कांग्रेस सोशल इंजीनियरिंग पर कर रही मंथन

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कांग्रेस भी सोशल इंजीनियरिंग को धार देने पर कर रही मंथन,”भाजपा ने माइक्रो सोशल इंजीनियरिंग के आधार पर अतिपिछड़ों, अतिदलितों को साधकर बनाया मजबूत वोट बैंक।

चौ0लौटनराम निषाद

भारतीय जनता पार्टी का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2012 में वोट शेयर 15.2 प्रतिशत था।लेकिन इसके बाद संगठन महासचिव संजय भाई जोशी ने सोशल इंजीनियरिंग पर विशेष ध्यान देकर गैरयादव पिछड़ों व गैरजाटव दलितों को पार्टी से जोड़ने पर विशेष ध्यान दिए।भाजपा में अनुसूचित जाति मोर्चा,अनुसूचित जनजाति मोर्चा,अल्पसंख्यक मोर्चा,किसान मोर्चा,महिला मोर्चा आदि आनुषंगिक संगठन थे,पर पिछड़ी जातियों का पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ था।भाजपा में पिछड़ों को विशेष अहमियत नहीं दी जाती थी।भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर नितिन गडकरी ने मछुआरा प्रकोष्ठ आदि के साथ लगभग 5 दर्जन से अधिक प्रकोष्ठ,प्रकल्प आदि बनाकर विभिन्न वंचित तबकों को जोड़ने का प्रयास किये।


भाजपा प्रदेश कार्यसमिति व विभिन्न मोर्चा व प्रकोष्ठों के अध्यक्षों व संयोजकों,सह संयोजकों की 27 जून,2013 को 2014 के लोकसभा चुनाव के संबन्ध में रणनीति बनाने के लिए बैठक आयोजित थी।जिसमें तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह,संगठन महामंत्री राकेश कुमार जैन व प्रदेश प्रभारी अमित शाह आदि उपस्थित थे।पूरी बैठक में ओबीसी के ऊपर कोई चर्चा नहीं हो रही थी और न कोई ओबीसी नेता इस वर्ग के संदर्भ में चर्चा के लिए खड़ा हुआ,जबकि विनय कटियार,प्रेमलता कटियार,ओमप्रकाश सिंह,कल्याण सिंह,सुशील शाक्य,बहोरन लाल मौर्या, प्रकाश पाल,धर्मपाल सिंह लोधी आदि तमाम नेता उपस्थित थे।इस संदर्भ में चौ.लौटनराम निषाद ने बताया कि उस समय हम भाजपा मछुआरा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक थे।जब रहा नहीं गया तो पिछड़ों के संदर्भ में चर्चा की अनुमति माँगकर कहा कि बिना पिछड़ों के भाजपा कुछ नहीं कर पायेगी।कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जी,जब आप उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो आपके कार्यकाल में सामाजिक न्याय समिति-2001 बनी थी।जिसके अनुसार सामान्य वर्ग(हिन्दू-मुस्लिम)-20.95%,अनुसूचित जाति-24.94%,अनुसूचित जनजाति-0.06% व अन्य पिछड़ा वर्ग-54.05% था।मुस्लिम भाजपा को वोट नहीं देते व अनुसूचित जनजाति की आबादी मात्र 0.06% है,इनका मोर्चा है,तो 54.05% आबादी वाले ओबीसी का मोर्चा क्यों नहीं?आखिर पिछड़ों का प्रकोष्ठ बनाकर दोयमदर्जे का बर्ताव क्यों?उसी दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पिछड़ावर्ग मोर्चा बनाने का निर्णय लिए।भाजपा के लिए ओबीसी मोर्चा सबसे कारगर साबित हुआ।


लोकसभा और विधानसभा चुनावों में हार से जूझ रही कांग्रेस नव संकल्प चिंतन शिविर में जीत का फार्मूला तलाश करेगी। इसके लिए पार्टी कई अहम बदलावों की तैयारी कर रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, कांग्रेस चुनाव व संगठन में सोशल इंजीनियरिंग पर खास ध्यान देगी।राजस्थान के उदयपुर में 13 से 15 मई तक होने वाले इस चिंतन शिविर के एजेंडे को अंतिम रूप देने के लिए 10 मई को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में चिंतन शिविर में पेश किए जाने वाले प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी।चिंतन शिविर में कांग्रेस भविष्य की चुनावी रणनीति के साथ संगठन को मजबूत बनाने पर भी चर्चा करेगी। इसकी शुरुआत पार्टी संगठन में ओबीसी,एससी, एसटी को हिस्सेदारी से करेगी। पार्टी संगठन में ओबीसी, एससी/एसटी और अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी बढ़ा सकती है।कांग्रेस में बहुत पहले से ओबीसी को जोड़ने की बात उठ रही थी।जिसको अब अमल में लाने की सहमति बन गयी है।


ओबीसी, एससी/एसटी और अल्पसंख्यकों को कांग्रेस संगठन में यह हिस्सेदारी ब्लॉक स्तरीय समिति से लेकर कांग्रेस कार्यसमिति तक लागू की जा सकती है। अभी पार्टी इन वर्गों को 20 प्रतिशत हिस्सेदारी देती है। उत्तर प्रदेश सहित 5 राज्यों में सम्पन्न विधानसभा चुनाव में पिकड़ों को 20 से 21 प्रतिशत हिस्सेदारी दी गयी थी। पार्टी संगठन में ओबीसी, एससी/एसटी और अल्पसंख्यकों की बढ़ सकती है हिस्सेदारी डूंगरपुर में आयोजित चिंतन शिविर के लिए संगठन से जुड़े विषयों पर प्रस्ताव तैयार करने वाले समिति के एक सदस्य के मुताबिक, एआईसीसी में सचिवों की संख्या 30 करने का सुझाव है। इस वक्त एआईसीसी में करीब 70 सचिव हैं। इसी तरह बड़े राज्यों में कांग्रेस कमेटियों में अधिकतम 100 और छोटे राज्यों में 50 सदस्य करने का प्रस्ताव है। उनके मुताबिक, कम सदस्यों वाली समितियों के साथ बेहतर समन्वय बनाया जा सकता है। इसके साथ पार्टी प्रदेश कांग्रेस कमेटियों को ज्यादा अधिकार देने पर भी विचार कर रही हैं।राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश जैसे द्विदलीय आधारित राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखकर सभी पिछड़ी,दलित,आदिवासी जातियों को साधने पर ध्यान दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश,बिहार में अतिपिछड़ी जातियों को जोड़ने के लिए पार्टी नेतृत्व निषाद,लोधी,कश्यप,प्रजापति,कुर्मी,साहू,काछी,कोयरी,राजभर,चौहान के साथ साथ माइक्रो सोशल इंजीनियरिंग के तहत नाई,बारी, बढ़ई,लोहार, बियार, माली,सैनी, बरई, अर्कवंशीय,खागी आदि को भी संगठन में हिस्सेदारी देने पर पार्टी गंभीर है। उत्तर प्रदेश में यादव व मुस्लिम एकजुट होकर सपा को वोट दिए थे। पर,बदली हुई परिस्थितियों में यादव व मुस्लिम कांग्रेस के साथ जा सकती हैं। [/Responsivevoice]