सीएम और गवर्नर ने सीआईएसएच हाइड्रोपोनिक्स में दिखाई रुचि

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लखनऊ – राजभवन में आयोजित प्रादेशिक पुष्प प्रदर्शनी में सीआईएसएच द्वारा लगाई गयी हाइड्रोपोनिक एवं एयरोपोनिक्स यूनिट ने सीएम योगी एवं गवर्नर दोनों को ही आकर्षित किया तथा हजारों लोगों ने मिट्टी रहित सब्जी उत्पादन की इस तकनीकी के प्रदर्शन में विशेष रुचि दिखाई।

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आरकेवीवाई परियोजना के अंतर्गत हाइड्रोपोनिक्स के विभिन्न प्रकार के आधुनिक मॉडल रेह्मानखेरा में लगाएं परंतु किसानों और शहरी बागवानी प्रेमियों से मिली प्रतिक्रिया संस्थान को कम लागत वाले हाइड्रोपोनिक डिजाइन करने के लिए प्रेरित किया| नए डिजाईन का उपयोग कम खर्चे में छतों एवं बालकनी में पौधे उगने के लिए संभव हो सका । इस दिशा में शोध करने के बाद बहुत ही कम लागत के हाइड्रोपोनिक डिजाइन तैयार कर दिए गए और जनसाधारण के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया।

बागवान प्रेमी राजभवन में लगने वाली इस अनूठी प्रदर्शनी का इंतजार वर्ष भर करते हैं क्योंकि वहां सीखने को बहुत कुछ मिलता है। नवीन बीज, यंत्र, पौधे एवं खेती से जुड़ी जानकारियों प्राप्त करने के लिए बागवानी प्रेमी प्रदर्शनी में जाने की जरूर को वरियता देतें हैं| शहर में बागवानी के नए-नए तरीके और नई-नई किस्मों के पौधों को देखने का अवसर तो के अतिरिक्त एक दूसरे से जानकारी प्राप्त करने का मौका मिलता हैं। इस अवसर पर प्रतियोगिता का महत्व तो होता ही है और एकत्रित की गई नई जानकारी का घर में अनुप्रयोग सरल होता है।

कुछ अति उत्साही लोगों जानकारी दी कि उन्होने ने यूट्यूब में देकर हाइड्रोपोनिक इकाई का निर्माण किया परंतु आवश्यक पोषक तत्वों की जानकारी के आभाव में आगे बढ़ने में असफल रहे। कई लोगों ने तो ऐसे रोजगार का साधन भी बनाया परंतु फिर वही पोषक तत्वों की अनुचित मात्रा की समस्याएं इस कार्य में व्यावधान का कारण बनी। संस्थान ने हाइड्रोपोनिक्स की डिजाइन के अतिरिक्त हाइड्रोपोनिक सिस्टम में इस्तेमाल होने वाले पोषक तत्वों सलूशन का भी मानकीकरण किया क्योंकि अमेजॉन और अन्य स्रोतों से यह काफी अधिक दाम में खरीदने के कारण लोग निरउत्साहित हो रहे थे।

संस्थान द्वारा हाइड्रोपोनिक तकनीक का प्रदर्शनी में प्रदर्शन करने का मुख्य उद्देश्य लोगों में जागरूकता फैलाने का है। इस अवसर पर कई क्षेत्र में रोजगार की पहल करने वाले युवक संस्थान के संपर्क में आए और संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ एस आर सिंह से तकनीक प्राप्त करके इसको व्यवसायिक रूप से अपनाने के लिए उत्सुक हैं। प्रदर्शनी में अधिकतर लोगों ने यह पूछा कि इसकी ट्रेनिंग कब और कहां मिलती है। कुछ का प्रश्न था कि वे नई किस्मों के पौधे कहां से ला कर लगाए। कुछ विस्मित होकर जानना चाहा कि हाइड्रोपोनिक्स में कैसे करीब 80% पानी की बचत की जा सकती है। कुछ लोग अपनी बालकनी के लिए इसे डिजाइन करना चाहते हैं।

जनसाधारण में हाइड्रोपोनिक्स के प्रति बढ़ रहा आकर्षण यह संकेत देता है कि निकट भविष्य में संस्थान द्वारा विकसित की गई है तकनीकी काफी लोकप्रिय होगी और कई लोगों को रोजगार दिलाने में भी सफल होगी। हाइड्रोपोनिक्स के बड़ी-बड़ी कंपनियों के मॉडल उपलब्ध हैं परंतु इनके अधिक महंगा होने के कारण आम आदमी की पहुंच के बाहर हैं। कम दाम पर हाइड्रोपोनिक यूनिट तथा इस कार्य हेतु पोषक तत्वों का सस्ता मिश्रण उपलब्ध कराने के लिए संस्थान प्रयत्नशील है।