षों को विरासत वृक्ष के रूप में चिन्हित कर संरक्षित किया।प्रधानमंत्री जी ने आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में हर ग्राम पंचायत में 02-02 अमृत सरोवर बनाने का संकल्प दिया, यह सरोवर शुद्ध जल के एकत्रीकरण का माध्यम, अमृत सरोवरों के किनारे पीपल, बरगद, पाकड़, नीम, आम, मौलश्री जैसे फलदार, छायादार एवं इमारती लकड़ी के वृक्ष लगाए जाएं।अमृत सरोवरों के तट पर तिरंगा लगाया जाए, राष्ट्रीय दिवसों 15 अगस्त, 26 जनवरी, 02 अक्टूबर पर इन स्थलों पर जनता के लिए किसी प्रेरणादायी व्यक्तित्व द्वारा ध्वजारोहण कराया जाए।सभी गांव ‘मेरा गांव, मेरी धरोहर’ कार्यक्रम से जुड़ें, वन महोत्सव के अवसर पर हर ग्राम पंचायत में 75-75 वृक्ष लगाने का कार्य जरूर किया जाए, इसके लिए जमीन की व्यवस्था करने के साथ ही वृक्ष लगाने के लिए गड्ढा तैयार करने, गड्ढे में खाद डालने, वृक्षों की सुरक्षा की व्यवस्था जैसे कार्य अभी से कर लिए जाएं।राज्य सरकार ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र में प्राकृतिक खेती के लिए बजट की व्यवस्था की, प्रत्येक मण्डल में जैविक उत्पादों की टेस्टिंग के लिए लैब की व्यवस्था की गयी।


लखनऊ। आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ पंचायत-2022, उत्तर प्रदेश’ को मुख्यमंत्री ने वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने प्रदेशवासियों को विश्व पर्यावरण दिवस की बधाई देते हुए कहा कि स्वच्छ और संतुलित पर्यावरण ही जीव सृष्टि के सुखद और यशस्वी जीवन की आधारशिला बन सकता है। जलवायु परिवर्तन से होने वाले दुष्परिणामों से बचाव के सम्बन्ध में ग्राम पंचायतों की भूमिका पर यह कॉन्फ्रेंस आयोजित की गयी है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ग्राम पंचायत हमारी लोक व्यवस्था की सबसे आधारभूत इकाई है। इस इकाई को सुदृढ़ बनाकर अनेक प्रयासों को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाया जा सकता है। शासन स्तर की बड़ी योजनाओं के ग्राम पंचायत स्तर की आधारभूत इकाई पर प्रभावी क्रियान्वयन से ही सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। संवाद के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्राकृतिक एवं कृत्रिम कारकों पर नियंत्रण के लिए ग्राम पंचायतों को जोड़ने का कार्य करने के लिए कॉन्फ्रेंस के आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 58 हजार ग्राम पंचायते हैं। प्रदेश की लगभग 70 प्रतिशत आजादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। राज्य सरकार ने पर्यावरण संतुलन एवं जलवायु परिवर्तन पर अंकुश लगाने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। विगत 05 वर्षों में अंतर्विभागीय समन्वय के माध्यम से 100 करोड़ वृक्ष रोपे गए हैं। वर्ष 2017 में वृक्षारोपण महोत्सव के समय प्रदेश में 05 करोड़ वृक्षारोपण की क्षमता थी। आज वर्तमान में राज्य में प्रतिवर्ष 35 करोड़ वृक्षारोपण की क्षमता है।


भारतीय मनीषा ने सदैव प्रकृति और पर्यावरण को महत्व दिया है। भारतीय परम्परा ने प्रत्येक वनस्पति को धार्मिकता और आध्यात्मिकता से जोड़ा है। भौतिकता को अत्यधिक महत्व देने के कारण जीव सृष्टि के सामने अस्तित्व का संकट पैदा हुआ है। इसके कारण असमय अतिवृष्टि, सूखा, फसल चक्र में परिवर्तन, विभिन्न बीमारियों सहित अनेक दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए 100 करोड़ वृक्षारोपण के साथ ही 100 वर्ष से अधिक आयु के वृक्षों को विरासत वृक्ष के रूप में चिन्हित कर संरक्षित किया है।राज्य सरकार का प्रयास है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना को साकार किया जा सके। इसके लिए प्रदेश सरकार ने सभी ग्राम पंचायतों में शासन की योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में ग्राम सचिवालय का निर्माण, खुले में शौच से मुक्त करने का कार्य, सामुदायिक शौचालयों का निर्माण, इन शौचालयों का महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से संचालन, ग्रामवासियों को बैंकिंग की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बी0सी0 सखी की तैनाती, ग्राम प्रधान के सहयोग के लिए पंचायत सहायक की नियुक्ति के कार्य किए गए हैं। प्रदेश सरकार हर स्तर पर ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहित करना चाहती है। सभी ग्राम पंचायतों को ऑप्टीकल फाइबर से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे ग्रामवासियों को जन्म, आय, जाति आदि प्रमाण-पत्र गांव में ही प्राप्त हो सकें।

भारतीय मनीषा ने सदैव प्रकृति और पर्यावरण को महत्व दिया, भारतीय परम्परा ने प्रत्येक वनस्पति को धार्मिकता और आध्यात्मिकता से जोड़ा।भौतिकता को अत्यधिक महत्व देने के कारण जीव सृष्टि के सामने अस्तित्व का संकट, इसके कारण असमय अतिवृष्टि, सूखा, फसल चक्र में परिवर्तन, विभिन्न बीमारियों सहित अनेक दुष्परिणाम देखने को मिल रहे।राज्य सरकार का प्रयास कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना को साकार किया जा सके, इसके लिए सभी ग्राम पंचायतों में शासन की योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया।प्रत्येक ग्राम पंचायत में ग्राम सचिवालय का निर्माण, खुले में शौच से मुक्त करने का कार्य, सामुदायिक शौचालयों का निर्माण, इन शौचालयों का महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से संचालन, ग्रामवासियों को बैंकिंग की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बी0सी0 सखी की तैनाती, ग्राम प्रधान के सहयोग के लिए पंचायत सहायक की नियुक्ति के कार्य किए गए।मुख्यमंत्री की ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों से अपनी पंचायतों को आदर्श ग्राम पंचायत बनाने की अपील, अमृत सरोवर गांव की आत्मनिर्भरता का माध्यम।


मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में हर ग्राम पंचायत में 02-02 अमृत सरोवर बनाने का संकल्प दिया है। साथ ही, प्रदेश के बड़े नगर निकायों में 75 तथा ग्रामीण स्तर पर 75 सरोवर विकसित किए जाएंगे। यह सरोवर शुद्ध जल के एकत्रीकरण का माध्यम बनेंगे। उन्होंने कहा कि अमृत सरोवरों के किनारों पर व्यापक वृक्षारोपण किया जाए। सरोवर का जल प्रदूषित न हो, इसके लिए व्यवस्था की जाए। सरोवर के किनारों पर बागवानी को प्रोत्साहित किया जाए। अमृत सरोवरों के तट पर तिरंगा लगाया जाए। राष्ट्रीय पर्वों 15 अगस्त, 26 जनवरी, 02 अक्टूबर पर इन स्थलों पर किसी प्रेरणादायी व्यक्तित्व द्वारा ध्वजारोहण कराया जाए। सरोवर के किनारे बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था की जाए, जिससे यहां पर गोष्ठी आदि का आयोजन एवं यौगिक क्रियाएं आदि की जा सके।   सभी गांवों को ‘मेरा गांव, मेरी धरोहर’ कार्यक्रम से जुड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि वन महोत्सव के अवसर पर हर ग्राम पंचायत में 75-75 वृक्ष लगाने का कार्य जरूर किया जाए। इसके लिए जमीन की व्यवस्था करने के साथ ही वृक्ष लगाने के लिए गड्ढा तैयार करने, गड्ढे में खाद डालने, वृक्षों की सुरक्षा की व्यवस्था जैसे कार्य अभी से कर लिए जाएं। प्रत्येक ग्राम पंचायत में अमृत सरोवरों के किनारे पीपल, बरगद, पाकड़, नीम, आम, मौलश्री जैसे फलदार, छायादार एवं इमारती लकड़ी के वृक्ष लगाए जाएं।


स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से व्यापक साफ-सफाई के कारण बहुत सी बीमारियां समाप्त हुई हैं। वर्तमान में गांव साफ-सुथरे हैं। इंसेफेलाइटिस की बीमारी प्रायः समाप्त हो चुकी है। कालाजार को नियंत्रित किया जा चुका है। अन्य बीमारियों को भी नियंत्रित करने में सफलता मिली है, किन्तु अभी भी इस दिशा में लम्बी दूरी तय की जानी है। उन्होंने व्यापक जनहित में सभी पंचायतों से पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन पर अंकुश तथा स्वच्छता मिशन के कार्यक्रम से जुड़ने का आह्वान किया।प्रदेश में विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए 100 करोड़ वृक्षों की सुरक्षा का कार्य सम्बन्धित विभागों द्वारा किया जाए। लगाए गए पौधों में से किसी भी पौधे के नष्ट होने पर नया पौधा लगाकर उसके संरक्षण की व्यवस्था भी की जाए। वृक्षों का क्लस्टर विकसित कर वनाच्छादन बढ़ाया जाए। विरासत वृक्षों को चिन्हित और संरक्षित कार्य करने के कार्य को गति दी जाए। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय बजट में गौ आधारित प्राकृतिक खेती को स्थान दिया गया है। यह जीरो केमिकल, जीरो फर्टिलाइजर, जीरो पेस्टीसाइड की जीरो बजट जैविक खेती है। इसके तहत गंगा जी के दोनों तटों पर 05-05 कि0मी0 के क्षेत्रफल में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र में प्राकृतिक खेती के लिए बजट की व्यवस्था की है। प्रदेश के प्रत्येक मण्डल में जैविक उत्पादों की टेस्टिंग के लिए लैब की व्यवस्था की जा रही है।

जनपद संत कबीरनगर स्थित मगहर कबीरदास जी की समाधि स्थली है। 05 वर्ष पहले यहां बहने वाली आमी नदी अत्यधिक प्रदूषित थी। पानी काला हो गया था। यह क्षेत्र पशुपालन की दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध था। आमी नदी में प्रदूषण के कारण इसके किनारे खेती-बाड़ी नष्ट हो गयी। वर्तमान राज्य सरकार ने आमी नदी के पुनरोद्धार के लिए ग्राम पंचायतों, नगर निकायों, औद्योगिक इकाइयों की जिम्मेदारी तय कर कार्य किया। फलस्वरूप वर्तमान में यह नदी स्वच्छ हो गयी है। ऐसे ही सभी नदियों को स्वच्छ और प्रदूषण रहित किया जा सकता है। आमी नदी अविरल-निर्मल हो सकती हैं तो गांव के तालाब भी साफ-सुथरे हो सकते हैं। अमृत सरोवर गांव की आत्मनिर्भरता का माध्यम बन सकते हैं। ग्राम पंचायत में खाद का गड्ढा बनाया जाना चाहिए। गांव के सॉलिड वेस्ट को इसमें डालकर कम्पोस्ट बनाया जा सकता है। इस कम्पोस्ट की पैकिंग कर मार्केटिंग भी की जा सकती है। उन्होंने गांवों में नर्सरियों के विकास एवं जैविक खेती को प्रोत्साहित किए जाने पर बल देते हुए कहा कि गांव के खाद के गड्ढों का कम्पोस्ट इसमें सहायक हो सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने पहले ही अप्रैल से जून माह तक माटी कला बोर्ड के माध्यम से गांव के तालाब को कुम्हारी कला से जुड़े लोगों को मिट्टी के लिए देने की व्यवस्था की है। तालाब से मिट्टी निकल जाने से तालाब वर्षा ऋतु में जल के संग्रहण के लिए तैयार हो जाता है।


मुख्यमंत्री ने ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों से अपनी पंचायतों को आदर्श ग्राम पंचायत बनाने की अपील करते हुए कहा कि दो दिन पूर्व वे भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द के जनपद कानपुर देहात स्थित गांव परौंख गए थे। परौंख एक आदर्श गांव है। यहां दो अमृत सरोवर हैं। गांव का परिषदीय विद्यालय एवं जूनियर हाईस्कूल अच्छी स्थिति में है। यहां आंगनबाड़ी केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, सुन्दर मंदिर, व्यवस्थित मण्डी स्थल, ओपेन जिम, खेल का मैदान, डेªनेज की बेहतर व्यवस्था, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, स्ट्रीट लाइट आदि की व्यवस्था है। यह कार्य हर जनपद, हर ग्राम पंचायत में किया जाना सम्भव है। सभी ग्राम पंचायतों को इन कार्यक्रमों से जुड़ना चाहिए।वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरुण कुमार सक्सेना ने वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री को जन्मदिन की बधाई दी। उन्होंने कहा कि पंचायतों की खुशहाली में देश की खुशहाली और तरक्की है। मुख्यमंत्री के निर्देशन में सभी पंचायतें ‘मेरा गांव, मेरी धरोहर’ कार्यक्रम से जुड़कर कार्य करेंगी।

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